बिलासपुर, 11 अक्तूबर, 2025-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर से ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ एवं ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर देशभर के चयनित जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिला बिलासपुर में भी इस योजना के अंतर्गत कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा किसान भवन में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री धर्मानी ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि कर ग्रामीण समृद्धि को सुनिश्चित करना है। इस योजना के अंतर्गत देश के 100 आकांक्षी कृषि जिलों को चयनित किया गया है, जिनमें बिलासपुर जिला हिमाचल का एकमात्र जिला है। उन्होंने बताया कि इस योजना में ऐसे जिलों को शामिल किया गया है, जहां फसल की औसत उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, किसान क्रेडिट कार्ड की पहुंच सीमित है तथा जहां प्रति वर्ष 1.55 से कम फसल चक्र लिए जाते हैं।
धर्मानी ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत लगभग 11 विभागों की 36 कृषि संबंधित योजनाओं को एकीकृत करते हुए एक समग्र मॉडल तैयार किया गया है, जिससे योजनाओं का लाभ अधिक प्रभावी रूप से किसानों तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि पूर्व में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भी अनेक योजनाएं कृषि क्षेत्र में चलाई गईं, परंतु विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के अभाव और स्थानीय भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों के अनुसार माइक्रो प्लानिंग न होने के कारण उनका पूर्ण लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाया।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक चयनित जिले में जिला धन-धान्य कृषि योजना समिति का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त करेंगे। यह समिति जिला कृषि विकास योजना को तैयार करने और क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी निभाएगी। उन्होंने जिला प्रशासन और कृषि विभाग को निर्देश दिए कि बिलासपुर जिले की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक सशक्त एवं व्यवहारिक प्लान तैयार किया जाए, ताकि इस योजना का लाभ किसानों को पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों में भी प्राप्त हो सके।
धर्मानी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला कृषि विकास योजना बनाते समय माइक्रो लेवल पर प्लानिंग की जाए, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ाने, कटाई के बाद भंडारण और मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करने, आय के स्रोतों में विविधता लाने तथा महिलाओं और युवाओं की सहभागिता को सुनिश्चित किया जा सके।
मंत्री धर्मानी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्रदेश में अब तक 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। इस दिशा में 3.06 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें से 2,22,893 किसानों ने रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती अपनाई है।
उन्होंने बताया कि सीटारा-एनएफ के तहत 1,96,892 किसान प्रमाणित किए गए हैं और 2,408 किसानों ने प्राकृतिक खेती से 2,62,71,247 रूपए की आमदनी अर्जित की है। सरकार द्वारा 2123.58 क्विंटल गेहूं और 398.98 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की गई है। किसानों के हित में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 60 रूपए प्रति किलोग्राम, मक्की का 40 रूपए प्रति किलोग्राम, कच्ची हल्दी का 90 रूपए प्रति किलोग्राम और पांगी क्षेत्र में जौ का 60 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है।
धर्मानी ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से गाय और भैंस के दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब गाय के दूध का मूल्य 45 रूपए से बढ़ाकर 51 रूपए प्रति लीटर तथा भैंस के दूध का मूल्य 55 रूपए से बढ़ाकर 61 रूपए प्रति लीटर कर दिया गया है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने देश को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए थे। भाखड़ा बांध के निर्माण ने देश में बिजली उत्पादन और हरित क्रांति की नींव रखी, जिससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।
मंत्री धर्मानी ने कहा कि 20-30 वर्ष पूर्व गांव आत्मनिर्भर हुआ करते थे और स्थानीय स्तर पर ही सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दलहन और अन्य खाद्यान्नों की उत्पादकता में गिरावट आई है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे पारंपरिक कृषि और व्यवसायों की ओर लौटें, ताकि स्थानीय स्तर पर ही उत्पादन को बढ़ावा मिल सके और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा साकार हो।
इस अवसर पर पूर्व विधायक तिलक राज शर्मा, एपीएमसी चेयरमैन सतपाल वर्धन, निदेशक कृषि विभाग रविन्द्र सिंह जसरोटिया, एडीसी बिलासपुर ओमकांत ठाकुर, सहित जिला के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसान और कृषक संगठन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।