चंडीगढ़ ,08 नवंबर- हरियाणा के राज्यपाल माननीय प्रो. असीम कुमार घोष ने कहा हरियाणा जैसे प्रगतिशील राज्य में द टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज जैसी संस्थाएं राज्य की औद्योगिक क्षमता और मानव संसाधन को सशक्त बना रही हैं। भविष्य के भारत को ऐसे ही संस्थानों की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे शिक्षण के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी जीवन में धारण करें और समाज व राष्ट्र की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। डिग्री केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह एक जिम्मेदारी का प्रतीक और समाज के प्रति एक वचन है।


राज्यपाल माननीय प्रो.असीम कुमार घोष स्थानीय द टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज के दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मित्रा घोष भी मौजूद रहीं। समारोह में संस्थान की तरफ से राज्यपाल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान राज्यपाल प्रो.घोष ने विभिन्न विषयों से पास आउट लगभग 300 स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की। उन्होंने कहा कि टीआईटीएंडएस जैसी संस्थाएं तकनीकी और औद्योगिक शिक्षा के भविष्य की दिशा निर्धारित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी केवल रोजगार के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना से कार्य करें। यह दीक्षांत समारोह केवल डिग्री प्राप्ति नहीं, बल्कि ‘ज्ञान को कर्म में रूपांतरित करने’ का अवसर है।

उन्होंने कहा कि आज का यह दिन केवल डिग्रियां प्रदान करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह बुद्धिमत्ता, परिश्रम और ज्ञान की साधना का उत्सव है। यह दिन जीवन का एक निर्णायक क्षण है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अंत दीक्षांत के साथ नहीं होता, बल्कि यह हर नए चुनौती के साथ पुन: प्रारंभ होती है। इस तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, हमारी सच्ची विजय मशीनों को अधिक बुद्धिमान बनाने में नहीं, बल्कि स्वयं को अधिक मानवीय बनाने में निहित है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। विकसित भारत 2047 के आह्वान के साथ, भारत का सपना है, एक ऐसे भविष्य का, जो युवा शक्ति, वैज्ञानिक प्रगति और नैतिक नेतृत्व से प्रेरित हो। सच्ची शिक्षा का मूल्य इस बात से नहीं आंका जाता कि आप कितनी ऊंचाई तक पहुंचे, बल्कि इस बात से देखा जाता है कि आपने कितनों को अपने साथ ऊपर उठाया है। सफलता में विनम्रता और आपकी समृद्धि में सेवा की भावना होनी चाहिए।

दीक्षांत समारोह में अपने विचार प्रकट करते हुए एमडी यूनिवर्सिटी रोहतक के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा टीआईटी महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय परिवार का गौरव है और हमारे सहयोगी संस्थानों में अग्रणी स्थान रखता है। यह संस्थान शिक्षा, उद्योग और अनुसंधान के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में कार्य कर रहा है।

संस्थान के अध्यक्ष आरके डालमिया ने कहा कि टीआईटी संस्थान का ध्येय केवल ज्ञानार्जन तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे युवा तैयार करना है जो आत्मनिर्भर, संवेदनशील और दूरदर्शी हों। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच साझेदारी को सशक्त बनाना हमारा सतत् प्रयास है।

संस्थान के निदेशक प्रो. बीके बेहेरा ने कहा कि यह गौरव का विषय है कि टीआईटीएस ने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को एक ही सूत्र में पिरोया है। यह संस्थान तकनीकी उत्कृष्टता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को भी समान महत्व देता है। उनका लक्ष्य है कि यहां का प्रत्येक विद्यार्थी अपने क्षेत्र में न केवल विशेषज्ञ बने, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने।

दीक्षांत समारोह में संस्थान के एलुमनी एवं विभिन्न संस्थानों में उच्च मुकाम हासिल करने वाले आईएमजेएस सिद्धू (अध्यक्ष, वर्धमान टेक्सटाइल्स, बद्दी), अनिल जैन (चेयरमैन, जैन कॉर्ड्स), हरीश सर्राफ (संस्थापक एवं सीईओ, निप्पॉन डेटा सिस्टम्स), और सुभाष भार्गव (प्रबंध निदेशक, कलरेंट) को राज्यपाल ने टीआईटीएस संस्थान की तरफ से सम्मानित किया। लक्ष्मण गौड़ के नेतृत्व में राज्यपाल प्रो. घोष को स्काऊट एंड की टुकड़ी ने पायलेट किया।