चण्डीगढ़ , 13.11.24-: आर्य समाज सेक्टर 7-बी का 66वाँ वार्षिक उत्सव आज से यज्ञ से प्रारंभ हुआ। प्रवचनकर्ता गुरूकुल कॉंगड़ी वि.वि., हरिद्वार के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ). रूप किशोर शास्त्री ने यज्ञ की महिमा, गुण, स्वरूप और चिंतन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परमात्मा के कई नाम है। महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में ईश्वर के मुख्य नाम ओम को निज नाम बताया गया है। उन्होंने मन्त्रों का अर्थ और उसकी व्याख्या करते हुए सारगर्भित प्रस्तुति रखी। वैदिक सिद्धांतों और वेद विद्याओं से संबंधित आध्यात्मिक जीवन और वैदिक परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामाजिक धार्मिक और आध्यात्मिक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि वैदिक परंपरा वैदिक सिद्धांतों में कड़ी का कार्य करती है। यज्ञ परंपरा व्यवहार रूप से सरसता, सामंजस्यता और सौहार्द उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि 19वीं शताब्दी में महर्षि दयानंद सरस्वती ने देश में फैली अज्ञानता और दासता से मुक्ति दिलाने के लिए कार्य किया। भारत के विकास की दृष्टि में सामाजिक संरचना और समस्याओं का निराकरण करने के लिए भरसक प्रयास किया। देश की ज्वलंत समस्याएं, धर्म नीति, शिक्षा नीति, मानवता के ऊपर लगे कलंक, अस्पृश्यता, भेदभाव, छुआछूत, शोषण, बाल विवाह, अवतारवाद, मूर्ति पूजा, ढोंग, गुरुढम, विभिन्न मत मत मतातंरों आदि द्वारा फैलाई गई पॉप लीलाओं का पर्दाफाश किया। यज्ञ में आचार्य अमितेश शास्त्री पुरोहित, यज्ञ सहयोगी थे जबकि आ. मोहित शास्त्री भजनोपदेशक बिजनौर ने मधुर भजनों की प्रस्तुति से सबको आत्म विभोर कर दिया। इस मौके पर चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली की आर्य समाजों और डीएवी शिक्षण संस्थान से काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।