रोहतक, 1 नवम्बर। स्थानीय रेलवे रोड निवासी वित्तीय सलाहकार आयूष जैन ने अपनी बुलेट मोटरसाईकिल पर अकेले सम्पूर्ण भारत यात्रा सम्पन्न की। यह यात्रा 36 दिनों तक 17 राज्यों में चली तथा 10000 किलोमीटर का सफर पूरा किया। आयूष ने बताया कि उन्हें भ्रमण का शौक है तथा कुछ नया करने के रोमांच के चलते उन्होंने यह यात्रा शुरू की तथा देश के बड़े-बड़े नामचीन शहरों से होकर निकलना अपने आप में एक बहुत बड़ी स्पर्धा है। उन्होंने कहा कि भारत भ्रमण के शौक को पूरा करने के लिए अपने आप व ईश्वर पर भरोसा होना जरूरी है। अकेले पक्षी की तरह पंख फैलाये उडऩे में जो मजा है वो खुशी कहीं नहीं मिल सकती। कोई नियम नहीं, कोई शिकायत नहीं केवल प्रकृति का आनन्द लेते हुए चलते रहना कोई चिन्ता नहीं, कोई भय नहीं। प्रत्येक पलों के साथ नये-नये स्थानों का अनुभव, खाने-पीने, रहन-सहन, प्रकृति से जुडऩे, विभिन्न धर्मों को देखने का, विभिन्न संस्कृति के लोगों की वेश-भूषा, पहाड़ों, नदियों, समुद्रों व मौसम आदि को देखकर मैं अपने-आप में बहुत ही रोमांचित था।
आयूष ने बताया कि यात्रा करना मेरी एक सोच, जुनून व सपना था। ऐतिहासिक स्थानों को स्वयं आंखों से देखने की ठान ली थी। इसके बाद देखा कि सुरक्षा का कोई इन्तजाम व खाने-पीने का कोई पता नहीं था। लेकिन एक सपना था कि भारत के विभिन्न धार्मिक, ऐतिहासिक स्थानों को सडक़ मार्ग से देखना है। उन्होंने कहा कि अपना भारत बहुत सुन्दर व सुरक्षित राष्ट्र है। यहां के लोग बहुत प्यारे व सहायता करने वाले हैं, जो आपको कहीं और नहीं मिल सकते। मैं एक आध्यात्मिक व धार्मिक प्रवृत्ति का तो था ही लेकिन अब और अधिक बन गया हूं। इस यात्रा के दौरान मैंने सभी धर्मों के तीर्थ स्थानों का भी दौरा किया। जिसमें हिन्दी, बौद्ध, जैन, मुस्लिम व सिक्ख सभी धर्मों का निचोड़ एक ही है कि कर्म करो, जियो और जीने दो।
आयूष ने बताया कि हर स्थान का अपना महत्व है। इस सफर में मुझे शारीरिक, मौसम व बाईक सम्बन्धी बहुत सी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा लेकिन ईश्वर का साथ, बड़ों का आर्शिवाद व मेरे प्रिय मित्रों का अंगूठा (लाईक) हौंसला बढ़ाता रहा और मैं इसी हौंसले के साथ निडर होकर आगे बढ़ता रहा। मुझे इस यात्रा से एक यह भी अनुभव हुआ कि हमें अपनी पूंजी को जोडऩे में नहीं बल्कि अपने अनुभव स्वयं प्राप्त करने के लिए अधिक निवेश करना चाहिये। 
आयूष ने बताया कि सफर के दौरान कई लोगों से मुलाकात हुई। कुछ खट्टे-मीठे अनुभव इन्सान के व्यवहार के मिलते चले गये। इतनी छोटी सी अवधि में इन रास्तों पर कितने ही दिन स्पर्श का मौका मिला जो बहुत ही अलग था। इस यात्रा के बाद मैं और भी सकारात्मक हो गया हूं तथा हर सोच में सकारात्मकता आई है। 
आयूष जैन ने बताया कि अपनी इस भारत यात्रा के दौरान वह अजमेर, पुष्कर, उदयपुर, वडोदरा, अहमदाबाद, सूरत, मुम्बई, पुणे, गोआ, बैंगलुरू, मदुराई, कन्या कुमारी, वरकला, कोच्ची, कोयंबटूर, लेपाक्षी, हम्पी, हैदराबाद, विजयवाड़ा, विजग, पुरी, कोर्णाक, कोलकाता, धनबाद, वाराणसी, कानपुर, दिल्ली तक की यात्रा की। इस दौरान वे हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोआ, कर्नाटका, तमिलनाडू, केरला, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, वेस्ट बंगला, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश व दिल्ली आदि राज्यों की यात्रा की।