सोलन,20.03.25- एक देश एक चुनाव ‘‘वन नेशन वन इलैक्शन’’ पर एक संगोष्ठी सोलन में सम्पन्न हुई जिसमें मुख्य अतिथि के नाते बोलते हुए डाॅ. राजीव बिन्दल, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा ने कहा कि वन नेशन वन इलैक्शन आज देश की आवश्यकता बन गया है। आये दिन देश के किसी न किसी हिस्से में चुनाव होता रहता है और राज्यों में भी स्वायत संस्थाओं के चुनाव होते रहते हैं जिसके कारण देश की ताकत, ऊर्जा, समय और धन का भारी अपव्यय होता है।
डाॅ. बिन्दल ने कहा कि भारत ने जब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को स्वीकार किया, अंगीकार किया, लागू किया उस समय पूरे देश में एक साथ ही चुनाव होते थे। तीन चुनावों तक यही सिलसिला चलता रहा और लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। यहां तक कि पंचायतीराज व नगर निकायों के चुनाव भी इसके साथ ही होते थे।
संगोष्ठी में बोलते हुए डाॅ. बिन्दल ने कुछ मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया कि संविधान की शक्तियों का दुरूपयोग करने पर ही चुनावो के समय में परिवर्तन आया। कांग्रेस की केन्द्र सरकारों ने समय-समय पर अपने राजनीतिक हित साधन के लिए प्रदेश की सरकारों को उनकी निर्धारित समयावधि से पूर्व तोड़ दिया गया और राष्ट्रपति शासन लगाया गया। इतना ही नहीं जब केन्द्र की कांग्रेस सरकार को यह लगा कि अब समय चुनावों के लिए उपयुक्त है, तो चुनाव करवा दिया गया और सत्ता में स्थापित हो गए। उन्होनें कहा कि धारा 356 का सर्वाधिक दुरूपयोग स्व0 प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री राजीव गांधी व कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने किया। परिणामस्वरूप पूरे देश का चुनावी ढांचा बदल गया और अब चुनाव अलग-अलग समय पर अलग-अलग स्थानों पर होते रहते हैं जो देश के लिए बहुत हानिकारक है।
इस मौके पर बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष भाजपा ने देश में लगाए गए आपातकाल की ओर प्रबुद्धजनों का ध्यान आकर्षित किया और प्रदेशवासियों को याद दिलाया कि 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगाकर पूरे देश की शक्तियां श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने हाथ में लेकर देश में तानाशाही लागू कर दी, लोकतंत्र की हत्या कर दी, संविधान में बहुत बड़े-बड़े मौलिक परिवर्तन कर दिए। 5 साल में होने वाला लोकसभा चुनाव उसकी अवधि को 6 साल कर दिया। डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर और उनके साथ देशभक्त टीम ने जो मूल भावनाएं रखी थी उनमें परिवर्तन करते हुए प्रिएम्बल में धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्दों का प्रयोग करके मूल भावना को बदल दिया।
डाॅ. बिन्दल ने कहा कि राज्य सरकारों को राजनैतिक आधार पर तोड़ने और राष्ट्रपति शासन लगाने से देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा। राज्यों के रहने वाले लोगों का विश्वास केन्द्र पर से कम हुआ और बार-बार चुनावो की भट्ठी में देश को झोंक दिया गया। उदाहरण के लिए श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन पर कुठाराघात करते हुए उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश इन चारों राज्यों की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। यदि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो देश के समय की बर्बादी रूकेगी, देश के पैसे की बर्बादी रूकेगी। सरकारो द्वारा लिए जाने वाले निर्णय, चुनाव की राजनीति के कारण बार-बार प्रभावित नहीं होंगे और विकास प्रक्रिया वाधित नहीं होगी। यह भी विषय संगोष्ठी में रखा गया कि जब विश्व के अमेरिका जैसे बड़े-बड़े देश एक साथ, एक ही वोट से देश का चुनाव सम्पन्न कर सकते हैं तो भारत में यह क्यों संभव नहीं है ? जबकि भारत में पहले ऐसा होता रहा है।
कांग्रेस की नीतियों पर कटाक्ष करते हुए डाॅ. बिन्दल ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए राज्य सरकारों को समय-समय पर ध्वस्त करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का काम किया जिससे देश की आर्थिक स्थिति और लोकतांत्रिक ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा।