नाबार्ड द्वारा मंडी जिले में 10,000 एफपीओ के गठन एवं संवर्द्धन हेतु जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) की बैठक का आयोजन

मंडी 24 दिसंबर:मंडी जिला में “केन्द्रीय प्रायोजित 10000 एफपीओ के गठन एवं संवर्द्धन योजना” के अंतर्गत प्रगति की समीक्षा के लिए नाबार्ड द्वारा माननीय उपायुक्त मंडी श्री अपूर्व देवगन, आई.ए.एस. की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का उदेश्य जिले में योजना के अंतर्गत गठित किसान उत्पादक संगठनों के विकास और कामकाज की प्रगति की बारीकी से निगरानी और समीक्षा करना है । अध्यक्ष महोदय ने बताया कि योजना के अंतर्गत कार्यान्वयन एजेंसियां जैसे नाबार्ड, एनसीडीसी, एसएफएसी एवं नेफेड ने क्लस्टर आधारित व्यवसाय संगठन (सी.बी.बी.ओ) के माध्यम से 18 एफपीओ का गठन किया, जो कंपनी अधिनियम और सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत किए गए हैं । एफपीओ की प्रगति की समीक्षा करते हुए, अध्यक्ष महोदय ने सभी एफपीओ को बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने हेतु निर्देश दिये। उन्होंने सुझाव दिया कि जिले में सभी किसान उत्पादक संगठन, जो खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में शामिल हैं, अपनी आय बढ़ाने के लिए अपने क्षेत्र में एक विपणन आउटलेट खोल सकते हैं। इसके अलावा उन्होने कहा, चूंकि लगभग सभी किसान उत्पादक संगठनों ने आवश्यक लाइसेंस प्राप्त कर लिए हैं वे अपने सदस्यों को खाद, बीज और दूसरी सेवाएँ प्रदान करें। अध्यक्ष महोदय ने निर्देश दिये कि सभी सी.बी.बी.ओ. उनके द्वारा प्रोमोट किए गए किसान उत्पादक संगठनों के बिज़नस पर ध्यान दें और उनके व्यापार मात्रा को बढ़ाने हेतु मदद करें। महोदय ने उत्पादक संगठनों द्वारा लाये गए उत्पादों का भी निरीक्षण किया और कहा कि सभी एफ़पीओ उनके उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर खास ध्यान दें ।

डीडीएम, नाबार्ड, श्री राकेश वर्मा ने बताया कि जिले में 14 ब्लॉक हैं, जहां उक्त परियोजना के अंतर्गत गठित 18 संगठनों के माध्यम से 5000 से अधिक किसान सदस्य विभिन्न सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। इन संगठनों की प्रमुख गतिविधियां, सब्जियों, सेब और अन्य खाद्यानों का एकत्रीकरण एवं विक्रय, खाद्य प्रसंस्करण, आदि शामिल हैं। इन संगठनों के सदस्यों को एफपीओ के माध्यम से उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल रहा है।

डीडीएम नाबार्ड ने बताया कि कृषि विभाग मंडी के सहयोग से स्पेशल ड्राइव के तहत सभी पात्र एफपीओ को खाद, बीज जैसे विभिन्न लाइसेंस दिलवाए गए हैं । उप निदेशक, कृषि विभाग मंडी ने बताया कि कोई भी पात्र एफ़पीओ जो इस दौरान लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं दे पाये वे विभाग में आवेदन दे सकते हैं। बैठक के दौरान सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न परियोजनाओं जैसे कृषि अवसंरचना निधि (AIF), किसान उत्पादक संगठनों के लिए नाबार्ड और एनसीडीसी द्वारा संचालित ऋण गारंटी निधि, इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया।

इसके अलावा पात्र किसान उत्पादक संगठनों को ऋण ले कर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि वे अधिक से अधिक मुनाफा अपने सदस्यों को पहुंचा सकें। एलडीएम श्री अमित कुमार ने बैंकों के साथ पात्र एफपीओ के क्रेडिट लिंकेज के लिए पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया।

बैठक में अन्य लोगों के अलावा श्री रामचंदर, उप निदेशक, कृषि विभाग मंडी, श्री योग राज, डी.पी.डी., आत्मा परियोजना, श्री बिक्रमजीत, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, मंडी, श्री अमित कुमार, एल.डी.एम., मंडी, श्री एच.एस. ठाकुर, सहायक सचिव, ए.पी.एम.सी, श्री मनीष पराशर, विश्लेषक ई-नाम, डॉ. शकुंतला राही, के.वी.के. मंडी, डॉ. पूजा गौतम, एस.एम.एस. बागवानी विभाग, डॉ. ए.आर.एस. कटवाल, सहायक निदेशक, पशुपालन और अरावली, त्रेता एग्रो, हिमोर्ड, डिवाइन इंटरनेशनल फाउंडेशन और मार्गदर्शक के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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फलदार पौधों की देखरेख के संबंध में बागवानी विभाग ने जारी किया परामर्श
मंडी, 24 दिसंबर। मंडी जिले में पिछले कुछ दिनों में बढ़ती ठंड व घने कोहरे के चलते फलदार पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कड़ाके की ठंड व घने कोहरे के कारण जिला के बागवानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। यह जानकारी उप-निदेशक उद्यान, मंडी ने मंगलवार को यहां दी।
उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में कोहरे के प्रभाव व न्यूनतम तापमान की वजह से पौधों की कोशिकाएं पानी के जमाव से फट जाती हैं एवं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। फलों की अच्छी उपज नहीं हो पाती है, फूल झड़ने लगते हैं व फल खराब हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादा कोहरे के कारण फलदार पौधों में वृद्धि कम हो जाती है और आने वाले सीजन में फूल कम आते हैं और पैदावार घट जाती है।
संजय गुप्ता ने बताया कि मंडी जिले में लंबे अरसे से बारिश न होने के कारण सूखे जैसी स्थिति बनी है, जिस कारण घना कोहरा पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में निपटने के लिए बागवानों को उन्हीं फलदार पौधों का चयन करना चाहिए जिनमें कोहरे के प्रति प्रतिरोधक क्षमता हो। छोटे फलदार पौधों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। उन्हें सरकंडा घास, सूखी मक्की के डंठल या टाट की बोरी का छत्त बनाकर ढक देना चाहिए। दक्षिण-पूर्व दिशा धूप व हवा के लिए खुली रखें। इसके अलावा कोहरा पड़ने की संभावना में पौधों में हल्की सिंचाई के साथ-साथ पानी का छिड़काव करना चाहिए ताकि बागीचों का तापमान 1-2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जा सके। शाम के समय सूखे अवशिष्ट, घास तथा सूखे पत्तों को जला कर धुंआ पैदा करके बागीचे का तापमान बढ़ाया जा सकता है। फलदार पौधों की पौधशाला को कोहरे के प्रभाव से बचाने के लिए नाइलोन की छायादार जाली (50 प्रतिशत छाया) से ढक देना चाहिए। बताया कि फलदार पौधों में अनुमोदित मात्रा में पोटाश खाद देने से उनकी कोहरा सहने की क्षमता बढ़ती है।
उन्होंने बताया कि बड़े फलदार पौधों के तनों में बोर्डो मिश्रण (एक किलो कॉपर सल्फेट, एक किलो अनबूझा चूना, 1-3 लीटर अलसी का तेल) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का मिश्रण बनाकर जमीन से डेढ से दो फीट तनों में लेप लगाना चाहिए। बेहतर प्रबंधन से ही कोहरे से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है तथा किसानों व बागवानों को लाभ होगा। फलदार पौधों की समस्या के समाधान के लिए बागवान अपने नजदीकी बागवानी विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

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उपायुक्त ने की जिला पर्यटन नियामक समिति की बैठक की अध्यक्षता

मंडी, 24 दिसंबर। उपायुक्त अपूर्व देवगन ने आज यहां आयोजित जिला पर्यटन नियामक समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें मंडी जिला में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने सहित विभिन्न मदों पर विस्तार से चर्चा की गई।

उपायुक्त ने कहा कि मंडी जिला की मनोहारी वादियां पर्यटकों को आकर्षित करती आई हैं। जिला में नए पर्यटन गंतव्य विकसित करने की अच्छी संभावनाएं हैं। प्रदेश सरकार पर्यटन को नए आयाम देने के लिए इसमें जल क्रीड़ाओं सहित विभिन्न गतिविधियों को शामिल कर रही है। सरकार के निर्देशों के अनुसार मंडी जिला में भी इस बारे में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि यहां के विभिन्न जलाशयों में जल-क्रीड़ा गतिविधियों के विकास के लिए बेहतर अवसर हैं।