चण्डीगढ़, 21.05.24- : पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ की उप कुलपति प्रोफेसर रेनू विग ने आज प्रसिद्ध लेखिका डॉ. प्रज्ञा शारदा के नवीनतम काव्य संग्रह खामोशियां का विमोचन किया। यह लेखिका की आठवी पुस्तक है। इस काव्य संग्रह में 73 कविताएं हैं जो समाज और परिवार को लेकर लिखी गई हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रसिद्ध समाजसेवी केके शारदा ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का परिचय दिया। वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रस्तुत काव्य संग्रह में कवयित्री ने खुली आंख से समाज रिश्ते - नातों को कविताओं में आधार बनाया है। कविवर डॉ. विनोद शर्मा ने कविताओं पर बोलते हुए कहा कि कवयित्री ने कविताओं में समाज में व्याप्त बुराइयों और विसंगतियों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है। समाजसेवी जयदेव चीमा ने कवयित्री को बधाई देते हुए कहा कि उनकी कविताएं समाज का मार्गदर्शन करेंगी। उपन्यासकार एवं प्रकाशक विजय सौदाई ने कहा कि कविताओं में कवयित्री का भोगा हुआ सच है। वरिष्ठ पत्रकार एवं चंडीगढ़ प्रेस क्लब के अध्यक्ष नलिन आचार्य ने कवयित्री को बधाई देते हुए कहा कि उनकी लेखनी से और भी सशक्त कविताएं पढ़ने को मिलेगी। सीए प्रीतिश गोयल भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
इस मौके पर पर बोलते हुए उप कुलपति प्रोफेसर बिग ने कहा कि कविताएं हमारे दिल और दिमाग को सुकून देती हैं। कविता लेखन एक कठिन विधा है। उन्होंने कवयित्री को बधाई देते हुए कहा कि उनकी कलम ऐसे ही निरंतर चलती रहे। इस अवसर पर कवयित्री डॉ प्रज्ञा शारदा ने अपनी कुछ कविताओं जैसे पति परमेश्वर, रक्षाबंधन, परिंदे, स्त्री मन, खामोशी आदि का पाठन भी किया। पति परमेश्वर कविता बोलते हुए कहा कि पर परमेश्वर, ऐसा नहीं होता, पति से पत्नी, कभी-कभी बहसती है, बच्चे बात मानवता हैं, पिता के फैसलों को नकारते हैं।