जयपुर, 21 जनवरी-प्रदेश सरकार के नगर नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्मानी ने मंगलवार को जयपुर, राजस्थान में आयोजित क्षेत्रीय कार्यशाला ऑन रिन्यूएबल एनर्जी में भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा किया गया।

मंत्री धर्मानी ने अपने संबोधन में कहा कि हरित ऊर्जा संक्रमण समय की मांग है, और इसे साकार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सामंजस्यपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री कुसुम योजना, पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना, और पुराने विंड पार्कों के पुन: उर्जा उत्पादन जैसी पहलों पर चर्चा करते हुए कहा कि ये योजनाएं ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं।


उन्होंने हिमाचल प्रदेश की उपलब्धियां साझा करते हुए कहा कि राज्य मार्च 2026 तक "ग्रीन एनर्जी स्टेट" बनने का लक्ष्य लेकर कार्य कर रहा है। वर्तमान में राज्य की 93% ऊर्जा उत्पादन क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा 550 मेगावाट सौर ऊर्जा और 900 मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा के लिए सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा खरीद समझौतों का उल्लेख किया।

उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में उच्च लागत, जलवायु प्रभावों और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी जैसी चुनौतियों पर चर्चा की। मंत्री ने कहा कि ऊर्जा भंडारण, आधुनिक ग्रिड तकनीक, और केंद्र-राज्य समन्वय से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।


मंत्री धर्मानी ने सुझाव दिया कि अपशिष्ट भूमि और छतों पर सौर परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही, जैव विविधता से भरपूर क्षेत्रों को संरक्षित करते हुए ऊर्जा उत्पादन में संतुलन बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए हरित बांड और वित्तीय नवाचारों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

इस कार्यशाला में राज्यों के ऊर्जा मंत्री और विशेषज्ञों ने हरित ऊर्जा के भविष्य पर चर्चा की। मंत्री धर्मानी ने कहा कि यह मंच नई ऊर्जा योजनाओं पर विचार-विमर्श और साझा प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे हरित और स्थायी ऊर्जा के लिए अपने विचार और अनुभव साझा करें।

मंत्री ने कहा, "हमारा उद्देश्य भारत को नवीकरणीय ऊर्जा में वैश्विक नेता बनाना और स्वच्छ, हरित और स्थायी भविष्य सुनिश्चित करना है।"