पटना : दिनाँक: 21.01.2025 - हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने आज पूर्वाह्न 10:30 बजे बिहार विधान सभा सदन में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को सम्बोधित किया। विधान सभा अध्यक्ष ने अपने चिर - परिचित जोशिले अंदाज में सम्मेलन को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य सभा के उप-सभापति डॉ0 हरिवंश, बिहार विधान सभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव तथा बिहार विधान परिषद अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह मंच पर मौजूद थे जबकि सदन में सभी राज्यों के पीठासीन अधिकारी तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के पीठासीन एवं उप-पीठासीन अधिकारी तथा विधान परिषदों के चेयरमैन तथा उपाध्यक्ष भी मौजूद थे। सम्मेलन के दौरान हि0प्र0 विधान सभा उपाध्यक्ष विनय कुमार भी सदन में मौजूद थे। सम्मेलन में महत्वपूर्ण विषय “संविधान की 75वीं वर्षगांठ: संवैधानिक मुल्यों को सशक्त बनाए रखने में संसद एवं विधान मण्डलों का योगदान” पर चर्चा की गई तथा विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां ने भी इसी विषय पर अपना सम्बोधन दिया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि आजका विषय यह है कि देश के संविधान को सशक्त बनाने में लोक सभा तथा विधान मण्डलों का क्या योगदान रहा है। पठानियां ने कहा कि हम आजाद हुए, देश को संविधान मिला, देश आगे बढ़ा, व्यवस्थाएँ बनाई गईं तथा संविधान को सशक्त बनाने में सभी ने योगदान देने की कोशिश की। हिमाचल के सन्दर्भ में बोलते हुए पठानियां ने कहा कि हि0 प्र0 के प्रथम मुख्यमंत्री संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य थे उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। हि0प्र0 का निर्माण वर्ष 1948 में हुआ तथा 25 जनवरी 1971 को हम भारतीय गणराज्य के 18वें राज्य के रूप में स्थापित हुए। विषम परिस्थितियों के बावजूद हि0प्र0 विकास पथ पर आगे बढ़ा। यहाँ न कोई भूखा सोता है ओर सभी के पास अपना घर है। आजादी के बाद वर्ष 1973 में लैंड सिलिंग एक्ट हमने बनाया । नियम 118 के तहत हि0प्र0 के लोगों की जमीन को कोई बाहरी खरीद नहीं सकता ये सभी प्रावधान हमने जनहित में प्रदेश की मजबूती के लिए किए हैं।
सम्बोधन के दौरान पठानियां ने कहा कि हमारा संविधान एक पवित्र दस्तावेज है जो लोकतन्त्र, संघवाद और सामाजिक न्याय के सिद्वान्तों का प्रतीक है। यह हमारे देश के शासन, कानून एवं सामाजिक ढाँचे की नींव है जैसे कि डॉ0 बी0 आर0 अम्बेडकर ने ठीक ही कहा था “ संविधान एक दस्तावेज है जो देश की नीति की रूपरेखा तय करता। ”
पठानियां ने कहा कि संवैधानिक मुल्य किसी देश के संविधान में निहित मौलिक सिद्वान्तों और आदर्शों को संदर्भित करते हैं जो इसके शासन, कानून और सामाजिक ढाँचे का मार्गदर्शन करते हैं। ये मुल्य सभी व्यक्तियों के लिए न्याय, समानता, स्वतंत्रता और गरिमा सुनिश्चित करने वाले समाज के लिए एक आधार और देश के नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों की रूप रेखा भी प्रदान करते हैं। संवैधानिक मुल्यों के केन्द्र में मानवीय गरिमा, समानता और स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्वता निहित है।
पठानियां ने कहा कि राज्य विधायी निकाय संविधान में निहित सिद्वान्तों को सुनिश्चित करके संवैधानिक मुल्यों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वे संविधान के सिद्वान्तों को जमीनी स्तर पर लागू करते हैं।
पठानियां ने अपने सम्बोधन के अंत में कहा कि संसद, राज्य विधान सभाओं और हि0प्र0 विधान सभा ने संवैधानिक मुल्यों को मजबूत करने और लोकतांत्रिक शासन को बढावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। उन्होने कहा कि जैसे – जैसे हम आगे बढ़ते हैं यह आवश्यक है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम इन मुल्यों को कायम रखें। उन्होने कहा कि आइए हम लोकतांत्रिक शासन, सामाजिक न्याय और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को बढावा देने के लिए मिलकर काम करें तथा हम यह सुनिश्चित करें कि हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं मजबूत, जीवंत और लोगों के प्रति जवाबदेही बनी रहे।
(हरदयाल भारद्वाज)
संयुक्त निदेशक,
लोक सम्पर्क एवं प्रोटोकॉल,
हि0प्र0 विधान सभा।