हरियाणा ओलंपिक संघ के अध्यक्ष द्वारा किए जाने वाले पारदर्शिता एवं फर्जीवाड़े पर लगाम संबंधी दावे पूरी तरह से हैं खोखले: नरेंद्र सिंह मोर, प्रदेशाध्यक्ष, खेल एवं युवा कल्याण प्रकोष्ठ
हरियाणा ओलंपिक संघ द्वारा 2 से 8 नवंबर तक प्रदेश भर में आयोजित होने वाले राज्य खेल जिसमें इन खेलों के प्रमाणपत्रों के ग्रेडेशन द्वारा ग्रुप डी की नौकरी मिलने और इस खेल को 27वें हैं और 13 वर्ष बाद आयोजित किए जाने के दोनों दावे हैं गलत
खेलों का आयोजन गैर पेशेवर तरीके से हो रहा है सभी खेल संघों के लिए एक जैसे मापदंड नहीं हैं
चंडीगढ़, 22 अक्टूबर। हरियाणा ओलंपिक संघ के पूर्व सह सचिव एवं इनेलो के खेल एवं युवा कल्याण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह मोर ने हरियाणा ओलंपिक संघ द्वारा 2 से 8 नवंबर तक प्रदेश भर में आयोजित होने वाले राज्य खेल जिसमें इन खेलों के प्रमाण पत्रों के ग्रेडेशन द्वारा ग्रुप डी की नौकरी मिलने और इस खेल को 27वें हैं और 13 वर्ष बाद आयोजित किए जाने के दोनों दावों को गलत बताते हुए कहा कि मौजूदा खेल पॉलिसी 2018 में लागू हुई थी जिसमें हरियाणा ओलंपिक संघ के प्रमाण पत्रों अथवा हरियाणा ओलंपिक संघ से मान्य खेल संघों जैसे वाक्यांश हरियाणा ओलंपिक संघ में चले विवादों की वजह से हटाए गए थे। हरियाणा में पिछले कुछ वर्षों में खेल प्रमाण पत्रों के बहुत बड़े फर्जीवाड़े हुए थे जिसके पकड़े जाने पर सरकार ने विजिलेंस जांच तक की अनुशंसा की थी। इसका कारण कांग्रेस राज में चलाई गई गैर मान्यता प्राप्त हरियाणा ओलंपिक संघ एवं अन्य राज्य खेल संघ थे। सबसे अधिक फर्जीवाड़ा ‘‘कराटे’’ खेल को लेकर हुआ था जिसमें पीवी राठी ग्रुप ने गैर मान्यता प्राप्त संघ को मान्यता दे दी थी। वही गैर मान्यता प्राप्त संघ अब दोबारा से मौजूदा हरियाणा ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त करने में कामयाब हो गया है। हरियाणा ओलंपिक संघ के अध्यक्ष द्वारा किए जाने वाले पारदर्शिता एवं फर्जीवाड़े पर लगाम संबंधी दावे पूरी तरह से खोखले हैं। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर और भारतीय खेल मंत्रालय के नियमों के विरुद्ध जाकर ऐसे गैर मान्य खेल संघों को मान्यता देकर वे स्वयं इरादतन फर्जीवाड़े को हवा दे रहे हैं। ऐसे ही खेल संघ, खेलों के प्रमाणपत्रों को नौकरियों में मान्य होने के नाम पर बेचने का काम करते हैं, जिसका नुकसान प्रतिभावान खिलाडिय़ों को होता है। ग्रुप डी में नौकरी का झूठा शिगूफा केवल फर्जीवाड़ा करने के इरादे से छोड़ा गया था अन्यथा जो सही खिलाड़ी होंगे वे बिना इस प्रचार के भी खेलों में भाग लेते।
ये खेल 27वें नहीं 23वें होने चाहिए क्योंकि पिछले (22वें) हरियाणा राज्य (ओलंपिक) खेल, हरियाणा ओलंपिक संघ द्वारा तत्कालीन अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला की अगुवाई में वर्ष 2007 में सिरसा में आयोजित किए गए थे। उसके अलावा अब तक जितने भी आयोजन हरियाणा राज्य खेल के नाम से हुए वे सब फर्जी और गैर मान्यता प्राप्त थे क्योंकि उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ की मान्यता कभी थी ही नहीं। विभिन्न कोर्ट केसेस में यह बात साबित हुई है।
खेल विभाग के प्रधान सचिव नवदीप विर्क ने यह पत्र थोड़ा और पहले निकाला होता तो बहुत से खिलाड़ी धोखाधड़ी से बच जाते। बहुत से खेल संघों ने इन खेलों के लिए खिलाडिय़ों के चयन को गुपचुप तरीके से किया है। ना किसी अखबार में निकलवाया ना ही कहीं विज्ञापित किया गया। खेलों का आयोजन गैर पेशेवर तरीके से हो रहा है सभी खेल संघों के लिए एक जैसे मापदंड नहीं हैं।