चण्डीगढ़, 09.07.24- : संस्कार भारती, चण्डीगढ़ एवं बृहस्पति कला केंद्र के साझा तत्वावधान में मासिक गोष्ठी की कड़ी में 'काव्य सरिता' का आयोजन किया गया। संस्कार भारती के मार्गदर्शक प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन, नीलम राणा और यशपाल शर्मा ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर चमन शर्मा 'चमन' ने की। दीप प्रज्वलन के बाद सुरजीत सिंह धीर ने गुरबाणी के शब्द पढ़ कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संस्कार भारती के विधा प्रमुख एवं राष्ट्रीय कवि डॉ. अनीश गर्ग ने अपनी पंक्तियों से बीते हुए वक्त को याद करते हुए कहा कि आज हाशिए पर हैं कहकहे, कभी खामोशियों का भी शोर था..जो बीत गया वो दौर था, वो दौर ही कुछ और था...। लुधियाना से विशेष तौर पर पहुंचीं पंजाब साहित्य विधा प्रमुख डॉ. बबीता जैन ने कुछ यूं कहा कि भारत वर्ष के गौरव की बात करते हैं, आओ हम मां भारती के चरणों में नमन करते हैं। राजन सुदामा ने तरन्नुम में गजल पढ़ते हुए कहा कि पीठ मे किसका है खंजर कौन है, मुझसे जो भागा है बचकर कौन है। शायर नवीन नीर ने कहा कि पहले औकात पूछी जाती है..फिर मेरी बात पूछी जाती है
जतिंदर परवाज़ ने बहर में उम्दा ग़ज़ल रखी-दिल्ली सुख़नवरों का है मरकज़ मगर मियाँ, उर्दू के कुछ चराग़ तो पंजाब में भी हैं, रंगीन मर्तबान में ये ख़ुश नहीं तो क्या, कुछ मछलियाँ उदास तो तालाब में भी हैं। पिंजौर से आए शायर राजवीर सिंह राज ने यूं कहा कि तुमने तो बस कह दिया नहीं आऊंगा आज, सुबक सुबक कर रो रहे सुर,घुंघरू और साज। युवा शायरा पुनू मंगला ने नयी पीढ़ी के अंदाज़ में कहा कि दिल लगाने के बाद याद आया, सब गवाने के बाद याद आया, साथ मेरे यहां रहेगा कौन, घर बनाने के बाद याद आया।
वरिष्ठ ग़ज़ल-गो चमन शर्मा 'चमन' ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में आए हुए सभी शायरों की तारीफ की और मंच संचालक डॉ. अनीश गर्ग को चंडीगढ़ साहित्य अकादमी से पुरस्कृत होने पर बधाई दी और अपनी ग़ज़ल के एक से बढ़कर एक शेर पेश किए। एक शेर यूं पढ़ा कि अपने कन्धों पर उठाकर मैं घुमाता था जिन्हें, मौत ने ला कर उन्हीं कन्धों पे मुझको रख दिया।
इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर नीलम राणा, नीरज रायजादा, डेज़ी बेदी, सुरिंदर पाल, डॉ. महेंद्र उपस्थित रहे। संस्कार भारती के मंत्री मनोज सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।