चण्डीगढ़,13.11.24- : आज श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, सेक्टर 20 में मठ मंदिर के संस्थापक श्री भक्ति दायित्व माधव गोस्वामी जी महाराज जी का 120वां जन्म महोत्सव बहुत ही हर्ष उल्लास, धूमधाम एवं विधि विधान से मनाया गया। मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि आज का दिन भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण एवं विशेषता प्रातः काल से भक्तों में उमंग उल्लास भर हुआ था। सर्वप्रथम मंगल आरती का आयोजन किया गया। उसके बाद प्रभात फेरी निकाली गई व उसके बाद संकीर्तन महायज्ञ एवं प्रवचन का आयोजन किया गया। त्रिदंडी स्वामी श्रीमद भक्ति दायित्व माधव गोस्वामी महाराज जी के जन्म तिथि के उपलक्ष पर उनका आज अभिषेक किया गया। 120 देसी घी के दीपकों से उनकी आरती उतारी गई। 56 तरह के व्यंजनों का उन्हें भोग लगाया गया। मंदिर को आज फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया हुआ था। चंडीगढ़ मठ के सन्यासी स्वामी बामन जी महाराज जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए बताया कि श्री भक्ति दायित्व माधव गोस्वामी जी महाराज का आज ही के दिन अविभाजित भारत, वर्तमान बांग्लादेश में काँचन पारा जिले में श्री निशिकांत बंधोपाध्याय जी के घर में जन्म हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि भगवत भक्ति की तरफ थी। बहुत छोटी ही उम्र में वह तपस्या करने के लिए हिमालय पर्वत की तरफ प्रस्थान कर गए थे। वहां पर उन्हें आकाशवाणी हुई वापस जाकर आप शुद्ध कृष्ण भक्ति का प्रचार प्रसार करो। वहां से लौटकर उन्होंने पूरी दुनिया में शुद्ध कृष्ण भक्ति हरे कृष्ण नाम आंदोलन के प्रणेता श्री भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद जी से हरि नाम दीक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात उन्होंने पूरे भारतवर्ष में उत्तर से दक्षिण पूर्व से पश्चिम चैतन्य गौड़ीय मठ नामक ऐसी संस्था की स्थापना की जिसमें शुद्ध कृष्ण भक्ति प्राप्त करने के लिए बिना किसी जाति धर्म रंग भेद के कोई भी व्यक्ति आकर भगवान कृष्ण की भक्ति प्राप्त कर सकता है। उन्होंने आज से लगभग 54 वर्ष पूर्व चंडीगढ़ मठ की सन 1971 में स्थापना की थी। आज उन्हीं के आशीर्वाद से चंडीगढ़ गौडिया मठ में लाखों की संख्या में शुभचिंतक जुड़े हुए है। इसी के साथ ही पिछले एक महीने से चंडीगढ़ मठ में आयोजित कार्तिक मास का आज देव उठानी एकादशी में समापन हो गया। भारी संख्या में भक्तों ने कार्तिक मास व्रत नियम का पालन किया। श्री माधव गोस्वामी जी महाराज जी की जन्म तिथि की खुशी में दोपहर को भोग आरती के समय भक्तों ने भारी संख्या में एकत्रित होकर नृत्य गान संकीर्तन एवं फूलों की वर्षा की और उत्थान एकादशी के व्रत पालकों ने फलाहार का प्रसाद ग्रहण किया।