पंचकूला, 04.02.25- : सरस्वती पूजन दिवस ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती की आराधना का उत्सव है। जिसे खासतौर पर बसंत पंचमी या पंचमी के दिन मनाया जाता है। यह दिन हिंदू पंचांग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। यह जानकारी देते हुए गुरुकुल के संस्थापक श्रीनिवासाचार्य ने सभी विद्यार्थियों को बंसन्त पंचमी और सरस्वती पूजन का महत्त्व बताया। पंचकूला के माता मनसा देवी में स्थित संस्कृत गुरुकुल -श्री मुक्तिनाथ वेद विद्या आश्रम में बसंत पंचमी और सरस्वती पूजन दिवस रखा गया। यह कार्यक्रम गुरुकुल के कुलाचार्य श्रीनिवासाचार्य के मार्गदर्शन में हुआ। इसमें मुख्यातिथि के रूप में श्री राकेश पाल मौद्गिल जी (प्रधान- काली माता मंदिर, चंडीगढ), संस्कृत गुरुकुल के कोषाध्यक्ष जनकराज गुप्ता, पंडित तुकाराम कुलकर्णी सहित गुरुकुल के आचार्य और वेदपाठी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में गुरुकुल के विद्यार्थियों ने वेद, पुराण, व्याकरण, साहित्य और अध्ययन से जुड़ेक विभिन्न ग्रंथों का पूजन किया। पहले वैदिक मंत्रों से मां सरस्वती का आह्वाहन करते हुए उनका पूजन किया। उसके बाद विद्यार्थियों ने सामूहिक हवन किया गया। यज्ञ में वैदिक मंत्रों और मां सरस्वती के मंत्रों से आहुतियां दी गई। गुरुकुल के संस्थापक श्रीनिवासाचार्य ने सभी विद्यार्थियों को बंसन्त पंचमी और सरस्वती पूजन का महत्त्व बताते हुए कहा - पंचमी का यह दिन विद्या, बुद्धि और सृजनात्मकता के विकास के लिए बेहद शुभ माना जाता है। सरस्वती पूजन का न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से जरूरी है बल्कि यह शिक्षा, ज्ञान और संस्कृति के प्रति हमारी आस्था और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह दिन हमें विद्या, कला और संगीत के प्रति समर्पण और सम्मान की प्रेरणा देता है।