पंचकूला, 21 दिसंबर:स्वदेशी जागरण मंच की ओर से आयोजित दस दिवसीय स्वदेशी महोत्सव 2025 में विरासत दि हेरिटेज विलेज, कुरुक्षेत्र द्वारा लगाई गई विरासत सांस्कृतिक प्रदर्शनी मेले का प्रमुख आकर्षण बनी हुई है। मेले में हरियाणा की ग्रामीण संस्कृति, लोक परंपराओं और स्वदेशी जीवनशैली को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसे देखने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।
स्वदेशी मेले के दूसरे दिन डॉ राजेश गोयल उत्तर क्षेत्र संयोजक ने मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री के ओएसडी डॉ. राज नेहरू और भारत भूषण भारती का पुष्प गुच्छे देकर स्वागत किया ने राजेश जी नेउन्होंने मेले का अवलोकन करते हुए विरासत प्रदर्शनी, स्वदेशी उत्पादों और सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में बताएं । इसी दिन स्वदेशी पर आधारित एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 125 कवियों ने भाग लेकर अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों द्वारा सभी कवियों को गौरव सम्मान और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कवि सम्मेलन में हास्य-व्यंग्य, कविताएं और ग़ज़लों की शानदार प्रस्तुति देखने को मिली। कवियों ने जहां एक ओर समाज और समसामयिक विषयों पर कटाक्ष किया, वहीं दूसरी ओर स्वदेशी की भावना को अपनी रचनाओं के माध्यम से मजबूती से प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय कवि हरि ओम पंवार, सुरिंदर सिंगला, सुंदर कटारिया, खुशबू (दिल्ली), यश कंसल, दास आरोही आनंद, मंजू चौहान, प्रतिभा माही सहित अनेक कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब हंसाया और तालियां बटोरीं। विशेष अतिथि के रूप में अजय मित्तल, रमाकांत भारद्वाज और रूपाली विनीत जैम ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
मुख्यमंत्री के ओएसडी डॉ. राज नेहरू ने अपने संबोधन में कहा कि स्वदेशी केवल आर्थिक विषय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना से जुड़ा हुआ आंदोलन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने और इसमें स्वदेशी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मेले लोगों को स्वदेशी अपनाने और विदेशी उत्पादों के बहिष्कार के लिए प्रेरित करते हैं।
मेले में विरासत प्रदर्शनी के माध्यम से हरियाणा की लोक संस्कृति को सजीव रूप में दर्शाया गया है। स्वदेशी मेला संयोजक राजेश गोयल ने बताया कि प्रदर्शनी में 100 साल से अधिक पुरानी बैलगाड़ी, दोघड़ उठाए हरियाणवी महिला, चक्की चलाती महिला, ओखल कूटती महिला, 100 वर्ष पुराना देशी नलका और हाथ से चलने वाले कृषि औजार दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ये दृश्य पर्यटकों के लिए खास सेल्फी प्वाइंट बन चुके हैं।
विरासत हेरिटेज विलेज के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि प्रदर्शनी में भव्य स्वदेशी द्वार, हरियाणा की पगड़ी के विभिन्न स्वरूप, चौपाल का दृश्य जिसमें दादा-पोता चारपाई पर बैठे हैं, विशेष रूप से लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। इसके साथ ही कृषि संस्कृति से जुड़े प्राचीन हल, बैलों की गोडी, कुएं में प्रयोग होने वाले डोल, अनाज मापने के मापक, बीज बोने के उपकरण, पशुओं के गले की लकड़ी की घंटियां, 70 वर्ष से अधिक पुराने कृषि औजार और लगभग 200 साल पुराने बर्तन भी दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए हैं।
स्वदेशी महोत्सव के दूसरे दिन भी मेले में भारी भीड़ देखने को मिली और स्वदेशी उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान स्पष्ट नजर आया। उल्लेखनीय है कि यह स्वदेशी महोत्सव 28 दिसंबर तक आम जनता के लिए खुला रहेगा, जहां लोग स्वदेशी संस्कृति, विरासत और उत्पादों से रूबरू हो सकेंगे।