चण्डीगढ़, 17.11.24- : सेक्टर-35 के बंग भवन में कार्तिक (रास पूर्णिमा) की पूजा काे श्री नारायण पूजा से मनाया गया। पुरोहित सुनील चैटर्जी ने श्री हरि, मां लक्ष्मी और राधा-कृष्ण की स्थापना कर पूजा-अर्चना की। उन्होंने पहले कथापाठ किया। उसके बाद पुष्पांजलि और शांतिजल देकर प्रसाद बांटा। पुरोहित सुनील चैटर्जी ने बताया, कार्तिक महीने की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। श्री कृष्ण की अंतिम यात्रा रास यात्रा है। शरद ऋतु के दौरान जब आकाश में धूल धुल जाती है, तो चंद्रमा अपनी पूरी चमक और पवित्रता के साथ चमकता है। सबसे अच्छी रात कार्तिक महीने की पूर्णिमा की रात होती है। यह महीना कृष्ण को बहुत प्रिय है, और महीने भर चलने वाले उत्सव इस जादुई रात को समाप्त होते हैं। श्रीमद् भागवतम में कहा गया है कि भगवान भी नृत्य करना चाहते हैं, और उस रात वे शुद्ध सफेद कपड़े पहनते हैं जो स्पष्ट चांदनी की तरह चमकते हैं। यह वही रात थी जब श्री चैतन्य महाप्रभु ने 1515 में वृंदावन में प्रवेश किया था।

पांच पान पत्ते, सुपारी, जनेऊ, केले व मिठाई और सिक्के अर्पण किए जाते हैं। पुरोहित सुनील ने बताया, नारायण पूजा में पूर्णिमा पर नारायण पूजा सुख-शांति और समृद्धि के लिए होती है। इसका हिस्सा बनने से दु:ख दूर होता है। घर में शांति आती है और पैसे में वृद्धि होती है। साबुत मूंग, धुली मूंग, माह दाल, चना और केले से खास भोग लगाया। धन संपत्ति के लिए मां लक्ष्मी की पूजा कर बाकी सभी देवी देवताओं को पांच, सात और नौ जगह अलग भोग लगाते हैं। इसमें चावल, बताशा, खीरा, केला, तरबूज, आम, खरबूजा, नारियल, सेब, लड्‌डू, रसगुल्ला अर्पण किया। इस पूजा में पांच पान पत्ते, पांच सुपारी, पांच जनेऊ, पांच केले व मिठई और पांच सिक्के चढ़ाए जाते हैं। वहीं इस बार सीजनल फल-फ्रूट, नारियल, चावल, लड्‌डू से भोग लगाया गया। आखिर में आरती करके श्रद्धालुओं को नारियल, केले, चीनी, आटा, दूध, किशमिश और बताशे से मिलाकर प्रसाद बांटा गया।