धर्मशाला में खिलाड़ियों और दर्शकों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं: डीसी
जिला प्रशासन तथा एचपीसीए के बीच तैयारियों को लेकर बैठक आयोजित
धर्मशाला, 22 नवंबर। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम में आगामी माह प्रस्तावित भारत- दक्षिण अफ्रीका टी-ट्वेंटी क्रिकेट मैच के लिए खिलाड़ियों तथा दर्शकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। शनिवार को धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम में जिला प्रशासन तथा एचपीसीए के अधिकारियों के बीच तैयारियों को लेकर आवश्यक बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि टी-टवेंटी के तहत 14 दिसंबर को धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने मैच के दौरान खिलाड़ियों तथा दर्शकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए पुख्ता कदम उठाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने आयोजन के संदर्भ में कानून, यातायात एवं पार्किंग व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं, विद्युत एवं पेयजल आपूर्ति, सड़कों की मुरम्मत, शहर की साफ-सफाई तथा अग्निशमन सेवाओं इत्यादि सहित अन्य संबंधित तैयारियों का जायजा लिया और इस बारे आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने संबंधित विभागों को मैच के आयोजन से जुड़ी सभी आवश्यक तैयारियां समय रहते पूरा करने के निर्देश दिए।
उन्होंने पुलिस विभाग को कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को धर्मशाला के आस-पास के क्षेत्र में मुरम्मत योग्य सड़कों का कार्य शीघ्र पूरा करने को कहा।
उन्होंने कहा कि आयोजन से पहले धर्मशाला तथा इसके आसपास के क्षेत्रों की सड़कें तथा लाइट व्यवस्था चकाचक होगी। पेयजल, पार्किंग की बेहतर व्यवस्था के लिए भी प्लान तैयार किया गया है। एसीटूडीसी ने कहा कि मैच के आयोजन के दौरान वाहनों की पार्किंग के लिए निर्धारित स्थलों की नम्बरिंग करके दिशा सूचक बोर्ड लगाए जाएंगे। उन्होंने लोगों की सुविधा के लिए निकासी गेटों से पार्किंग स्थलों तक दिशा सूचक बोर्ड लगाने के निर्देश दिए।
उन्होंने अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को स्टेडियम में अग्नि संबंधी आपातकालीन प्रबंधों का निरीक्षण करने तथा आवश्यक अग्निशमन सेवाएं सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए। इस अवसर पर एडीएम शिल्पी बेक्टा, एएसपी राजेंद्र जस्वाल, एसडीएम मोहित रत्न ने सुरक्षा व्यवस्था तथा यातायात प्लान, पार्किंग इत्यादि के प्लान को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। बैठक में एचपीसीए के एचपीसीए प्रबंधकों सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

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शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए किया जा रहे अहम बदलाव : उपायुक्त कांगड़ा

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बगली के वार्षिक समारोह में मेधावी किए सम्मानित।

धर्मशाला, 22 नवंबर। उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बदली के वार्षिक समारोह में मुख्य अतिथि बनकर पहुंचे। उन्होंने इस पाठशाला को स्वयं गोद लिया हुआ है और इसके विकास के लिए निरंतर कार्य करते हैं। उन्होंने वार्षिक समारोह के लिए सभी को बधाई दी और सभी को संबोधित करते हुए कहा आज शिक्षा का गुणात्मक होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यदि अपने आप, समाज और देश को आगे ले जाना है तो हमें गुणात्मक शिक्षा को अपनाना बेहद जरूरी है जिसकी तरफ अब निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं। शिक्षा को गुणात्मक बनाने के लिए इन प्रयासों को और अधिक तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा विद्यार्थियों को भी समझना चाहिए कि उन्हें यदि अपना भविष्य उज्जवल करना है तो उन्हें शिक्षा को गुणवत्ता पूर्वक ग्रहण करना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को एक लक्ष्य निर्धारित करके उसकी तरफ पूरी लगन से मेहनत करने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा अध्यापकों को विद्यार्थियों के अंदर पढ़ने और सीखने की रुचि को बढ़ाने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा अध्यापकों का यह प्रथम दायित्व है कि वह विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए उन्हें एक सकारात्मक दिशा प्रदान करें। उन्होंने कहा उन्होंने जब इस विद्यालय को गोद लिया था तो उनकी सोच थी कि यह स्कूल बेहतर जगह पर स्थित है उसके बावजूद यहां विद्यार्थीयों की संख्या निरंतर कम हो रही थी। उन्होंने कहा इसलिए उन्होंने इस विद्यालय को गोद लिया। उन्होंने कहा अच्छा सीखने के लिए 2 ही चीजें महत्वपूर्ण हैं एक विद्यार्थी का सीखने का मन और दूसरा अध्यापक का सीखाने का मन। यदि यह दोनों काम सही से हों तो बेहतर परिणाम होंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को अनुशासन को अपने जीवन में सबसे उपर रखने की बात कही। उन्होंने कहा सरकार अपने स्तर पर अनेकों बदलाव शिक्षा में सुधार के लिए कर रही है परंतु इनका प्रभाव तभी होगा जब तक अध्यापक और बच्चे सीखने और सीखाने में अपनी पूरी रुचि नहीं दिखाएंगे।

इससे पूर्व विद्यालय की प्रधानाचार्य प्रोमिला शर्मा ने मुख्य अतिथि के समक्ष वार्षिक रिपोर्ट का विवरण दिया और उन्होंने विद्यालय में होने वाली समस्त गतिविधियों के बारे में मुख्य अतिथि को जानकारी दी उन्होंने बताया विद्यालय के छात्रों ने जोनल, जिला और राज्य के स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। इस से पूर्व शिक्षा समन्वयक सुधीर भाटिया ने संबोधन दौरान विद्यालय को वार्षिक समारोह के लिए बधाई दी और मुख्यअतिथि का इस समारोह में आने के लिए आभार व्यक्त किया।

प्रधानाचार्य और अध्यापकों ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

विद्यालय के छात्रों ने अनेकों मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। मुख्य अतिथि ने परीक्षाओं, खेलों, अन्य गतिविधियों और संस्कृति कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कार बांटे।

यह रहे उपस्थित।

उपायुक्त सहित प्रधानाचार्या प्रोमिला शर्मा, सुधीर भाटिया समन्वयक, एसएमसी प्रधान मोनिका, पंचायत प्रधान शालिनी ,अध्यापक, अभिभावक और बच्चे मौजूद रहे।=============================

हिम कृषि योजना: पहाड़ की खेतिहर विरासत को नई दिशा देती एक पहल
परंपरागत खेती से आधुनिकता की ओर बढ़ता हिमाचल

हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जलवायु और पहाड़ी भूगोल के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन इसी भूगोल ने यहां की कृषि को चुनौतीपूर्ण भी बनाया है। छोटे खेत, बिखरी जोतें, सिंचाई के सीमित संसाधन और मौसम की अनिश्चितता हमेशा किसानों के सामने बड़ी बाधाएं रही हैं। ऐसी स्थिति में हिमाचल सरकार की ‘हिम कृषि योजना’ प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था में एक नई उम्मीद, नई ऊर्जा का संचार करती है।
हिमाचल सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना किसानों को पारंपरिक खेती की सीमाओं से आगे ले जाकर उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों, उच्च क्षमता वाली फसलों और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों से जोड़ने का प्रयास है। यह न सिर्फ कृषि उत्पादकता बढ़ाने की पहल है बल्कि किसानों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने की दिशा में भी एक ठोस कदम है।
हिमाचल की कृषि मुख्यतः मानसूनी वर्षा पर निर्भर रही है। असमान सिंचाई व्यवस्था और सीमित तकनीकी संसाधनों के कारण किसान अपनी भूमि की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते। इसके अतिरिक्त, सब्जियों, फलोत्पादन और फूलों की भारी संभावनाएं होने के बावजूद उचित प्रशिक्षण व उपकरणों के अभाव में किसान लाभ से वंचित रह जाते थे।
इन्हीं चुनौतियों को दूर करने के उद्देश्य से हिमाचल सरकार द्वारा हिम कृषि योजना शुरू की गई, जो कृषि क्षेत्र की व्यापक जरूरतों को समझते हुए बनाई गई एक बहुआयामी योजना है।
योजना के तहत पहाड़ी खेतों के लिए उपयुक्त लघु कृषि यंत्रों से लेकर उन्नत मशीनरी तक, किसानों को 30 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इससे खेती न केवल आसान हुई है बल्कि इसकी लागत भी काफी कम हुई है।
पहाड़ियों में मौसम की अनिश्चितता सबसे बड़ी चुनौती है। पाॅलीहाउस के साथ ही ड्रिप व स्प्रिंकलर प्रणाली किसानों के लिए गेम चेंजर साबित हो रही हैं। रहा हैं। इन संरचनाओं मेंकृ आॅफ सीजन सब्जियों का उत्पादन, बीज उत्पादन जैसी गतिविधियां बड़े स्तर पर संभव हो रही हैं। हिमाचल में पानी की उपलब्धता जितनी चुनौती है, उतनी ही कुशल सिंचाई की जरूरत भी। ड्रिप व स्प्रिंकलर प्रणाली पर सहायता देकर सरकार ने जल प्रबंधन को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। अब कम पानी में अधिक उत्पादन एक सच्चाई बन चुका है।
हिम कृषि योजना की सबसे बड़ी सफलता यह है कि किसानों में आत्मविश्वास बढ़ा है। जहां पहले पहाड़ी खेतों को कम उत्पादक माना जाता था, वहीं अब पाॅलीहाउस में उगती खीरा, शिमला मिर्च, टमाटर की आधुनिक किस्मों की व्यावसायिक खेती, सब्जियां के उत्पादन से किसानों की आय कई गुना बढ़ा रही हैं। यह योजना केवल किसानों तक सीमित नहीं है। कृषि उत्पादन बढ़ने सेकृ स्थानीय मंडियों में गतिविधियां बढ़ी हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
हिम कृषि योजना ने गांवों में महिलाओं की भूमिका को भी मजबूत किया है। यह योजना किसान को उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक से उद्यमी बनाने की प्रक्रिया है। प्रदेश की कृषि को आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक सोच और सतत विकास की दिशा में ले जाने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
हिम कृषि योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो रही सुदृढ़: उपायुक्त
उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी की सोच है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए। इसी दृष्टि के तहत प्रदेश में मुख्यमंत्री हिम कृषि योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत लगभग 80 कनाल भूमि वाले क्लस्टरों की पहचान की जाती है, जहाँ कृषि का आधुनिकीकरण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी सुविधाएँ और प्रशिक्षण उपलब्ध करवाए जाते हैं। किसानों की क्षमता-वृद्धि, कौशल विकास एवं आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण निरंतर इन क्लस्टरों में आयोजित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस योजना से लाभान्वित किसानों की वार्षिक आय लगभग ढाई से तीन लाख रुपये तक पहुँच रही है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसान इन क्लस्टरों में हल्दी की खेती करते हैं, तो सरकार ने 90 रुपये प्रति किलो की दर से एमएसपी पर खरीद का वादा किया है। एक कनाल से औसतन पांच क्विंटल तक हल्दी उत्पादन हो जाता है, जिससे लगभग 45 हजार रुपये प्रति कनाल की आमदनी प्राप्त होती है।
इसके विपरीत, यदि किसान पारंपरिक रूप से गेहूं या मक्का जैसी फसलें उगाते हैं जहाँ रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का उपयोग होता है तो उनकी आय केवल 4 से 5 हजार रुपये प्रति कनाल ही रहती है। वहीं, यदि किसान गोबर आधारित प्राकृतिक खेती अपनाएँ और मक्का या गेहूं उगाएँ, तो उनकी आय दोगुनी से भी अधिक हो सकती है। हल्दी जैसी फसलों से तो यह आय चार से दस गुना तक बढ़ जाती है।
उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाना, किसानों की आय बढ़ाना और उन्हें ऐसे कार्यों से जोड़ना जो समाज एवं अर्थव्यवस्था दोनों के लिए सकारात्मक योगदान देते होंकृ इन्हीं उद्देश्यों को लेकर हिम कृषि योजना प्रभावी भूमिका निभा रही है। उन्होंने अन्य किसानों से भी आग्रह किया कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएँ और अपनी आय को सुदृढ़ बनाएं।
जिला में 37 क्लस्टरों में मिल रहा है हिम कृषि योजना का लाभ: कुलदीप धीमान
उप निदेशक कृषि कुलदीप धीमान कहते हैं कि हिमाचल सरकार द्वारा वर्ष 2024-2025 से हिम कृषि नाम से एक योजना चलाई जा रही है। इस योजना का उद्देश्य यह था कि प्रत्येक विकास खंड में 2 से 3 क्लस्टर चुने जाएँ। चयनित क्लस्टरों में शामिल किसानों को उनका फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक कृषि सामग्री जैसे बीज, खाद या अन्य जरूरत की वस्तुएँ उपलब्ध करवाई जाएँ, ताकि किसान अपना उत्पादन बढ़ा सकें और कृषि में अपना रोजगार स्थापित कर सकें। यही इस योजना का प्रमुख लक्ष्य था। इस योजना के अंतर्गत जिला कांगड़ा में 37 क्लस्टरों का चयन किया गया है, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 1770 बीघा है। इन क्लस्टरों के अंतर्गत लगभग 1451 परिवार इस योजना से लाभान्वित होंगे।
पिछले वर्ष और इस वर्ष इस योजना के अंतर्गत की गई प्रमुख गतिविधियों में किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजनाएँ उपलब्ध कराना और उन पर अनुदान देना शामिल है। इसके अलावा किसानों को पाॅलीटनेल दिए गए हैं, ताकि वे नर्सरी तैयार कर अच्छी आमदनी कमा सकें। किसानों को हल्दी का बीज भी उपलब्ध कराया गया है, ताकि वे सरकार की हल्दी खरीद योजना का लाभ उठा सकें।
कुलदीप धीमान कहते हैं कि किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए उत्साहित किया जाता है, किसानों को वर्मी कम्पोस्ट के लिए भी अनुदान दिया जाता है और किसान अपने उत्पादन की अचार, चटनी इत्यादि बनाकर कैसे बाजार में विक्रय कर सकें इसके लिए भी किसानों की मदद की जाती है।
क्या कहते हैं हिम कृषि योजना के लाभार्थी:
धर्मशाला के समीप गांव डिक्टू झियोल की किसान अनिता कुमारी कहती हैं कि ‘‘हमारे गांव में कृषि विभाग की ओर से हमें 8 पाॅलीहाउस लगाए गए थे। इसके बाद हिम कृषि योजना के अंतर्गत हमें मार्गदर्शन मिला कि इनमें विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई जा सकती हैं। शुरुआत में हमने शिमला मिर्च लगाई और उसके बाद खीरा उगाना शुरू किया। वर्तमान में हमारे 8 पाॅलीहाउस चल रहे हैं और 8 और लगाए जाने हैं, इन पाॅलीहाउसों में ताइवान कंपनी के हीरो स्टार और हिम स्टार किस्म के खीरे लगाए गए हैं। एक पॉलीहाउस में लगभग 550 पौधे लगाए जाते हैं। मिट्टी तैयार करने के लिए हम इसमें देसी खाद, नीम केक, एमपी, कैल्शियम आदि डालते हैं। इन 8 पाॅलीहाउसों से हमें 10 से 12 टन उत्पादन मिलता है, और यदि फसल बहुत अच्छी हो जाए तो 20 टन तक भी निकल आता है। खीरा हम सब्जी मंडी, कांगड़ा तथा कुछ होटलों से संपर्क कर वहीं बेचते हैं। जहाँ पाॅलीहाउस नहीं लगाए जा सके, वहाँ हमने खुले में गोभी लगाई है। इसमें कुछ पौधे कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए और कुछ हमने स्वयं लगाए हैं। मेरे गांव के 28 किसान परिवार मेरे साथ जुड़े हुए हैं और सभी खेती कर रहे हैं। उन्हें भी कृषि विभाग और हिम कृषि योजना के तहत समय-समय पर प्रशिक्षण तथा बीज आदि उपलब्ध कराए जाते हैं। पूरे खर्च निकालने के बाद हम दो टर्म में लगभग ढाई लाख रुपये का लाभ कमा लेते हैं। फसल अच्छी होेने पर 2.5 से 3 लाख रुपये तक की आय हो जाती है। खीरे के बीज पर लगभग 10 हजार रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा खाद, दवाइयों आदि पर भी खर्च होता है। इन सभी खर्चों के बाद कुल मिलाकर ढाई लाख रुपये के लगभग आय हो जाती है।’ञ
इस योजना के तहत धर्मशाला के समीप गांव डिक्टू की किसान उषा देवी, विन्ता देवी, कमलेश और मनोहर सिंह कहते हैं कि उनके गांव में हिम कृषि क्लस्टर होने के कारण उन्हें अपने घर द्वार के समीप ही रोजगार मिला है और उनकी आर्थिकी भी सृदृढ़ हुई है वह इस योजना के लिए हिमाचल सरकार का धन्यवाद करते हैं

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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में छह दिवसीय राष्ट्रीय शोध कार्यशाला सम्पन्न
धर्मशाला, 22 नवम्बर: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में मानविकी एवं वाणिज्य विषयों पर आधारित छह दिवसीय राष्ट्रीय शोध कार्यशाला का आज समापन हुआ।
कार्यशाला के अंतिम दिवस एनआईटी हमीरपुर के सहायक आचार्य डाॅ. सचिन द्वारा मोडरेशन इन स्मार्ट पीएलएस विषय पर दो विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलन और विश्वविद्यालय कुलगीत के साथ किया गया। मंच संचालन हिन्दी विभाग के समन्वयक डाॅ. संजीव डढवाल ने किया।
समापन दिवस पर आयोजित विदाई समारोह में क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला के निदेशक प्रो. कुलदीप अत्री मुख्य अतिथि तथा विधि विभाग के प्राचार्य प्रो. डीपी वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि प्रो. अत्री ने अपने संबोधन में कहा कि शोध एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें शोधार्थियों को विशेष रूप से सामाजिक विज्ञान और वाणिज्य क्षेत्र में उपलब्ध तथ्यात्मक सामग्री का मूल्यांकन करना चाहिए ताकि शोध की मौलिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने तकनीकी युग में इंटरनेट संसाधनों के उपयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि शोध में पुनरावृत्ति और साहित्यिक चोरी को रोका जा सके।
उन्होंने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए कुलपति, विश्वविद्यालय प्रशासन तथा पूरे स्टाफ का धन्यवाद किया।
कार्यशाला के संयोजक डाॅ. हेत राम ठाकुर ने कार्यक्रम का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। समापन सत्र में कुल 100 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
कार्यशाला के सह संयोजक डाॅ. कुलदीप चन्देल, डाॅ. किशोर कुमार, डाॅ. राज कुमार, डाॅ. तिलक राज, डाॅ. विजेता पठानिया, डाॅ. श्वेता पठानिया, डाॅ. नमिता राणा, डाॅ. सुखवीर, डाॅ. विपिन, डाॅ. रोहित वर्मा, डाॅ. धीरज तथा कंचन बाला की उपस्थिति और योगदान से कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।