30 तक बंद रहेगी धंगोटा-दख्योड़ा-सठवीं सड़क
हमीरपुर 19 नवंबर। बड़सर उपमंडल में धंगोटा-दख्योड़ा-सठवीं सड़क की मरम्मत एवं उन्नयन कार्य के चलते इस सड़क पर यातायात 30 नवंबर तक बंद किया गया है।
इस संबंध में आदेश जारी करते हुए जिलाधीश अमरजीत सिंह ने बताया कि धंगोटा-दख्योड़ा-सठवीं सड़क के कार्य को सुचारू रूप से जारी रखने तथा इसे अतिशीघ्र पूरा करने के लिए इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही 30 नवंबर तक बंद की गई है। इस दौरान क्षेत्र के वाहन चालक महारल से होलट, जंगली, सठवीं और बाड़ा होते हुए धंगोटा तक आवाजाही कर सकते हैं।
जिलाधीश ने सभी वाहन चालकों से सहयोग की अपील की है।
============================================
प्राकृतिक खेती से मक्की उगाई, 40 रुपये प्रति किलो बेचकर की खूब कमाई
जिला हमीरपुर के 57 किसानों ने बेची 48 किवंटल से अधिक मक्की
हमीरपुर 19 नवंबर। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने तथा इसके माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के प्रदेश सरकार के प्रयास काफी अच्छे परिणाम सामने ला रहे हैं। जिला हमीरपुर में भी बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं।
प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए कृषि विभाग की आतमा परियोजना के माध्यम से नादौन और पक्का भरो में खोले गए खरीद केंद्रों में जिला के 57 किसानों से कुल 48 क्विंटल मक्की खरीदी गई है। इसकी खरीद प्रदेश सरकार द्वारा घोषित विशेष समर्थन मूल्य 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से की गई है।
आतमा परियोजना हमीरपुर के परियोजना निदेशक डॉ. नितिन शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए जिला में दो क्रय केंद्र बनाए गए थे। उन्होंने बताया कि नागरिक आपूर्ति निगम कार्यालय नादौन में 7 किसानों से 7.82 क्विंटल मक्की खरीदी गई। जबकि, हमीरपुर के निकट पक्का भरो में स्थित निगम के गोदाम में जिला के पांच विकास खंडों के किसानों ने मक्की बेची।
विकास खंड हमीरपुर के 8 किसानों से 7.21 क्विंटल, सुजानपुर विकास खंड के 3 किसानों से 3 क्विंटल, बमसन विकास खंड के 20 किसानों से 7.88 क्विंटल, बिझड़ी विकास खंड के 7 किसानों से 7.99 क्विंटल और भोरंज विकास खंड के 13 किसानों से 14.64 क्विंटल मक्की खरीदी गई।
कुल मिलाकर जिला के 57 किसानों से 48.658 क्विंटल मक्की की खरीद हुई। परियोजना निदेशक ने बताया कि जिला हमीरपुर में प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूर्ण कर लिया गया है।
============================================
सफलता की कहानी -सिर से पिता का साया उठा तो सुख शिक्षा योजना ने दिया सहारा
एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाई कर रहे हैं साक्षी और तेजस
इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना से प्रदेश सरकार दे रही है फीस और हॉस्टल का खर्चा
हमीरपुर 19 नवंबर। किसी भी परिवार के मुखिया यानि उस परिवार के पालक एवं पिता की अगर किन्हीं कारणों से असामयिक मृत्यु हो जाए तो वह परिवार तो पूरी तरह टूट जाता है। अगर उसकी पत्नी केवल गृहिणी ही हो तो फिर वह परिवार तो सिर्फ मानसिक एवं भावनात्मक रूप से ही नहीं टूट जाता है, बल्कि आर्थिक संकटों से भी घिर जाता है। बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करना भी मुश्किल हो जाता है। विधवा महिलाओं को अपने बच्चों की शिक्षा की चिंता सताने लगती है।
इसी प्रकार, तलाकशुदा या अन्य निराश्रित महिलाओं और दिव्यांग माता-पिता को भी अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा के प्रबंध के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रदेश भर में ऐसी हजारों महिलाओं एवं उनके बच्चों की दिक्कतों को समझते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना आरंभ की है।
इसी योजना के कारण आज नादौन उपमंडल के गांव तरेटी की गरीब महिला वीना देवी अपने दोनों बच्चों को एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ा पा रही हैं।
अप्रैल 2023 में पति की असामयिक मृत्यु के कारण वीना देवी पूरी तरह टूट चुकी थी। उन्हें बेटी साक्षी कौशल और बेटे तेजस कौशल की शिक्षा की चिंता सता रही थी। लेकिन, इसी दौरान उन्हें प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना-इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना का पता चला।
प्रदेश सरकार ने विधवा महिलाओं, तलाकशुदा और अन्य निराश्रित महिलाओं तथा दिव्यांग दंपत्तियों के बच्चों की शिक्षा के लिए इस योजना के तहत वित्तीय मदद का प्रावधान किया है। इसमें 18 वर्ष की आयु तक एक हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलती है और 18 से 27 वर्ष तक के बच्चों की सरकारी संस्थानों में उच्च शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा पर होने वाले खर्चों जैसे-फीस, हॉस्टल और मेस का खर्च भी प्रदेश सरकार देती है।
वीना देवी ने भी अपने दोनों बच्चों की शिक्षा के खर्चे के लिए आवेदन किया और उनका आवेदन तुरंत मंजूर भी हो गया। एनआईटी से केमिकल इंजीनियरिंग कर रही बेटी साक्षी कौशल को अभी तक इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के तहत लगभग डेढ़ लाख रुपये और बेटे तेजस कौशल को कंप्यूटर इंजीनियरिंग के पहले सेमेस्टर में ही लगभग 70 हजार रुपये की वित्तीय मदद मिल चुकी है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त करते हुए साक्षी और तेजस ने बताया कि इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना से उन्हें बहुत बड़ी राहत मिली है। इसी योजना के कारण वे आज एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में किसी भी तरह की चिंता के बगैर शिक्षा ग्रहण कर पा रहे हैं।
उधर, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि जिला में 18 वर्ष तक की आयु के 1510 पात्र बच्चों की शिक्षा के लिए इस वर्ष अभी तक 1.52 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी जा चुकी है। जबकि, 18 से 27 वर्ष तक के 162 युवाओं की शिक्षा के लिए भी 18.45 लाख रुपये से अधिक की राशि दी गई है।
=========================================
फलदार पौधों को कोहरे से बचाएं बागवान
उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार ने दी ऐहतियात बरतने की सलाह
हमीरपुर 19 नवंबर। उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार ने बताया कि तापमान मंे गिरावट और मौसम के खुश्क होने पर जिला हमीरपुर के विभिन्न क्षेत्रों में कोहरा पड़ने की आशंका बढ़ गई है। इसको देखते हुए सभी बागवान विशेष ऐहतियात बरतें और आम, पपीता, लीची तथा अन्य फलदार पौधों को कोहरे बचाने के लिए विशेष प्रबंध करें।
उपनिदेशक ने बताया कि सर्दी के मौसम में कोहरे के कारण हवा में नमी कम हो जाती है और कम तापमान की वजह से पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। इससे कई बार आने वाले वर्षों में भी फलदार पौधे कम फसल देते हैं। आम, लीची, पपीता, अमरूद और सिट्रस प्रजाति के सदाबहार फल-पौधों पर कोहरे का काफी प्रभाव देखने को मिलता है।
इसलिए, बागवान अपने फलदार पौधों की नियमित रूप से सिंचाई करते रहें। इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता है और पौधे पाले के नुकसान से बच जाते है। छोटे पौधों को पुआल से ढकें और ढकते समय दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रखें ताकि पौधों को धूप मिलती रहे। शाम के समय सूखे अवशिष्ट, घास तथा सूखे पत्तों को जलाकर, धुआं पैदा करके बगीचे का तापमान बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अनुशंसित मात्रा में पौधों में पोटाश डाल दें। इससे कोहरा सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है। फलदार पौधों की नर्सरियों मुख्यतः आम की नर्सरी को कोहरे के प्रभाव से बचाने हेतु फल पौधशालाओं को नायलॉन की छायादार जाली (50 प्रतिशत छाया) से ढक देना चाहिए। विभाग द्वारा बताई गई अनुशंसित खादें नत्रजन, फॉस्फोरस और पोटाश की खाद, गली-सड़ी गोबर में मिलाकर बैंड एप्लीकेशन (सतत पट्टी) के रूप में डालें तथा इसके ऊपर से मिट्टी और घास की मल्च से ढक दें। इसके अतिरिक्त कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या बोर्डाे मिक्सचर का लेप पौधों के तनों में करना उचित माना गया है।
अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी उद्यान प्रसार अधिकारी या विभाग के अन्य अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।
-0-