मंडीः 12 फरवरी, 2025-मन में काम करने का जज्बा, थोड़ा सा प्रोत्साहन और कड़ी मेहनत। यह कहानी है मंडी के नजदीकी गांव बायर के रमेश चंद की। ऑटो रिक्शा को स्वरोजगार से जोड़कर वे आज न केवल परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं अपितु बच्चों को बेहतर उच्च शिक्षा प्रदान करने में भी सक्षम हुए हैं। इसमें सहायक बना है हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम।
प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंधित परिवारों को आर्थिक स्वावलंबन प्रदान करने के लिए निगम के माध्यम से संचालित योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन्हीं में से एक योजना के लाभार्थी रमेश चंद भी हैं।
मंडी जिला की सदर तहसील के गांव बायर के स्थाई निवासी रमेश चंद वर्षों से ऑटो रिक्शा चला रहे हैं। उनका ऑटो काफी पुराना हो चुका था। नए ऑटो की कीमत लगभग 2 लाख 43 हजार रुपये थी, जिसे खरीदने के लिए उनके पास एकमुश्त इतनी राशि उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में उन्होंने वर्ष 2023 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास निगम के कार्यालय में ऋण के लिए आवेदन किया। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम के माध्यम से उन्हें नया ऑटो खरीदने के लिए 6 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण स्वीकृत हुआ। रमेश को लगभग 23 हजार रुपए की राशि ही अपनी जेब से खर्च करनी पड़ी।
अब रमेश चंद हर माह ऑटो चलाकर औसतन 25 हजार रुपये कमा रहे हैं, जिससे वे हर माह पांच हजार रुपये की किश्त ऋण वापस करने के लिए जमा कर रहे हैं। साथ ही अपने परिवार का भी अच्छे से भरण-पोषण कर रहे हैं।
रमेश चंद ने बताया कि वर्तमान में ऑटो की कमाई से उन्होंने बेटे को हाईड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षा दिलाई तथा बेटी भी निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री की पढ़ाई कर रही है।
रमेश चंद ने ऑटो खरीदने के लिए दिए गए ऋण तथा उपदान राशि उपलब्ध करवाने के लिए निगम तथा राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि अगर उन्हें ऑटो खरीदने के लिए सीधे बैंक से लोन लेना होता तो कहीं ज्यादा ब्याज इस पर देना पड़ता। उन्होंने बेरोजगार युवाओं का आह्वान किया कि वे राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रोत्साहन योजनाओं का अवश्य लाभ उठाएं।
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम द्वारा प्रदेश में स्वरोज़गार योजना, हस्तशिल्प विकास योजना, ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण, हिम स्वावलंबन योजना, दलित वर्ग व्यावसायिक योजना, हस्तशिल्प विकास योजना सहित विभिन्न योजनाएं प्रदेश में शुरू की गई हैं, जिसका लाभ इस वर्ग के लोग उठा रहे हैं।
वर्तमान सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में जनवरी, 2025 तक जिला मंडी में निगम की विभिन्न योजनाओं के तहत 53.75 लाख रुपये की राशि व्यय की गई, जिस पर 4.14 लाख रुपए का उपदान निगम द्वारा लाभार्थियों को दिया गया। इस अवधि के दौरान 227 लोग लाभान्वित हुए हैं। निगम की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसी भी कार्यदिवस में जिला या उपमंडल कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।
उपायुक्त अपूर्व देवगन का कहना है कि जिला में अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास निगम के माध्यम से लोगों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जा रहा है। अधिक से अधिक लोग इन योजनाओं का लाभ उठा पाएं, इसके लिए संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं।