*विधानसभा के तीसरे दिन डीएपी खाद की किल्लत और लगातार बढ़ रहे डेंगू पर दिए गए ध्यानाकर्षण पर अदित्य देवीलाल और अर्जुन चौटाला ने पूछे सवाल

*खाद न मिलने के कारण रबी फसलों की बिजाई प्रभावित हुई है: अदित्य देवीलाल

*सभी जिलों के पैक्सों में आज भी खाद लेने के लिए किसानों की लाइनें लगी हुई हैं जिसमें महिलाएं भी हैं

चंडीगढ़, 18 नवंबर। विधानसभा सत्र के तीसरे दिन इनेलो द्वारा डीएपी खाद की किल्लत पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखते हुए सदन में इनेलो नेता अदित्य देवीलाल ने कहा कि प्रदेश में किसानों को डीएपी, यूरिया खाद समय पर न मिलने की वजह से बहुत परेशान है। खाद न मिलने के कारण रबी फसलों की बिजाई प्रभावित हुई है। खाद के लिए किसानों को घंटों तक लाईन में खड़े रहना पड़ता है परंतु फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पाता। किसानों को समय पर खाद न मिलने के कारण गेहूं और सरसों की फसल को बुरा असर पड़ना लाजिमी है। डीएपी खाद की कमी को लेकर प्रदेश के किसानों में सरकार के प्रति भारी गुस्सा व रोष व्याप्त है।
सप्लीमेंट्री प्रश्न पूछते हुए अदित्य देवीलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सदन में यह कहा था कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि गेहूं और सरसों की बिजाई के लिए खाद जरूरी है नहीं तो उसके उत्पादन में बेहद कमी हो जाती है। सभी जिलों के पैक्सों में आज भी खाद लेने के लिए किसानों की लाइनें लगी हुई हैं जिसमें महिलाएं भी हैं। उन्होंने कहा कि गेहूं की बिजाई का समय सरकार तय नहीं करेगी। किसान की जमीन जैसे ही खाली होती है वो अपनी अगली फसल की तैयारी में लग जाता है। बड़े ही दुख की बात है कि किसान खाद के लिए लाईन में लगा है और सऊदी अरब से खाद आने पर खुशियां मनाई जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय पर डेंगू की रोकथाम के उपाय नहीं किए गए: अर्जुन चौटाला

जो डेंगू के आंकड़े सदन में पेश किए गए हैं वो सिर्फ सरकारी अस्पतालों के ही क्यों हैं?, प्राइवेट अस्पतालों के आंकड़े क्यों नहीं पेश किए गए हैं?, फॉगिंग में तेजी लाने में 8 नवंबर तक इंतजार क्यों किया गया?, डॉक्टर, टेक्नीशियन, पारा मेडिकल स्टाफ की कमी को कब तक पूरा किया जाएगा?

डेंगू पर मंजूर किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को सदन में पढ़ते हुए इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला ने कहा कि प्रदेश में आए दिन डेंगू के केस आ रहे हैं। अब तक लगभग पांच हजार से ज्यादा डेंगू के मामले आ चुके हैं जिससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय पर डेंगू की रोकथाम के उपाय नहीं किए गए। अकेले पंचकुला मेें 1200 से ज्यादा केस सामने आए हैं। दूसरे व तीसरे नंबर पर क्रमश: हिसार 435 केस और करनाल 357 केस डेंगू के आए हैं। डेंगू के मरीज को अगर ठीक से समय पर इलाज न मिले तो वह घातक साबित होता है। जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा समय पर रोकथाम के आवश्यक कदम न उठाए जाना है।
सप्लीमेंट्री प्रश्न पूछते हुए अर्जुन चौटाला ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने अपने जवाब में जो आंकड़े दिए हैं उनमें कुछ आंकड़े गलत हैं। मंत्री ने डेंगू के कारण हुई मृत्यु का जो आंकड़ा दिया है उन आंकड़ों में सिरसा का कोई जिक्र नहीं है जबकि उनके खुद के कर्मचारी की 11 साल की बेटी की मृत्यु डेंगू के कारण हो गई और यह सरकारी आंकड़ों में दिखाई ही नहीं गई। दूसरा प्रश्न पूछते हुए उन्होंने कहा कि जो डेंगू के आंकड़े सदन में पेश किए गए हैं वो सिर्फ सरकारी अस्पतालों के ही क्यों हैं? आज हरियाणा में 14 हजार डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं जिसके अंदर केवल 4500 डॉक्टर ही सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे हैं और 10 हजार से ज्यादा डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों के आंकड़े क्यों नहीं पेश किए गए हैं? तीसरा सप्लीमेंट्री पूछते हुए कहा कि नवंबर के पहले हफ्ते से ही डेंगू के केस में लगातार बढ़ोतरी दिख रही है। सभी को पता है कि अक्टूबर के आखिर में डेंगू के केस आने लगते हैं। ऐसे में फॉगिंग में तेजी लाने में 8 नवंबर तक इंतजार क्यों किया गया? चौथा सप्लीमेंट्री पूछते हुए अर्जुन चौटाला ने कहा कि पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की बेहद कमी है। यह भी स्पष्ट किया जाए कि डॉक्टर, टेक्नीशियन, पारा मेडिकल स्टाफ की कमी को कब तक पूरा किया जाएगा?
अर्जुन चौटाला ने सदन में डिमांड नंबर 14, 17 और 19 पर हेल्थ और मेडिकल एजूकेशन पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि सिरसा जिला में कोविड से पहले एक मेडिकल कॉलेज मंजूर हुआ था। उस मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन पहली बार महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और दूसरी बार महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु द्वारा करवाया गया। लेकिन दुख की बात है कि दो बार उदघाटन किए जाने के बाद भी आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई है। उस मेडिकल कॉलेज की लोकेशन बिल्कुल रेलवे फाटक के पास है। दिक्कत यह है कि वो रेलवे फाटक दो-दो घंटे तक बंद रहता है। बे्रन हेमरेज का पूरे सिरसा में कोई इलाज नहीं है अगर कोई मरीज आता है तो उसे अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है और ब्रेन हैमरेज के मरीज की एक-एक मिनट कीमती होती है यदि कोई ब्रेन हेमरेज का मरीज उस फाटक पर फंस गया तो वो बच नहीं पाएगा। आज प्रदेश में गरीब आदमी को सबसे ज्यादा दिक्कत हेल्थ केयर को लेकर है। नशा भी हैल्थ केयर का हिस्सा है। बड़े दुख की बात है कि जब भी नशे की बात आती है तो इस बात की कोई चर्चा नहीं करता कि जो नशे का आदी मरीज है उसकी कैसे मदद और देखभाल की जाए और उसका पुनर्वास कैसे किया जाए। पूरे सिरसा में सरकारी तौर पर नशा मुक्ति के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर में केवल 55 बैड निर्धारित किए गए हैं। उनकी हालत बेहद दयनीय है। यहां आकर मरीज ठीक होना तो दूर एक दिन भी रह नहीं सकता। मरीज का ध्यान हटाने के लिए गेहूं और चावल के दाने मिला कर दे दिए जाते हैं और उनसे कहा जाता है कि इनको छांटने का काम करो। अब जमाना बहुत बदल गया है और मेंटल हेल्थ को लेकर आधुनिक मशीनें आ चुकी हैं और उनपर गाइडलाइन आ चुकी हैं। डिमांड नंबर 19 पर बोलते हुए कहा कि रानियां हलके के अंदर आज 38 से ज्यादा गांव हैं जहां पीने के पानी की बहुत किल्लत है और नहरी पानी नहीं है। रानियां शहर के अंदर भी नहरी पानी पीने का नहीं है। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि घग्गर का एक हिस्सा पंजाब में से होते हुए आता है और वहां पर प्रदूषण की वजह से पानी प्रदूषित होकर आता है और यही पानी अब गंभीर रोगों का एक बहुत बड़ा कारण बन गया है। इसके उपर उचित कार्रवाई की जाए और रानियां शहर और गावों को पीने के लिए नहर का पानी उपलब्ध करवाया जाए। डिमांड नंबर 11 पर बोलते हुए कहा कि राशन डिपो में गेहूं की बोरियों को उतार कर सीधा जमीन पर रख दिया जाता है जिसके कारण वो गेहूं खराब हो जाता है इसलिए गेहूं खराब न हो उसके लिए उचित कदम उठाए जाएं। एक मजदूर बुजुर्ग के फिंगर प्रिंट मिट जाते हैं जिसके कारण उसे राशन लेने के दौरान दिक्कत आती है। उनको यह दिक्कत न आए उसके लिए भी प्रावधान किए जाएं।