बिलासपुर, 12 मार्च –
बिलासपुर में नशा मुक्ति के लिए "प्रहार" अभियान की शुरुआत प्रथम अप्रैल से
गुंजन संस्था एवं अदानी फाउंडेशन ग्रुप के सहयोग से चलाया जाएगा व्यापक जनजागरण अभियान
जिला प्रशासन, अदानी फाउंडेशन ग्रुप और गुंजन संस्था के संयुक्त प्रयास से 1 अप्रैल से "प्रहार" अभियान की शुरुआत की जा रही है, जिसका उद्देश्य जिले को नशामुक्त बनाना और समाज को इस गंभीर समस्या के प्रति जागरूक करना है। इस संबंध में उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने मंगलवार को बचत भवन में आयोजित जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए विस्तृत जानकारी दी।
उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान समय में नशा एक ज्वलंत सामाजिक समस्या बन चुका है, जिससे विशेष रूप से युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिले को नशामुक्त बनाने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए आगे आना होगा। प्रशासन इस दिशा में विभिन्न विभागों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से लगातार कार्य कर रहा है ताकि नशे की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
उन्होंने बताया कि नशे के दुष्प्रभावों को लेकर युवाओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में विशेष प्रयास किए जाएंगे। इस कड़ी में "प्रहार" अभियान 1 अप्रैल से शुरू होकर पूरे जिले में एक वर्ष तक चलेगा। इसे जमीनी स्तर तक प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक विभाग से "प्रहरी" नियुक्त किए जाएंगे, जो अभियान को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे। इस अभियान के तहत गुंजन संस्था द्वारा एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है, जिसके अनुसार शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि स्कूलों और कॉलेजों में बनाए गए क्लबों को सक्रिय किया जाए।
इसके अतिरिक्त, उपायुक्त ने यह भी बताया कि शैक्षणिक संस्थानों की 100 मीटर की परिधि में नशीले पदार्थों की बिक्री पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने के लिए उप-मंडल स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में विशेष समितियाँ गठित की जाएंगी। इसके अलावा, वॉलंटियर्स भी नियुक्त किए जाएंगे, जो फील्ड में जाकर नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे।
नशे से जुड़ी इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए जिले में आयोजित होने वाले मेलों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस क्रम में राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले के दौरान एक विशेष प्रदर्शनी स्टॉल लगाया जाएगा, जिससे लोग नशे के दुष्प्रभावों के प्रति सचेत हो सकें।
उन्होंने बताया कि नशे की लत से पीड़ित लोगों के इलाज और पुनर्वास के लिए जिले में एक नशा मुक्ति केंद्र (De-Addiction Center) स्थापित किया जा रहा है। इस केंद्र में नशा पीड़ितों को आवश्यक उपचार और पुनर्वास सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
बैठक में विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों, बुद्धिजीवियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे। इस अवसर पर एएसपी शिव चौधरी, जिला कल्याण अधिकारी रमेश बंसल, अदानी ग्रुप के हितेश कपूर, नगर परिषद अध्यक्ष सतपाल वर्धन, घुमारवीं नगर परिषद अध्यक्ष रीता सहगल, विभिन्न विभागों के अधिकारी और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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अधिकारी निर्धारित अवधि में पात्र लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करें
जिला उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र लाभार्थियों तक तय समय सीमा के भीतर पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन होना आवश्यक है, ताकि समाज के जरूरतमंद वर्गों को इनका पूरा लाभ मिल सके।
बैठक के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नया 15 सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में चल रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले में कुल 229 अल्पसंख्यक जॉब कार्ड धारक पंजीकृत हैं। इनमें से 43 लोगों ने रोजगार की मांग की थी, जिन्हें मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध करवाकर लाभान्वित किया गया है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नया 15 सूत्री कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की गई। इसमें अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण के लिए एकीकृत बाल विकास सेवाओं की समुचित उपलब्धता, विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधार, उर्दू शिक्षकों के लिए अधिक संसाधन, अल्पसंख्यक समुदायों के मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति, मलिन बस्तियों की स्थिति में सुधार, उर्दू शिक्षण के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने, गरीबों के लिए स्व-रोजगार और मजदूरी रोजगार योजना, ग्रामीण आवास योजना में उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करने तथा तकनीकी शिक्षा के माध्यम से कौशल उन्नयन जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 के तहत गठित स्थानीय स्तरीय समिति की गतिविधियों की भी समीक्षा की गई। उपायुक्त ने बताया कि जिले में अब तक 107 दिव्यांगजनों के लिए कानूनी संरक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं। दिव्यांगजनों को उनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए विशेष सुविधा प्रदान की जा रही है। अब तक जिले में 7,114 दिव्यांग जनों का दिव्यांग पहचान पत्र पंजीकरण किया जा चुका है, जबकि 5,245 दिव्यांगजनों को डिजिटल यूडीआईडी कार्ड जारी किए गए हैं।
इस दौरान हाथ से मैला ढोने की प्रथा का प्रतिषेध और पुनर्वास अधिनियम, 2013 की समीक्षा भी की गई।
बैठक में जिला कल्याण अधिकारी रमेश बंसल ने सभी कार्यों की मदवार जानकारी प्रस्तुत की। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अधिकारी और गैर सरकारी संगठन के सदस्य भी उपस्थित रहे।
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कम्पोस्ट खरीद योजना आरम्भ
बिलासपुर 11 मार्च-उपनिदेशक कृषि राजेश गुलेरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश में सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने का काम कर रही है। उन्होंने बताया कि किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कम्पोस्ट खरीद योजना 11 दिसम्बर 2024 से शुरू हुई है। इससे अब किसानों व पशुपालकों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा, जिसके अंतर्गत किसानों तथा पशुपालकों से कम्पोस्ट खरीदा जा रहा है। इस योजना का पैसा किसानों को सीधे बैंक खातों में भुगतान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की यह महत्वाकांक्षी और जनहितैषी कम्पोस्ट खरीद गारंटी योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लोगों को पशुधन के महत्व को समझाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।
इस योजना के तहत किसान पशुपालकों से सीधे कृषि विभाग के माध्यम से 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से कम्पोस्ट की खरीद की जा रही है यानी एक क्विटल पर 300 रुपये और उनका भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यह योजना सरकार की दूरगामी सोच का परिणाम है, जो पशुपालन से जीवन निर्वाह कर रहे लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, कोई भी किसान पशुपालक इस योजना का लाभ उठा सकता है। योजना के तहत अधिक से अधिक लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है, ताकि वे इसका लाभ उठा सकें।
उन्होंने बताया कि राज्य भर में कई लोग योजना के तहत कृषि विभाग को कम्पोस्ट बेच चुके हैं, जिसकी राशि भी उनके खाते में आ चुकी है। प्रदेश में 20 फरवरी 2025 तक 105 किसानों से 421 क्विंटल कम्पोस्ट की खरीद की गई है, जिसमे 3 रूपये प्रति किलो की दर से कुल 1,26,300 रूपए की राशी विभिन्न जिलों के किसानों / पशुपालकों को आवंटित की गई। उन्होंने बताया कि बिलासपुर जिले में 28 फरवरी, 2025 तक 20 किसानों की पहचान की गई है जो विभाग को 200 क्विंटल कम्पोस्ट की आपूर्ति करवाने के इच्छुक है। योजना से न सिर्फ किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है, बल्कि प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिल रहा है. जिससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी।
उन्होंने बताया कि कम्पोस्ट की खरीद हेतू कृषि विभाग द्वारा निविदाएं आमन्त्रित की गई थी, जिसमें से बी आर ऑर्गेनिक्स फर्टिलाईजर आईएनडी चलाह पी.ओ. गुटकर जिला मंडी एच.पी. को स्वीकृत किया गया, भविष्य में इस कम्पोस्ट को विभाग द्वारा यह पंजीकृत ऐजैसी ही खरीदेगी। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए इच्छुक किसान अपने निकटतम कृषि कार्यालय, ब्लॉक स्तर पर कृषि विशेषज्ञ, जिले के कृषि उप-निदेशक, जिला कृषि अधिकारी से या पंजीकृत ऐजेंसी के फोन न. 8278856756 पर सम्पर्क किया जा सकता है। इसके अलावा 01978-222454 (दूरभाष नम्बर विभागीय वैवसाईट https://agriculture.hp.gov.in से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं)।
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जिला नियंत्रक, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले बृजेंद्र पठानिया
बिलासपुर 12 मार्च- जिला नियंत्रक, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले बृजेंद्र पठानिया ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के विभिन्न थोक भण्डारों सदर बिलासपुर, घुमारवीं व श्री नैना देवी जी में उचित मूल्य की दुकानों तक डोर स्टेप डिलीवरी के तहत आवश्यक वस्तुओं के परिवहन कार्य व मजदूरी (उचित मूल्य की दुकानों पर उतराई) कार्य हेतु निविदाएं वर्ष 2025-26 के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से https://hptenders.gov.in पर आमन्त्रित की गई है जो कि प्रथम अप्रैल,2025 को सायं 5 बजे तक ही ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से https://hptenders.gov.in पर अपलोड/प्राप्त की जाएंगी तथा निर्धारित समय के उपरान्त व ऑफलाइन प्रक्रिया ने कोई भी निविदा स्वीकार्य नहीं होगी। प्राप्त निविदाएं दिनांक 2 अप्रैल को प्रातः 11बजे निविदाताओं या उनके प्रतिनिधियों के सामने जिला दंडाधिकारी बिलासपुर या उनके प्रतिनिधि के सम्मुख उनके कार्यालय या उनके द्वारा
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जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, बिलासपुर ने ट्रॉमा सेंटर क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में जियो हैजर्ड्स सोसायटी, नई दिल्ली के सहयोग से अस्पताल सुरक्षा/अस्पताल आपदा प्रबंधन योजना पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, बिलासपुर ने ट्रॉमा सेंटर क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में जियो हैजर्ड्स सोसायटी, नई दिल्ली के सहयोग से अस्पताल सुरक्षा/अस्पताल आपदा प्रबंधन योजना पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है। इस कार्यशाला का उद्देश्य आपदाओं के मामले में अस्पताल की तैयारी और सुरक्षा को बढ़ाना है और स्वास्थ्य पेशेवरों की अग्रिम भागीदारी है।
तीन दिवसीय सत्र में स्वास्थ्य और आयुष विभाग के चिकित्सा अधिकारी, मुख्य फार्मेसी अधिकारी, फार्मेसी अधिकारी, डेंटल मैकेनिक, लैब तकनीशियन, स्टाफ नर्स, पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पुरुष/महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, आयुर्वेद फार्मासिस्ट अधिकारी शामिल हुए।
श्री प्रणव सेठी-जलवायु और आपदा जोखिम न्यूनीकरण विशेषज्ञ और कुमारी शिवांगी-परियोजना समन्वयक जियो हैजर्ड्स सोसायटी की ओर से तीन दिवसीय कार्यशाला के लिए संसाधन व्यक्ति थे। कार्यशाला में अस्पताल आपदा प्रबंधन योजना के विकास, अस्पताल के भीतर निकासी मार्ग और प्रक्रियाओं, आपातकालीन आपूर्ति और उपकरणों के स्थान पर ध्यान केंद्रित किया गया। सुरक्षा ऑडिट आयोजित करना, आपदा की तैयारी का महत्व और आपदा प्रबंधन चक्र (रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति)।
डॉ. निधि पटेल (आईएएस), अतिरिक्त उपायुक्त-सह-सीईओ, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, बिलासपुर ने तीसरे दिन कार्यशाला का समापन किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें आपदा के दौरान कैसे काम करना चाहिए, क्या हमें घबराना नहीं चाहिए और हम पीड़ितों को कैसे उचित उपचार प्रदान कर सकते हैं। आपदा के समय हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि यह जिम्मेदारी मेरी नहीं है, कोई और करेगा। हमें आपदा के लिए समन्वित और कुशल प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नर्सों और पैरामेडिक्स जैसे अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग करना चाहिए। डॉक्टर अस्पताल आपदा प्रबंधन का अभिन्न अंग हैं, जो बड़े पैमाने पर हताहतों की घटनाओं में कुशल और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करते हैं। उन्हें प्रयोगशाला और नैदानिक इमेजिंग के उपयोग को कम करने के लिए तैयार रहना चाहिए जब तक कि सभी गंभीर रूप से घायल रोगियों का इलाज नहीं हो जाता।
समापन दिवस पर डॉ. शशि दत्त शर्मा, सीएमओ, बिलासपुर भी मौजूद थे।