चण्डीगढ़, 10.01.25 | आज दिनांक 10 जनवरी, 2025 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा “विश्व हिंदी दिवस” के अवसर "वैश्विक परिवेश में लोक भाषाएं" विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्री गणेश गनी (प्रसिद्ध साहित्यकार) तथा डॉ० अली अब्बास (प्राध्यापक, उर्दू विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने मुख्य वक्ताओं को पुष्प गुच्छ भेंट देकर उनका औपचारिक स्वागत किया। उन्होंने मुख्य वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि आज हम भाषाओं को धर्मों से जोड़कर देखते हैं जो साहित्य के लिए दुर्भाग्य की बात है। हमारे आज के व्याख्यान की विषयवस्तु इसी बात को केंद्र में रखकर बनाई गई है और हमने हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं के विद्वानों को व्याख्यान के लिए बुलाया है। ताकि वह हिन्दी और उर्दू के मृदुल अन्तर संबंधों को हमारे समक्ष प्रस्तुत करें। डॉ० अली अब्बास ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हिन्दी और उर्दू जबान के बीच गहरे रिश्ते हैं इसका स्ट्रक्चर एक जैसा है। उर्दू भाषा वालों द्वारा खुद को अरबी और पर्शियन से जोड़ने का अधिक प्रयास किया और हिन्दी और संस्कृत अदब से किनारा करते चले गए। लेकिन आज हम यह कह सकते हैं कि यदि उर्दू वाले भारतीय संस्कृति और यहां की भाषाओं से अधिक राब्ता रखते तो शायद हमारा साहित्य और अधिक समृद्ध होता। हम हिन्दी विभाग के आभारी हैं जिन्होंने हिन्दी और उर्दू को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है।

इस कार्यक्रम के दूसरे मुख्य वक्ता श्री गणेश गनी ने भाषा में लोक और स्थानीयता पर बात रखते हुए कहा कि आज विश्व में छह हज़ार भाषाएं बोली जाती हैं। लेकिन भाषा प्रेमियों के लिए यह चिंतनीय विषय है कि प्रत्येक चालीस दिनों में एक भाषा विलुप्त होती जा रही है। जिसका कारण यह है कि हम अपनी लोक भाषाओं को छोड़ते जा रहे हैं। इस पर विचार करने की आवश्यकता है। अपने व्याख्यान के अंत में गणेश गनी ने अपने दोनों काव्य संग्रहों (वह सांप सीढ़ी नहीं खेलता, थोड़ा समय निकाल लेना) से अपनी एक-एक कविता पढ़ी। इसके बाद डॉ० पान सिंह (प्राध्यापक, हिन्दी-विभाग, हि०प्र० विश्वविद्यालय, शिमला) ने 'क्या पहाड़ भी रोता है', विभाग के विद्यार्थी नारायण ने 'मनभावन हिन्दी', पवन ने 'नर्क इस जहां को न कहें तो क्या कहें' कविताओं का वाचन कर सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं तथा श्रोताओं का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में डॉ० बलवेंद्र सिंह, डॉ० राजकुमार मालिक, विभाग के शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन शोधार्थी राहुल कुमार ने किया।