क्या भाजपा-जजपा ब्रेकअप फ्रेंडली है ? आपसी सहमति से ही दोनों राजनीतिक दल अलग हुए हैं‌ ? भाजपा के चाणक्य तो यही कह रहे हैं कि जजपा के साथ कोई खराब रिश्ता नहीं है । हम झगड़ा करके अलग नहीं हुए हैं । जजपा की सीटों को लेकर डिमांड थी, जिसे हम पूरा नहीं कर सकते थे । बस, एक प्वाइंट पर डिफरेंशियल ऑफ ओपिनियन हुआ है, हम अच्छे मूड में अलग हुए हैं । हमारा कोई झगड़ा नहीं हुआ। ‌कितनी सरलता से गठबंधन टूटने की वजह बताई और यह चर्चा क्यों है कि जजपा को रोहतक लोकसभा दी जा रही थी, जिससे जजपा ने पांव पीछे हटा लिए और अपनी अलग तैयारियों में जुट गयी । कितनी सीटों पर लोकसभा चुनाव मैदान में उतरेंगी, अभी जजपा नेतृत्व मंथन कर रहा है ।
यह इतना फ्रेंडली ब्रेकअप तो ऐसे बताया जा रहा है, जैसे आजकल फिल्मी सितारे कहते हैं, ब्रेकअप के बाद कि हमने बैठ कर आपस में फैसला कर लिया कि सहमति से अलग रहेंगे और‌ अलग हो गये, कोई इश्यू नहीं । अब राजनीतिक दल भी आम सहमति से गठबंधन की गांठ तोड़ने लगे तो क्या आश्चर्य की बात ? वैसे दिसम्बर में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा जरूर कह रहे थे कि अभी जजपा-भाजपा गठबंधन एक और गठबंधन करेगा और वह होगा गठबंधन तोड़ने का और कैसे भी यह गठबंधन सचमुच टूट ही गया ! अब इस गठबंधन को तोड़ कर जो दांव खेला गया है, वह कारगर होता या नहीं ‌? यह लोकसभा चुनाव परिणाम ही बतायेंगे । वैसे लगातार चर्चा है कि जजपा हिसार व भिवानी लोकसभा क्षेत्र पर फोकस कर रही है । अभी प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है और इसी से पता चलेगा कि कौन, किस पर भारी पड़ने वाला है ! मज़ेदार बात देखिए कि नये मुख्यमंत्री के विश्वास मत के समय जजपा ने विधानसभा से बाहर रहना ही उचित समझा । यह फैसला किस ओर इशारा करता है।
ऐसी चर्चा भी है कि कांग्रेस पिछली बार की तरह अपने‌ दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव के रण में उतार सकता है। अभी तो कांग्रेस भी मंथन कर रही है !
नक्शा उठा के कोई नया शहर देखिए
इस शहर में तो सबसे मुलाकात हो चुकी!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।
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