चण्डीगढ़, 11.11.25 : दुनिया के 180 देशों की मुश्किलों जगहों में वंचित बच्चों तक पहुंच बनाने और काम करने को समर्पित यूनिसेफ ने किशोरों को सर्वाइकल कैंसर व सड़क दुर्घटनाओं से बचाने हेतु जागृति हेतु नई पहल शुरू की है।
किशोर स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों पर मीडिया की भूमिका को सशक्त बनाने के उद्देश्य यूनिसेफ इंडिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय 'ट्रेनर्स ऑफ ट्रेनर्स वर्कशॉप’ संपन्न हुई। वर्कशॉप के उद्घाटन सत्र में यूनिसेफ इंडिया की कम्युनिकेशन प्रमुख जाफरिन चौधरी ने कहा कि युवा उन स्वास्थ्य मुद्दों पर सटीक जानकारी पाने के हकदार हैं, जो उन्हें और समाज को प्रभावित करते हैं। यह तभी संभव है जब वैज्ञानिक और चिकित्सीय जानकारी को मीडिया के जरिए सटीक और जिम्मेदारी से लोगों तक पहुंचाया जाए। गलत जानकारी से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है। हमें सीखना, विश्लेषण करना और समझना होगा कि कैसे तकनीकी जानकारी को प्रस्तुत किया जाए ताकि लोग उसे समझें और उस पर भरोसा करें ।
उनका मानना था कि सर्वाइकल कैंसर, सड़क सुरक्षा और ऐसे कई अन्य मुद्दों पर जागरूकता को पत्रकारों में क्रिटिकल अप्रेजल स्किल्स यानी तथ्यों की गहराई से जांचने की क्षमता के माध्यम से और बेहतर तरीके से समझाया व प्रसारित किया जा सकता है। वरिष्ठ संपादकों के मार्गदर्शन में इस दिशा में यूनिसेफ पिछले एक दशक से प्रयासरत है।
यूनिसेफ इंडिया कंट्री ऑफिस के स्वास्थ्य प्रमुख (कार्यकारी) डॉ. विवेक वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर ऐसा एकमात्र कैंसर है जिसे वैक्सीन से रोका जा सकता है। जागरूकता इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। मीडिया समाज में व्याप्त झिझक और गलत धारणाओं को तोड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है। अगर मीडिया इस विषय को वर्जित मुद्दे के रूप में नहीं, बल्कि एक साझा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में प्रस्तुत करे तो महिलाएं समय पर मदद ले सकेंगी। हर सटीक और संवेदनशील खबर हमें उस भविष्य के और करीब ले जाती है, जहां कोई भी महिला एक रोकी जा सकने वाली बीमारी से अपनी जान न गंवाए।