चण्डीगढ़, 16.92.25- : वैसे तो हर माह में शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है, लेकिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि शिव भक्तों के लिए बेहद खास रहती है. क्योंकि, इस दिन शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। ये बात रसिक संत बाबा चित्र-विचित्र बिहारी दास महाराज ने ओम महादेव कांवड़ सेवादल द्वारा आयोजित पांचवीं शिव महापुराण कथा के दौरान प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए बताई। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि पर महादेव के भक्त शिवलिंग पूजा करते हैं। महाराज द्वय ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। शिव पुराण के अनुसार, इसी दिन शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस दिन शिवलिंग पूजा प्रधान मानी गई है। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ पंचोपचार विधि से करनी चाहिए। इससे भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, दूध, दही, मधु, घी और शक्कर अवश्य अर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं. जिस पर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाएं, उसका भाग्य चमक ही जाता है।