पंचकूला, 22.09.24- : भगवान का वजन है यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भवति भारत.. इस वचन से वह बताते कि मैं सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश करने के लिए ही जन्म लेता हूं। यह सार चौथा दिवस की श्रीमद्भागवत कथा का रहा। इन दिनों चल पितृपक्ष चल रहे हैं। इसके तहत पंचकूला माता मनसा देवी परिसर के संस्कृत गुरुकुल श्रीमुक्तिनाथ वेद विद्याश्रम में पितरों के निमित्त श्रीमद भागवत कथा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ चल रहा है। कहा - वास्तव में भगवान को कोई भी प्राप्त कर सकता है। भक्त प्रहलाद असुर कुल में जन्म लेकर भी भगवान को प्राप्त किया। भगवान को पाने के लिए सिर्फ दिल में प्रेम होना चाहिए। फिर चाहे वह भक्त चाहे किसी भी जाति, धर्म, अवस्था का क्यों न हो। भगवान तो प्रेम के भूखें हैं। भक्त से ही भगवान है।
स्वामी जी ने भगवान वामन का वर्णन करते हुए कहा, त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने खुद वामन के रूप में अदिति के गर्भ से अवतार लिया। और राजा बलि से तीनों लोक लेकर देवताओं को दिए। राजा बली को पाताल लोक का राजा बनाया।
राेजाना देव पूजन-हवन, और तर्पण किया जा रहा
इस ज्ञान यज्ञ में कोई भी यजमान बन सकता है। रोजाना देव पूजन, पितृ तर्पण और हवन यज्ञ किया जा रहा है। 24 सितम्बर तक रोज सुबह 8 से 9 बजे तक देव पूजन, फिर सुबह 9 बजे से 10:15 बजे तक पितृ तर्पण एवं हवन होगा। इसके बाद शाम में 4 बजे से 7 बजे तक श्रीमद् भागवत कथा रोजाना होगी। आखिरी दिन 24 सितम्बर को देव पूजन एवं पितृ तर्पण होगा। तर्पण एवं हवन पूर्णाहुति सुबह 10 बजे से 12 बजे तक होगी। रोजाना कथा के खत्म होने के बाद भंडारा प्रसाद बांटा जा रहा है।