*धान की सरकारी खरीद ना होने के कारण किसानों में सरकार के प्रति बड़ा भारी रोष है- बजरंग गर्ग

*सरकार राईस मिलरों की समस्या का समाधान नहीं करेगी तो मिलर धान को अपनी मिलों में नहीं लगाएगा- बजरंग गर्ग

*सरकार की तरफ लगभग 100 करोड रुपए से ज्यादा मिलरों के बाकी है सरकार को तुरंत प्रभाव से मिलरों का भुगतान करना चाहिए- बजरंग गर्ग

*भाजपा सरकार में एफसीआई विभाग के अधिकारी चावल गोदाम लगाने के नाम पर 10 हजार रुपए गाड़ी खुलेआम ले रहे है- बजरंग गर्ग

*भाजपा सरकार में व्यापारी व राइस मिलर लुटा रहा है और किसान पिट रहा है- बजरंग गर्ग

*भाजपा सरकार में राईस मिलरों की चेकिंग के नाम पर पुलिस बिठाकर सरकारी अधिकारियों ने दोनों हाथों से लूटने का काम किया है- बजरंग गर्ग

*सरकार 1 क्विंटल धान के बदले 67.5 किलो चावल की बजाएं 60 किलो चावल लेने का नियम बनाना चाहिए- बजरंग गर्ग

*सरकार को धान पिनाई 10 रुपए क्विंटल की बजाएं 120 रुपए राइस मिलों को देनी चाहिए- बजरंग गर्ग

*सरकार की गलत नीतियों से हरियाणा में चावल उद्योग बर्बादी की करगार पर है- बजरंग गर्ग

चंडीगढ, 29.09.24-- हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व हरियाणा कांन्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने राईस मिलर,आढ़ती व किसानों से बातचीत करने के उपरांत कहा कि किसान अपना धान बेचने के लिए मंडियों में धक्के खा रहा है लगभग 95 हजार टन से ज्यादा धान मंडियों में पड़ा है। धान की सरकारी खरीद ना होने के कारण किसानों में सरकार के प्रति बड़ा भारी रोष है। जबकि पिछले चार सीजन का लगभग 100 करोड़ रुपए से ज्यादा राइस मिलरों का सरकार की तरफ जो बकाया है। सरकार जो राइस मिलरों को धान देती है और 100 किलो धान के बदले सरकार ने 67.5 किलो चावल लेने का नियम बनाया हुआ है जो सरासर गलत है जबकि 100 किलो धान में 60 किलो चावल ही निकलता है। सरकार को मिलरों से 60 किलो चावल लेने का नियम बनाना चाहिए। बजरंग गर्ग ने कहा कि धान की पिनाई करके चावल निकालने की मिलिंग 30 सालों से सिर्फ सरकार राईस मिलरों को 10 रुपए प्रति क्विंटल दे रही है जबकि धान पिनाई का खर्च लगभग 120 रुपए प्रति क्विंटल आता है। आज कल लेबर खर्च अनाप-शनाप बढ़ चुके हैं। राईस मिलरों को लागत का बैंक ब्याज इनकम तक नहीं होती। सरकार को धान पिनाई का 120 रुपए प्रति क्विंटल राइस मिलरों को देना चाहिए। श्री गर्ग ने कहा कि भाजपा सरकार में खुलेआम भ्रष्टाचार का बोलबाला है। राईस मिलर जो चावल की गाड़ियां एफसीआई के लगता है। चावल पास करने के नाम पर 10‌ हजार रुपए रिश्वत के नाम पर खुलेआम एफसीआई के अधिकारी राईस मिलरों से ले रहे हैं अगर जो राइस मिलर पैसे नहीं देता है तो उसका चावल एफसीआई के अधिकारी जानबूझकर रिजेक्ट कर देते हैं। जब तक सरकार राइस मिलरो का समाधान नहीं कर देती है तब तक मिलर धान को‌ अपनी मिलों में नहीं लगाएगा। सरकार की गलत नीतियों से हरियाणा चावल उद्योग बंद होने के कगार पर है।

बजरंग गर्ग ने कहा कि भाजपा सरकार में व्यापारी व राइस मिलर लुटा है और किसान पिटा है। आज भाजपा सरकार से व्यापारी व उद्योगपति बेहद दुखी है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा सरकार ने राइस मिलरों की चेकिंग के नाम पर मिलरों में पुलिस बिठा दी गई थी और चेकिंग के नाम पर सरकारी अधिकारियों ने राईस मिलरों को दोनों हाथों से लूटने का काम किया है।