CHANDIGARH,13.12.25-राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में तथा माननीय श्री न्यायमूर्ति शील नागू, मुख्य न्यायाधीश-सह-संरक्षक-प्रमुख, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल, कार्यकारी अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ के सक्षम मार्गदर्शन में आज दिनांक 13.12.2025 को जिला न्यायालय परिसर, सेक्टर-43, चंडीगढ़ में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।

जिला न्यायालय, सेक्टर-43, चंडीगढ़ में सेवारत न्यायिक अधिकारियों की अध्यक्षता में कुल 13 पीठों का गठन किया गया। इनमें दंडनीय समझौता योग्य आपराधिक मामले, परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत मामले, बैंक रिकवरी प्रकरण, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) के मामले, वैवाहिक विवाद, श्रम विवाद, मध्यस्थता प्रकरण, अन्य दीवानी मामले, नगर निगम से संबंधित मामले तथा यातायात चालान आपसी सहमति से निस्तारित किए गए।

आज की राष्ट्रीय लोक अदालत में जिला न्यायालय परिसर, सेक्टर-43, चंडीगढ़ में गठित पीठों द्वारा 21,526 से अधिक मामलों का निस्तारण किया गया, जिनमें लंबित, पूर्व-वाद (प्री-लिटिगेटिव) प्रकरण तथा यातायात चालान शामिल हैं। उपर्युक्त मामलों में कुल ₹35,86,52,763/- की राशि का समझौता हुआ।

इसके अतिरिक्त, स्थायी लोक अदालत (PUS) द्वारा 240 पूर्व-वाद प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जिनमें ₹34,70,858/- की राशि शामिल थी। श्रम न्यायालय द्वारा 26 श्रम विवाद प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जिनमें ₹55,000/- की राशि सम्मिलित थी। राज्य एवं जिला उपभोक्ता आयोग, चंडीगढ़ द्वारा 73 प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जिनमें ₹1,36,90,319/- की राशि शामिल थी। डीआरटी-II, चंडीगढ़ द्वारा 163 प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जिनमें ₹1,31,44,12,577/- की राशि सम्मिलित थी। इसके अलावा, तहसीलदार (राजस्व), यू.टी. चंडीगढ़ द्वारा कुल 328 म्यूटेशन का निस्तारण किया गया।

कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण माननीय श्री न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल, न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय तथा कार्यकारी अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ का विशेष दौरा रहा, जिन्होंने संपूर्ण प्रक्रिया का अवलोकन किया। इस अवसर पर माननीय श्री न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल ने कहा—
“पैसा मायने नहीं रखता, आभूषण मायने नहीं रखते, केवल मानसिक शांति मायने रखती है। अतः लंबी मुकदमेबाजी समाप्त करें और जीवन की नई, ताज़ा शुरुआत करें। इससे आपका समय और धन बचेगा तथा मानसिक बोझ कम होगा।”
उन्होंने न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं एवं प्रशासनिक स्टाफ के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देने में लोक अदालतों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।

माननीय श्री न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल के संवाद के आधार पर वैवाहिक विवादों से संबंधित सात पक्षों का पुनर्मिलन हुआ, जिनके मामले श्री पुन्नेट मोहन शर्मा, माननीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, चंडीगढ़ की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थे।

एक दीवानी मामले में ₹3.52 करोड़ के विवाद को तीन वर्षों की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद ₹3.20 करोड़ में सुलझाया गया। यह समझौता डॉ. प्रिक्षित, सिविल जज (कनिष्ठ श्रेणी), चंडीगढ़ तथा श्री मोहित सिंह डबडाब, सिविल जज (कनिष्ठ श्रेणी), चंडीगढ़ के प्रयासों से संभव हुआ। इसी प्रकार, वर्ष 2019 से लंबित ₹53 लाख के चेक बाउंस मामले का भी राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारण किया गया। जिला सहकारी मिल उत्पादक यूनाइटेड लिमिटेड (वेरका) के महाप्रबंधक न्यायालय में उपस्थित रहे तथा समझौता राशि का चेक प्राप्त किया।

आज की राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन माननीय श्री न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल, कार्यकारी अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ के सक्षम मार्गदर्शन में किया गया। गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित लोक अदालतें न्यायालयों के लिए एक प्रभावी सहायक माध्यम बन चुकी हैं तथा विवादों के त्वरित एवं सौहार्दपूर्ण निस्तारण हेतु वादकारियों को एक पूरक मंच प्रदान कर रही हैं।

श्री संजय संधीर, कार्यवाहक जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण; श्री अरुण कुमार अग्रवाल, माननीय सदस्य सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यू.टी. चंडीगढ़ तथा श्री सुनील कुमार, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चंडीगढ़ ने इस लोक अदालत को सफल बनाने में सहयोग देने वाले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का धन्यवाद किया तथा जनता से अपील की कि वे अपने विवादों के समाधान हेतु लोक अदालतों का अधिकाधिक लाभ उठाएं, क्योंकि यह त्वरित एवं किफायती न्याय प्रदान करती हैं।