चण्डीगढ़, 26.03.24- : श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, सेक्टर 20 में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म महोत्सव, गौर पूर्णिमा एवं होली महोत्सव बहुत ही उल्लास और धूमधाम से मनाए गए। मठ मंदिर के प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि गौर पूर्णिमा एवं होली महोत्सव के उपलक्ष पर भक्तों में प्रातः काल से ही उमंग एवं जोश भरा हुआ था। मंगल आरती के पश्चात प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। तत्पश्चात सुबह से सायंकाल तक भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी के जीवन के बारे में कथा का आयोजन हुआ। मठ के स्वामी वामन जी महाराज जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए बताया कि आज ही के दिन बंगाल प्रांत के नवदीप धाम नामक स्थान पर गंगा के किनारे प्रेम अवतारी भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने अवतार लिया। द्वापर त्रेता युग में भगवान ने दुष्टों का उद्धार करने के लिए शस्त्र अस्त्र का प्रयोग किया था लेकिन कलयुग में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने हरि नाम संकीर्तन को ही अपना माध्यम बनाया।

उन्होंने बताया कि केवल हरि नाम संकीर्तन करने से ही जीवो के सब पाप नष्ट हो जाते हैं। आज जो संकीर्तन किया जाता है, उसके जनक चैतन्य महाप्रभु जी ही थे। वृंदावन-बरसाना-नंदगांव-गोकुल आदि यह सब समय अनुसार लुप्त हो चुके थे। चैतन्य महाप्रभु जी ने ही इन लुप्त तीर्थ को खोज निकाला। सायं काल में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी का पंचामृत से अभिषेक किया गया।उन्हें आकर्षक सुंदर पोशाक और आभूषण भेंट किए गए व 56 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया गया। तत्पश्चात भारी संख्या में उपस्थित भक्तजनों ने रंग बिरंगी फूलों की होली खेली व नृत्य संकीर्तन कर आनंद प्राप्त किया।