HISAR, 29.10.24-राजनीति और महाभारत में कोई फर्क नहीं रहा । सब जानते हैं कि महाभारत का युद्ध दो परिवारों के भाइयों के बीच लड़ा गया था क्योंकि दुर्योधन ने‌ दूत बन कर आये श्रीकृष्ण को कह दिया था कि वह पांच गांव‌ तो क्या पांडवों को सुई की नोक के बराबर भी ज़मीन नहीं देगा । फिर तो युद्ध तय हो गया और अपने ही अपनों के खिलाफ शस्त्र उठाकर खड़े हो गये ।
अब यही हाल राजनीति में हो गया है । हरियाणा की बात करो तो चौटाला परिवार आमने सामने डटने लगा है चुनाव मैदान में । लोकसभा चुनाव में तो ससुर चौ रणजीत चौटाला के सामने दो दो बहुयें चुनाव मैदान में आ डटी थीं- सुनैना व नैना चौटाला ! हालांकि तीनो हिसार लोकसभा क्षेत्र में हार गये ! अभी विधानसभा चुनाव में तोशाम से भाई बहन आमने सामने थे-श्रुति चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी ! चौ बंसीलाल की विरासत की लड़ाई दोनों लड़ रहे थे । सिरसा के रानिया और ऐलनाबाद में फिर‌ चौटाला परिवार आमने सामने तीर कमान लेकर खड़ा दिखाई दिया था । अब महाराष्ट्र में शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार आमने सामने हैं । यह रोचक मुकाबला बारामती में देखा जा सकता है । बारामती से शरद पवार के प्रत्याशी हैं युगेंद्र, जिनका नामांकन उन्होंने बेटी व सांसद सुप्रिया सुले के साथ जाकर करवाया जबकि बारामती से ही सातवीं बार अजित पवार ने नामांकन किया है और उन्होंने कहा कि जो गलती मैंने लोकसभा चुनाव में सुप्रिया के खिलाफ अपनी पत्नी को मैदान में उतार कर की थी, वही गलती अब चाचा शरद पवार कर रहे हैं । शरद पवार को ऐसा नहीं करना चाहिए था । युगेंद्र भी अजित पवार के भतीजे हैं यानी चाचा भतीजे का महाभारत जारी है महाराष्ट्र में भी जैसे हरियाणा में अभय चौटाला व‌‌ दुष्यंत चौटाला का महाभारत देखने सुनने को मिलता रहता है, ऐसे ही महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार का महाभारत भी अब नयी बात नहीं रह गयी ! यही क्यों सबसे बड़े राजनीतिक गांधी परिवार में भी देवरानी मेनका गांधी और जेठानी सोनिया गांधी अलग अलग राजनीतिक दलों में रहती हैं और संसद में भी आमना सामना करती रही हैं । राहुल गांधी और वरूण गांधी भी एक राजनीतिक दल में नहीं आ पाये, बेशक दोनों भाइयो़ं को आमने सामने लड़ाने की भाजपा की चाल सिरे नहीं चढ़ी थी ! इस बार तो वरूण गांधी के कांग्रेस में शामिल होने की बात उड़ती रही लेकिन बात नहीं बनी और मेनका गांधी भी सफल नहीं हुईं ! पर यह महाभारत जारी है । गांधी परिवार से प्रियंका गांधी पहली बार वायनाड से चुनाव मैदान में हैं ! परवीन शाकिर सही कहती हैं :
बिछड़ा है जो इक बार तो मिलते नहीं देखा
इस ज़ख्म को हमने कभी सिलते नहीं देखा!!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।
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