HISAR, 23.11.24-** मुम्बई से डाॅ अरविंद इसे 44 साल तक निकालते रहे और इतना ही पुराना मेरा इस पत्रिका से नाता रहा । जहां भी रहा, चाहे नवांशहर, चाहे चंडीगढ़, चाहे हिसार पत्रिका मेरे हर पते पर दस्तक देती रही । चर्चित आमने सामने स्तम्भ के साथ साथ लघुकथाओं और कहानियों को चर्चा मिलती रही । अब प्रबोध कुमार गोविल संपादन संभाल रहे हैं। बहुत बहुत शुभकामनाएं
** कथाबिंब के लघुकथा विशेषांक में मित्र अशोक भाटिया व कांता राॅय का अतिथि संपादक के रूप में योगदान है ।
** इलाहाबाद से एक समय नंदल हितैषी ने एक अन्य रचनाकार के साथ पुलिस पर संकलन दिया था-आतंक !
** इतने सालों बाद आगरा से सविता मिश्र ने इसे नये रूप और नाम 'खाकीवर्दी' से संपादित किया है, जो आगरा यात्रा पर उनका बेटा अमित देने आया । मित्रो, सबसे दिलचस्प बात यह कि आतंक और खाकीवर्दी में मेरी एक ही लघुकथा है -पूछताछ! हालांकि मैंने तीन भेजी थीं लेकिन सविता के मन को भी 'पूछताछ' ही लगी ! सविता मिश्र के पिता पुलिस में अधिकारी थे तो पतिदेव भी पुलिस में ही हैं । है न मज़ेदार !
** इतना संतोष कि पचास के बाद भी लघुकथा में नाट आउट !
** डाॅ संजीव व सविता मिश्र को मेरी यात्रा जारी रखने पर आभार !
-कमलेश भारतीय