चण्डीगढ़, 18.12.25- : विश्व पंजाबी संगठन और ग्लोबल इंटरफेथ हार्मनी फ़ाउंडेशन, चण्डीगढ़ ने आज अपने अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विक्रमजीत सिंह साहनी के नेतृत्व में विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक अंतरधार्मिक सम्मेलन का आयोजन लिया। इस सम्मेलन में भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे।

सम्मेलन में सिख, हिंदू, इस्लाम, ईसाई और जैन धर्म के शीर्ष धार्मिक गुरु भारत की धार्मिक आज़ादी, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सद्भाव के विचार के लिए एक साथ आते हुए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई ।

भारत के उपराष्ट्रपति, सीपी राधाकृष्णन ने श्री गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि दी और उनकी शहादत को भारत के धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों की नैतिक नींव बताया। उन्होंने कहा कि 1675 में गुरु जी का बलिदान धार्मिक आज़ादी की रक्षा में हिम्मत की निशानी है और इस बात पर ज़ोर दिया कि यह सम्मेलन भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के मूल्यों को दर्शाता है। उपराष्ट्रपति ने ज़ोर दिया कि असहिष्णुता को दूर करने और विभिन्न धार्मिक और क्षेत्रीय लोगों वाले देश में एकता को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग धर्मों के बीच संवाद ज़रूरी है।

इस अवसर पर डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के सर्वोच्च बलिदान को मानव अधिकारों के लिए वैश्विक इतिहास में एक अहम पल के तौर पर याद किया। उन्होंने कहा कि धार्मिक आज़ादी एक सभ्य समाज की नींव है और इस बात पर ज़ोर दिया कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत सिर्फ़ एक धर्म के लिए नहीं थी, बल्कि हर इंसान के बिना डरे अपने धर्म को मानने के अधिकार को बनाए रखने के लिए थी और यही धर्मनिरपेक्षता की सच्ची भावना है। आज के बँटे हुए समय में, गुरुजी का संदेश शांति और इंसानियत को मूल मानते हुए अलग-अलग धर्मों के बीच एकता का संदेश देता है, ये कहना था डॉ. साहनी का।