DHARAMSHALA,21.11.25-उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने विपक्ष को संदेश देते हुए कहा कि यह समय धर्मशाला में होने वाले आगामी शीतकालीन विधानसभा सत्र को घेरने की रणनीति बनाने का नहीं है, बल्कि हिमाचल के वैध हक और अधिकारों को केंद्र सरकार से दिलाने में एकजुट होकर प्रदेश सरकार की मदद करने का है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के हित सर्वोपरि हैं और इसमें राजनीति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत सितंबर माह में हिमाचल प्रदेश को आपदा राहत हेतु 1500 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की थी, जबकि प्रदेश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के व्यापक नुकसान का आकलन किया गया था। खेद का विषय है कि घोषित 1500 करोड़ रुपये की यह राशि भी आज तक प्रदेश को प्राप्त नहीं हो पाई है, जिसके कारण आपदा प्रभावित परिवार अब भी सहायता की प्रतीक्षा में हैं।
उन्होंने आग्रह किया कि विपक्ष को राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर राज्य हित को प्राथमिकता देते हुए केंद्र सरकार से इस राहत राशि को शीघ्र उपलब्ध करवाने में सरकार का सहयोग करना चाहिए।
शाहपुर के विधायक एवं उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में हिमाचल प्रदेश के वैध अधिकारों और हितों को जिस दृढ़ता और तथ्यों के आधार पर उठाया गया है, वह पूरे प्रदेश की आवाज है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ की भूमि और परिसंपत्तियों में हिमाचल के 7.19 प्रतिशत हिस्से की मांग को जिस तार्किक तरीके से रखा है, वह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 और सर्वोच्च न्यायालय के 2011 के निर्णय के पूर्ण अनुरूप है।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का यह 7.19 प्रतिशत हिस्सा न केवल चंडीगढ़ में हिस्सेदारी का आधार है, बल्कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा उत्पादित बिजली में हिस्सेदारी का भी अधिकार है। मुख्यमंत्री ने बीबीएमबी से लंबित बकाया राशि जारी करने, और बोर्ड में हिमाचल से एक स्थायी सदस्य की नियुक्ति की मांग कर प्रदेश के अधिकारों की मजबूत वकालत की है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं में राज्य को 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली राॅयल्टी की नीति लागू करने और लागत पूरी कर चुकी परियोजनाओं में यह राॅयल्टी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग पूरी तरह न्यायसंगत है। साथ ही, 40 वर्ष पूरे कर चुकी परियोजनाओं को हिमाचल को वापस सौंपने की मांग राज्य के आर्थिक हितों को सुरक्षित करेगी।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने किशाऊ और रेणुका बांध परियोजनाओं के विद्युत घटकों के लिए पूर्ण केंद्रीय वित्त पोषण और इनके पूर्ण होने के बाद हिमाचल-उत्तराखंड को 50-50 प्रतिशत विद्युत प्रदान करने की मांग कर पहाड़ी राज्यों के हितों को मजबूती से उठाया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा आपदा राहत नियमों की समीक्षा, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के बीच एकीकृत, परस्पर निर्भर और सतत् विकास ढांचे की आवश्यकता, तथा हिमाचल प्रदेश के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की आपदा सहायता की मांग को प्रदेश के भविष्य के लिए निर्णायक बताया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार, छोटे हवाई अड्डों एवं हेलीपोर्टों के निर्माण के लिए पूर्ण केंद्रीय सहयोग की जो मांग उठाई है, वह राज्य के पर्यटन और रणनीतिक महत्व को देखते हुए अत्यंत आवश्यक है।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में उच्च ऊंचाई अनुसंधान केंद्र, आइस हाॅकी स्टेडियम, साहसिक खेल केंद्र, प्रशिक्षण सुविधाओं एवं स्पीति में राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान परियोजना की स्थापना का प्रस्ताव क्षेत्रीय पर्यटन व स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है। शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने की पुनः मांग भी सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन को नई दिशा देगी।
नशा विरोधी अभियान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा चिट्टा जैसे खतरनाक पदार्थों के उन्मूलन के लिए चलाया गया तीन महीने का व्यापक अभियान और नशा पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के प्रयास प्रदेश को नशामुक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विपक्ष को हमेशा राजनीति करने के बजाय प्रदेश के हित के इन मुद्दों पर हिमाचल सरकार का साथ देना चाहिए जिससे हम प्रदेश के लोगों के वर्तमान और भविष्य को और बेहतर कर सकें।