HISAR,20.03.24-मैं तो समाजसेवा के काम करके ही बहुत खुश हूं, पिता पुत्र ही राजनीति करें, मैं तो तौबा करती हूं राजनीति से ! यहाँ कहना है पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष चौ भूपेंद्र सिंह की धर्मपत्नी आशा हुड्डा का । वे अंग्रेज़ी प्राध्यापिका रह चुकी हैं और लम्बे समय से समाजसेवा में ही व्यस्त हैं । फिर भी राजनीतिक परिवार से जुड़ी होने के चलते उनसे कुछ सवाल किये गये । यह खास बात नभ छोर के लिए की गयी।

-महिला होने के नाते हरियाणा सरकार महिलाओं के प्रति कितनी संवेदंशील है?
-यह तो जग जाहिर है कि कितनी संवेदनशील है सरकार ! पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को विधानसभा में सवाल पूछने पर कह दिया कि आप पर केस दर्ज हो सकता है । महिला के सवाल को विधानसभा में तो सुन लीजिये न ! महिला कोच के आरोपों‌ की जांच में इतना लम्बा समय लगाना, ये सब किस संवेदनशीलता की ओर संकेत कर रहे हैं?
हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार क्या सही है?
-संविधान सम्मत तो नहीं पर कौन सा कानून लाये, ये वही जानें।
-गठबंधन तोड़कर यह चर्चा है कि एक समाज की वोट बांटने की कोशिश है । ‌आप क्या कहेंगी?
-समाज को बांटने का काम तो करते आ रहे हैं । समाज को क्या चाहिए ? समाज की तरक्की ओर विकास लेकिन बांटने की नीति है। आपसी सौहार्द्र और कानून व्यवस्था बनाये रखना प्राथमिकता होनी चाहिए न कि समाज को बांटने की नीति !
-क्या ऐसा कोई काम है जो इस सरकार ने किया हो आपकी नज़र में?
-नौ साल से पेपर लीक हुए हैं । चेयरमैन ही हटाने पड़े । अटैची पैसों से भरे मिलें, ऐसे काम सामने आते रहे ।
-यह तो नो पर्ची, नो खर्ची वाली सरकार है और यह बात हर मंच पर कही जाती है। ‌आप कैसे कह रही हैं ?
-यह सिर्फ चुनावी नारा भर है । युवा पीढ़ी को गुमराह किया जा रहा है । पेपर रद्द हो जाते हैं और युवाओं में निराशा बढ़ जाती है !
-कभी आप राजनीति में आयेंगी, कोई चुनाव लड़ेंगी?
-नहीं बिल्कुल भी नहीं। पिता पुत्र ही राजनीति करें, मैं तो समाजसेवा करके ही खुश हूं। मेरी राजनीति से तौबा! मैं तो समाजसेवा में ही रहना चाहती हूं।