चण्डीगढ़:27.03.25- सनातन धर्म मंदिर, सेक्टर 27 में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस की कथा में वृंदावन धाम से पधारे हुए आचार्य श्री नारायण दत्त शास्त्री जी महाराज ने श्रीमद् भागवत महापुराण में 10 लक्षणों का वर्णन किया। भागवत की प्राचीन परंपरा का वर्णन करते हुए पूज्य महाराज जी ने भारतवर्ष का वर्णन किया जिसमें सात दीप नौ खंड 14 भुवन एवं 28 प्रकार के नरकों का वर्णन किया। पृथ्वी पर आकर के जो मनुष्य मनमाना आचरण करता है, वेद शास्त्रों की विधि को छोड़कर अपने माता-पिता गुरुजनों की बातों को न मान कर मनमाना आचरण करता है, वह पृथ्वी पर तो दुख पाता ही है, शरीर छोड़ने पर उसकी अधोगति होती है। सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है, सब के आदि में सनातन हैं। पूरे विश्व में सबके पूर्वज वैदिक सनातन हिंदू है। जैसे वेद शाश्वत हैं, ऐसे ही सनातन धर्म शाश्वत है। सनातन से पहले कोई धर्म था ही नहीं। ऐसा पाश्चात्य विद्वानों ने भी माना है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है और पुराण संहिता में श्रीमद् भागवत सबसे अंतिम ग्रंथ है।