शिमला: 19.02.25- आज दिनाँक 19 फरवरी, 2025 को भारतीय पत्रकार कल्याण मंच द्वारा शिमला स्थित कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय निवास में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं पत्रकार सम्मान समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि भारत की आजादी में पत्रकारों की भूमिका स्वतंत्रता सेनानियों तथा आजादी से जुड़े राजनेताओं से कम नहीं है। इस अवसर पर पूर्व राज्य सभा सांसद एवं पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय पत्रकार कल्याण मंच (पंजीकृत) द्वारा हर वर्ष किया जाता है।संगोष्ठी में “भारत की आजादी में पत्रकारिता की भूमिका विषय” पर विधान सभा अध्यक्ष ने अपने उदगार प्रकट किए।

पठानियां ने कहा कि भारतीय पत्रकार कल्याण मंच पत्रकारों के हितों की रक्षा का एक सुदृढ़ मंच है जो समय- समय पर पत्रकारों से जुड़े मसलों को सुलझाने में अपनी अहम भूमिका निभाता है तथा पत्रकारों को सुविधाएँ प्रदान करने में सदैव अग्रणी रहता है। हरियाणा की तर्ज पर हिमाचल के पत्रकारों को पेंशन और अन्य सुविधाएँ प्रदान करने के भारतीय पत्रकार कल्याण मंच के अध्यक्ष पवन अश्री के आग्रह पर बोलते हुए विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण मांग है व इसके लिए वे मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करेंगे और जो भी सम्भव होगा करवाने का प्रयास करेंगे। पठानियां ने कहा कि पत्रकार कल्याण मंच का गठन वर्ष 2000 में हुआ था तथा वर्ष 2015 में इसके आकार को बढ़ाकर राष्ट्रीय स्तरीय किया गया। यह मंच भारत की सेवा में समर्पित भारतीय पत्रकार कल्याण का इकलौता मंच है जिसके पवन अश्री, जसबीर सिंह तथा सतनाम सिंह संस्थापक सदस्य हैं।

भारत की आजादी में “पत्रकारिता की भूमिका महत्वपूर्ण” विषय पर बोलते हुए कुलदीप पठानियां ने कहा कि प्रिंट मिडिया का देश की आजादी में अविश्वसनीय तथा अतुल्नीय योगदान रहा है जिसके बिना आजादी पाना सम्भव नहीं था। तब डिजिटल तथा इलैक्ट्रॉनिक मिडिया मौजूद नहीं था। पठानियां ने कहा कि पत्रकारिता की सकारात्मक, तथ्यपूर्ण तथा अभूतपूर्व लेखनी ने जहाँ करोड़ों भारतीय को आजादी पाने के प्रेरित किया वहीं समय- समय पर हिन्दी पत्रकारिता ने समाज में नई चेतना जागृत करने का कार्य किया था।

पठानियां ने कहा कि आज से करीब 198 वर्ष पहले 30 मई, 1826 को कलकत्ता से उदंत मार्तंड नामक हिन्दी सप्ताहिक समाचार पत्र निकला था, यहीं से हिन्दी पत्रकारिता ने देश व समाज हित में अपने पैर पसारे। इस कठिन दौर में तमाम चुनौतियों के बावजूद नामी लोगों ने समाचार पत्रों का प्रकाशन किया तथा देश की आजादी में बड़ा योगदान दिया। यदि सही ढंग से आंका जाए तो स्वतंत्रता की पृष्ठभूमि पत्रों एवं पत्रकारों ने ही तैयार की जिसने आगे चलकर राजनेताओं एवं स्वतंत्रता संग्रामियों को पहले पत्रकार बनने के लिए प्रेरित किया। पण्डित बाल गंगाधर तिलक, लाला लाज पतराय, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू एवं डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद आदि सभी का पत्रकारिता से सम्बन्ध रहा।

पठानियां ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए राजनेताओं को जितना संघर्ष करना पड़ा था उतना ही संघर्ष पत्रों तथा पत्रकारों को भी करना पड़ा था। बुद्विजीवी, ऋषियों की मौन साधना, तपस्या और त्याग इतिहास की धरोहर है जिसे मात्र साहित्य तक सीमित नही रखा जाना चाहिए बल्कि स्वतंत्रता की बलिबेदी पर आहूति देने वालों की श्रृंखलाबद्व समूह के रूप में भी माना जाना चाहिए। यदि हम तकनीकी रूप में देखें तो प्रारम्भिक पत्रकार स्वयं रिपोर्टर, लेखक,लिपिक, प्रूफरीडर, पैकर, प्रिंटर, सम्पादक तथा वितरक भी थे। जबकि क्रूरता, अन्याय, क्षोभ, विरोध, कलेश, संज्ञास तथा गतिरोध उनकी दिनचर्या हुआ करती थी फिर भी वे अटल थे, अडिग थे क्योंकि उनके पास एक लक्ष्य था देश की आजादी। ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों , सरकार का असहयोग तथा साधारण सहिष्णुता की उपलब्धता के बगैर भी निसंकोच कार्य करते रहे जो आज सर्वत्र दृष्टव्य है। उस समय न नियमित पाठक थे, न नियमित प्रैस थी प्रकाशन एवं मुद्रण के लिए दूसरे प्रैसों के समक्ष हाथ – पाँव जोड़कर चिरौरी करनी पड़ती थी ताकि कुछ अंक निकल जाएं।

कार्यक्रम के आरम्भ में विधान सभा अध्यक्ष को मंच के अध्यक्ष पवन अश्री द्वारा शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पठानियां ने भारतीय पत्रकार कल्याण मंच को अपनी ऐच्छिक निधि से ₹31000 देने की घोषणा की तथा कार्यक्रम के सफल आयोजन की बधाई व अन्नत शुभकामनाएँ दी।

(हरदयाल भारद्वाज)

संयुक्त निदेशक एवं मुख्य प्रवक्ता,

हि0प्र0 विधान सभा।