चण्डीगढ़, 24.08.24- : भगवान का अवतार केवल और केवल अपने भक्तों के लिए ही होता है। यह विचार सैक्टर 40-ए श्रीराधा कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मंदिर सभा द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिवस में गोकुल से पधारे स्वामी देवकीनंदन दास जी ने वक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता जी में कहा है कि परित्राणाय साधुनाम अर्थात् भगवान के इस धरातल पर आने का मुख्य कारण है भक्त। क्योंकि दुष्टों का विनाश करने के लिए भगवान को स्वयं आने की जरूरत नहीं, यह काम तो भगवान की इच्छा से अकेले हनुमान जी ही कर सकते हैं और धर्म की संस्थापना करने के लिए भी भगवान को आने की जरूरत नहीं, क्योंकि उनकी कृपा शक्ति से कोई भी आचार्य यह कर सकता है। भक्तों के हृदय में जो भगवान के विरह की अग्नि जलती है, उसको शांत करने के स्वयं भगवान को आना पड़ता है। जब भगवान अपने भक्तों के लिए आते हैं तो साथ-साथ धर्म की संस्थापना भी करते हैं और दुष्टों का विनाश भी।

इस अवसर पर मंदिर सभा के अध्यक्ष बीपी अरोड़ा, महासचिव विनय कपूर तथा अन्य पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।