HISAR,18.03.24-सवारी के तौर पर बहुत अच्छे लोग भी मिलते हैं और बेकार लोग भी लेकिन मैं हैंडल कर लेती हूँ । यह कहना है‌ हिसार की महिला ऑटो चालक दीपिका का, जो अचानक दिखीं, जब मैं पारिजात चौक पर सवारी के लिए ऑटो ढूंढ रहा था और अचानक देखा कि चालक की सीट पर तो कोई महिला है । मैं खामोशी से डाबड़ा चौक उतरा और पूछा कि आपका इंटरव्यू लेना चाहूँ तो नम्बर दोगी ? उसने फटाफट अंग्रेज़ी में नम्बर लिखा और ऑटो स्टार्ट कर दिया । आज फिर मैंने नम्बर मिला ही दिया और दीपिका ने मेरे सवालों के जवाब दिये । दीपिका महावीर कालोनी में रहती हैं और सुबह सवेरे ऑटो लेकर निकल पड़ती हैं । वैसे यह भी पूछा कि हिसार में कुल कितनी महिला ऑटो चालक हैं? तीन चार हैं, बस।
-कहां की रहने वाली हो ?
-वैसे पटियाला से और फिर दस साल मम्मी पापा दिल्ली रहे, तो दिल्ली रही। फिर परिवार पटियाला वापस आ गया ।
-कितनी पढ़ाई लिखाई की?
-आठवीं तक दिल्ली के सरकारी स्कूल में ।
-फिर हिसार कैसे आईं?
-वही रोज़ी रोटी खींच कर हिसार ले आई ।
-फिर भी कोई तो होगा, जिसने हिसार बुलाया ?
-मेरी बड़ी बहन ललिता, यहीं उनकी शादी हूई है और पिछले दस साल से हिसार में हूं ।
-ऑटो चालक से पहले भी कहीं कोई और काम किया?
-जी, मैंने डीसी कालोनी में एक क्राकरी के शो रूम में काम किया ।
-फिर ऑटो चालक कैसे बन गयीं‌ ?
-ड्राइवरी का शौक ले आया ।
-पति क्या काय करते हैं ?
-पति अशोक भी ऑटो चालक हैं । तीन महीने ऑटो चलाना सीखा और फिर बन गयी ऑटो महिला चालक !
-बच्चे कितने हैं?
-दो। बेटा अतुल तेइस साल का और बेटी नताशा उन्नीस साल की है।
-क्या और शौक भी हैं कोई?
-पहले कविता कहानी पढ़ लेती थी, अब समय नहीं मिलता ! वैसे परिवार में ही मस्त रहकर खुश हूँ ।
-कैसे तजुर्बे हुए इन तीन महीनों में ?
-अच्छी सवारी भी मिलती है और बेकार भी मिलती है । पूछने लगते हैं कि ऑटो क्यों चला रही हो तो मैं रूखा सा जवाब देती हूँ कि तेरे के तकलीफ है और वो चुप कर जाते हैं।
हमारी शुभकामनाएं दीपिका को और उसके जज़्बे को सलाम!