पंचकूला, 21.11.24-: विश्व सीओपीडी दिवस पर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, पारस हॉस्पिटल पंचकूला के डॉक्टरों की एक टीम ने फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के बारे में विभिन्न तथ्य और मिथक साझा किए। इस अवसर पर डा. रॉबिन गुप्ता पल्मोनोलॉजिस्ट, डा. एस के गुप्ता पल्मोनोलॉजिस्ट और डा. किरतार्थ पल्मोनोलॉजिस्ट एवं डा. पंकज मित्तल, फैसिलिटी डायेरक्टर पारस हेल्थ पंचकूला मौजूद थे।
विश्व सीओपीडी दिवस पर, पारस हेल्थ पंचकूला ने गंभीर अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी स्थितियों के लिए विशेष सेवाएं शुरू करके श्वसन देखभाल में सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। पारस हेल्थ पंचकूला ने इस दिन श्वसन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और रोगियों को बेहतर उपचार प्रदान करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। डा रॉबिन गुप्ता ने कहा कि यह पहल गंभीर अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए समर्पित है।
कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए पल्मोनोलॉजिस्ट डा रॉबिन गुप्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य रोगियों को अस्थमा पर बेहतर नियंत्रण पाने और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना है इस कार्यक्रम में समग्र उपचार अनुभव सुनिश्चित करने के लिए व्यायाम प्रशिक्षण, रोग प्रबंधन शिक्षा, व्यवहार परामर्श, पोषण सलाह और मनोसामाजिक सहायता शामिल की गई है। डा. रॉबिन गुप्ता ने सीओपीडी से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तंबाकू और धूम्रपान इस बीमारी के सबसे बड़े कारण हैं। सीओपीडी के मामलों को कम करने के लिए इन आदतों को रोकना आवश्यक है।
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. एस.के. गुप्ता ने कहा किपल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सीओपीडी के प्रभावी प्रबंधन के लिए जरूरी है। यह अस्पताल में भर्ती कम करने के साथ मरीजों को आत्मनिर्भरता और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में मदद करता है। इन सेवाओं से हर साल हजारों मरीजों को लाभ मिलेगा। अस्थमा प्रिसिजन क्लिनिक अपने पहले साल में 7,500 से अधिक मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज करेगा, जिससे श्वसन देखभाल को नई दिशा मिलेगी। डॉ. एस.के. गुप्ता ने कहा कि सीओपीडी हृदय रोग और कैंसर के बाद दुनिया भर में दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी है। अधिकतर लोग बढ़ती उम्र के साथ सांस फूलने और खांसी को सामान्य मानते हैं, लेकिन यह शुरुआती चेतावनी हो सकती है। सीओपीडी कई सालों तक बिना स्पष्ट लक्षणों के विकसित होती है और गंभीर स्तर पर पहुंचने के बाद लक्षण सामने आते हैं। यह फेफड़ों की एक प्रगतिशील बीमारी है, जो सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है।