BILASPUR, 20.01.25-राजेश धर्माणी ने भारत के सबसे पुराने और बड़े विश्वविद्यालयों में से एक, उस्मानिया विश्वविद्यालय का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आपसी हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और सहयोग की संभावनाओं का पता लगाया। यह बैठक शैक्षिक और शोध पहलों को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
दौरे के दौरान राजेश धर्माणी ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों, संकाय सदस्यों और छात्रों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने शैक्षिक क्षेत्र में मौजूद वर्तमान चुनौतियों और संभावनाओं को समझने का प्रयास किया। चर्चा के दौरान शोध सहयोग, छात्र विनिमय कार्यक्रम और नवाचारी शिक्षण पद्धतियों जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया।
उस्मानिया विश्वविद्यालय, जो अपने विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों और समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है, सहयोग के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करता है। राजेश ने दोनों संस्थानों के बीच शैक्षिक संबंधों को मजबूत करने और लाभकारी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के प्रति अपनी उत्सुकता व्यक्त की।
दौरे के दौरान भविष्य के सहयोग के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई, जिनमें संयुक्त शोध पहल, कौशल विकास कार्यक्रम और सामुदायिक जुड़ाव परियोजनाएं शामिल हैं। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी क्षमताओं का उपयोग करके नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
राजेश धर्माणी ने विश्वविद्यालय परिसर का भी दौरा किया और विभिन्न विभागों और सुविधाओं का निरीक्षण किया। इससे उन्हें विश्वविद्यालय की शैक्षिक और शोध उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को करीब से समझने का अवसर मिला।
यह दौरा एक औपचारिक समझौते का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जो निरंतर सहयोग को संभव बनाएगा और शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को और सुदृढ़ करेगा।