पंचायत जनप्रतिनिधियों के इस्तीफे के नियमों पर आपत्तियां या सुझाव आमंत्रित

हमीरपुर 16 अक्तूबर। प्रदेश की विभिन्न पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों के त्यागपत्र देने से संबंधित नियमों में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव है। पंचायतीराज विभाग ने इन संशोधित नियमों के संबंध में 30 दिन के भीतर आपत्तियां या सुझाव आमंत्रित किए हैं।
जिला पंचायत अधिकारी शशिबाला ठाकुर ने बताया कि इन संशोधित नियमों का प्रारूप हिमाचल प्रदेश के राजपत्र (ई-गजेट) पर उपलब्ध है। अगर किसी व्यक्ति को संशोधित नियमों के इस प्रारूप पर कोई आपत्ति हो या फिर वह अपने सुझाव रखना चाहता है तो वह इस प्रारूप के प्रकाशन की तिथि से 30 दिन के भीतर अपनी आपत्तियां या सुझाव प्रस्तुत कर सकता है।
जिला पंचायत अधिकारी ने जिला के सभी खंड विकास अधिकारियों से अपील की है कि अगर इस अवधि के दौरान उन्हें कोई आपत्ति या सुझाव प्राप्त होता है तो वे इन्हें तुरंत जिला पंचायत अधिकारी कार्यालय को प्रेषित करें, ताकि इन आपत्तियों एवं सुझावों को जिला स्तर पर संकलित करके पंचायतीराज विभाग के विशेष सचिव को अग्रेषित किया जा सके।

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खग्गल, घनोटला, रोपा में 17 को बंद रहेगी बिजली
हमीरपुर 16 अक्तूबर। विद्युत उपमंडल-1 हमीरपुर के अंतर्गत लाइनों की आवश्यक मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण के कार्य के चलते 17 अक्तूबर को गांव खग्गल, घनोटला, रोपा और आसपास के गांवों में सुबह 9 से सायं 5 बजे तक बिजली की आपूर्ति बाधित रहेगी। उपमंडल के सहायक अभियंता सुनील कुमार ने इस दौरान सभी उपभोक्ताओं से सहयोग की अपील की है।

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30 नवंबर तक बंद रहेगी बड़सर-गुजरेड़ा-नेरी सड़क

हमीरपुर 16 अक्तूबर। बड़सर-गुजरेड़ा-नेरी सड़क के सुदृढ़ीकरण एवं मरम्मत कार्य के चलते इस सड़क पर यातायात 30 नवंबर तक बंद किया गया है।
इस संबंध में आदेश जारी करते हुए जिलाधीश अमरजीत सिंह ने बताया कि बड़सर-गुजरेड़ा-नेरी सड़क के सुदृढ़ीकरण एवं मरम्मत कार्य को सुचारू रूप से जारी रखने तथा इसे अतिशीघ्र पूरा करने के लिए इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही 30 नवंबर तक बंद की गई है। इस दौरान क्षेत्र के वाहन चालक बड़सर-धनेटा सड़क से आवाजाही कर सकते हैं। जिलाधीश ने क्षेत्र के सभी वाहन चालकों से सहयोग की अपील की है।

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पटवारखानों में राजस्व सेवाओं के लिए निर्धारित दरों पर ही लिया जा रहा शुल्क

नादौन 16 अक्तूबर। तहसीलदार नादौन रोहित कंवर ने तहसील नादौन के पटवारखानों में विभिन्न सेवाओं की ऐवज में शुल्क की वसूली के संबंध में स्पष्ट किया है कि यह शुल्क सरकार द्वारा अधिसूचित संशोधित दरों के अनुसार ही लिया जा रहा है तथा लोगों को इसकी बाकायदा रसीद दी जा रही है।
शुल्क के संबंध में दैनिक समाचार पत्र पंजाब केसरी में प्रकाशित एक खबर को निराधार बताते हुए तहसीलदार ने कहा कि शुल्क और रसीद का पूरा रिकॉर्ड भी मेंटेन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब सभी तरह के शुल्क के लिए ऑनलाइन सिस्टम है। शुल्क की अदायगी के साथ ही संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर इसका मैसेज जाता है और इसकी ऑनलाइन रसीद भी जनरेट होती है। यह ऑनलाइन सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी है। तहसीलदार ने बताया कि सभी पटवारियों को आम लोगों को प्राथमिकता के आधार पर राजस्व संबंधी सेवाएं प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।

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धर्मशाला में पटाखे बेचने के लिए स्थान किए निर्धारित, 28 से पहले करना होगा आवेदन

धर्मशाला, 16 अक्तूबर। दीवाली से पहले पटाखे बेचने के लिए धर्मशाला में स्थान निर्धारित कर दिए गए हैं। इस बाबत एसडीएम संजीव कुमार ने आदेश जारी करते हुए कहा कि कचहरी अड्डा, डिपो बाजार, सिविल बाजार तथा इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए मिनी सचिवालय के मुख्य द्वार पर ग्राउंड फ्लोर पार्किंग में पटाखे बेचने के लिए स्थान निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही मुख्य बाजार कोतवाली, कैंट रोड, ब्रिज लाल रोड, गुरूद्वारा रोड, खनियारा रोड, ओल्ड चड़ी रोड, खड़ा डंडा रोड तथा इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए कोतवाली के रामलीला मंच तथा ग्राउंड समीप फव्वारा चौक कौतवाली बाजार में स्थान निर्धारित किया गया है।
मैकलोडगंज तथा इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए भागसूनाग रोड पर सब्जी मंडी का ओपन प्लेस निर्धारित किया गया है। दाड़ी तथा इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए दाड़ी मेला ग्राउंड का स्थान पटाखों को बेचने के लिए निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि उपमंडल धर्मशाला के पंचायत क्षेत्रों में भी केवल खुले क्षेत्र में की पटाखे बेचने की अनुमति होगी। उन्होंने बताया कि पटाखों की बिक्री के लिए सुबह 8 से शाम 8 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है।
एसडीएम ने कहा कि निर्धारित स्थानों के अलावा कहीं भी पटाखे बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी तथा नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पटाखे बेचने की अनुमति लेने के लिए 28 अक्तूबर से पहले आवेदन करना जरूरी होगा तथा इसके बाद किसी भी तरह के आवेदन स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।

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मुख्य न्यायाधीश ने वर्चुअल किया इंदौरा में लिटिगंेंट हाॅल और रिकार्ड रूम का लोकार्पण
धर्मशाला, 16 अक्तूबर। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने शिमला से वर्चुअल इंदौरा के लिटिगेंट हाॅल तथा रिकार्ड रूम का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि प्रदेश उच्च न्यायालय लोगों को उनके घर-द्वार के समीप तीव्र एवं किफायती न्याय सुनिश्चित बनाने के लिए समर्पित प्रयास कर रहा है। जनता के लिए न्याय व्यवस्था को अधिक सुगम और सुलभ बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने न्यायिक प्रकिया को अधिक जनमुखी बनाने के लिए बार एसोसिएशन और न्यायाधीशों के मिलकर काम करने की जरूरत को रेखांकित किया। प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर क्षेत्र के लोगों को लिटिगेंट हाॅल तथा रिकार्ड रूम मिलने पर बधाई दी तथा न्यायिक अधिकारियों और वकीलों से लोगों को तीव्र गति से न्याय प्रदान करने के लिए मिलकर काम का आग्रह किया।
इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव बाली ने मुख्यातिथि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शकधर तथा शिमला से वर्चुअल जुड़े अन्य हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों का स्वागत किया। बार एसोसिएशन इंदौरा के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने सभी गणमान्य अतिथिगणों का इस अवसर पर वर्चुअल तौर पर उपस्थित रहने के लिए आभार व्यक्त किया।

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पालमपुर में निदेशक की अध्यक्षता में हुई पशुपालन विभाग की बैठक

प्रवासी भेड़-बकरियों में फुट रॉट रोग के उपचार के लिए विभाग पूरी तरह मुस्तैद

धर्मशाला, 10 अक्तूबर। निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. प्रदीप शर्मा ने आज पालमपुर में विभागीय अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रवासी भेड़-बकरियों के झुंडों में फुट रॉट रोग (पैरों की सड़न) के संदर्भ में स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि विभाग के पशु चिकित्सकों द्वारा प्रवासी भेड़-बकरियों में फुट रॉट रोग के प्रकोप पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, कांगड़ा जिले में प्रवासी गद्दी चरवाहों के कम से कम 60 झुंडों में फुट रॉट रोग की व्यापकता की जांच की गई है। उन्होंने बताया कि पशु चिकित्सकों और फार्मासिस्टों सहित विभाग की 10 त्वरित प्रतिक्रिया टीमों का गठन किया गया है, जो ऐसे झुंडों में किसी भी बीमारी की घटना को देखेंगे।
बकौल डॉ. प्रदीप, इन टीमों द्वारा 15 अक्टूबर, 2024 तक कुल 6000 प्रवासी पशुओं की जांच की गई है और इस तरह की सक्रिय निगरानी प्रवास के मौसम के अंत तक जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि रोग जांच प्रयोगशाला मंडी के वैज्ञानिकों ने बरोट क्षेत्र के लोहारडी गांव में तैनात झुंडों से नमूने भी एकत्र किए हैं। उन्होंने बताया कि विभागीय मशीनरी हमेशा सतर्क रहती है और अब तक फुट रॉट रोग के कारण किसी पशु की मृत्यु की कोई सूचना नहीं है। उनके अनुसार, इस उद्देश्य के लिए तैनात पशु चिकित्सकों 60 झुंडों में से 749 पशुओं का लंगड़ापन और संबंधित स्थितियों के लिए चिकित्सकीय उपचार करने में सक्षम रहे।
उन्होंने बताया कि कांगड़ा क्षेत्र में इस उद्देश्य के लिए तैनात पशु चिकित्सकों द्वारा लंगड़ेपन की किसी भी घटना पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और आवश्यक उपचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रवासी भेड़ और बकरी पशुओं में फुट रॉट रोग से उत्पन्न किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्षेत्र के सभी पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सा दवाओं का पर्याप्त भंडार है।
सहायता केंद्रों के माध्यम से हो रहा उपचार: संयुक्त निदेशक
इस दौरान संयुक्त निदेशक पशुपालन पालमपुर डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि प्रवासी चरवाहों के लिए जिया, बंदला, कंडवारी, उत्तराला, देओल और बीड़ में कम से कम छः डिपिंग/टीकाकरण/ड्रेंचिंग केंद्र वर्तमान में चालू हैं, जिन्हें पशुपालन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा 24 घंटे संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन केंद्रों में गद्दी चरवाहों के प्रवासी पशुओं की जांच की जा रही है और साथ ही साथ एफएमडी और पीपीआर जैसी संक्रामक बीमारी के लिए टीकाकरण भी किया जा रहा है। इसके अलावा, इन चरवाहों को उनकी प्रवासी भेड़ और बकरियों के लिए दवा के साथ-साथ हर तरह की चिकित्सीय सहायता भी उपलब्ध करवाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि ये पशु चिकित्सा सहायता केंद्र तब तक चालू रहेंगे जब तक कि अंतिम झुंड मैदानी इलाकों में सर्दियों के चरागाहों की ओर नहीं चला जाता। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना जिला के उप निदेशकों को भी इन जिलों से गुजरने वाले प्रवासी चरवाहों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उन्हें अपने क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को भी तैनात करने के लिए सतर्क किया गया है ताकि बीमार जानवरों को मौके पर पशु चिकित्सा सहायता सुनिश्चित की जा सके।
आईवीएफ के माध्यम से पशुओं में गर्भाधान पर हो रहा विचार
इससे पूर्व निदेशक पशुपालन डॉ. प्रदीप शर्मा ने बनूरी में स्थापित पशुपालन विभाग की आईवीएफ/ईटीटी प्रयोगशाला का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग आईवीएफ तकनीक के माध्यम से पशुओं को गर्भधारण करने की दिशा में विचार कर रहा है। इस तकनीक से वीर्य के बजाय योग्य गायों में उच्च उपज देने वाले भ्रूण का गर्भाधान किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि यह एक सटीक गर्भाधान तकनीक है, जिसे यदि क्षेत्र स्तर पर निर्धारित एसओपी के साथ क्रियान्वित किया जाए तो गर्भधारण सुनिश्चित होता है।