चंडीगढ़ 16 जनवरी :- सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व सत्कारयोग निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन आशीर्वाद से स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन सेक्टर-30 में विशाल सत्संग का आयोजन किया गया। इस सत्संग की अध्यक्षता संत निरंकारी मंडल के सचिव आदरणीय श्री जोगिन्दर सुखीजा ने की ।इस कार्यक्रम में आदरणीय कर्नल एच.एस. गुलेरिया मेम्बर प्रचार प्रसार भी सम्मिलित थे ।

आदरणीय जोगिन्दर सुखीजा ने भक्ति की अवस्था का जिक्र करते हुए अपने भाव रखे कि भक्त की अवस्था उस मछली की भांति होनी चाहिए जो पानी के बिना जीवित नहीं रह सकती। ठीक इसी प्रकार भक्त का जीवन भी सेवा, सुमिरण, सत्संग के बिना पूर्ण नहीं होता।

संत कबीरदास जी के जीवन का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने समझाया कि एक भक्त ने सत्संग की महत्ता के विषय में जब कबीर जी से पूछा तो उन्होंने किल्ले पर हथौड़ा मारकर यह समझाने का प्रयत्न किया कि जिस प्रकार किल्ले पर हथौड़ा को बार बार मारा जाता है ठीक उसी भांति सत्संग में निरंतर आने और नित भक्ति का जिक्र होने से हमारे आचरण एवं व्यवहार में परिवर्तन आता है और हमारे सभी विकार दूर हो जाते हैं जिससे हमारी भक्ति और दृढ़ होती चली जाती है।

उन्होंने प्रेमाभक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि अहंकार की समाप्ति प्रेमाभक्ति से है। हम सभी के जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते है किन्तु ब्रह्मज्ञान की दिव्य दात हमें इन नकारात्मक बातों से दूर करते हुए प्रेमाभक्ति का सुंदर भाव सिखाते है। यह प्रेरणादायक भाव सतगुरु के प्रति पूर्णतः समर्पित होने से होते है। जिस प्रकार स्वास हमारे जीवन की एक निरंतर प्रक्रिया है ठीक उसी प्रकार हर एक स्वास में इस प्रभु का सुमिरन होना चाहिए।

अंत में सेवानिवृत कर्नल एच. एस. गुलेरिया मेम्बर इंचार्ज प्रचार प्रसार ने कहा कि हम जब सत्संग में आये तो समर्पित होकर आये ताकि हमारे जीवन की मूल वास्तविकता बनी रहे और उसमें एक सकारात्मक परिवर्तन आये।

इस अवसर पर जोनल इचार्ज श्री ओ. पी. निरंकारी ने संत निरंकारी मंडल के सचिव जोगिन्दर सुखीजा और मेंबर इंचार्ज, प्रचार प्रसार कर्नल एच. एस. गुलेरिया का सत्संग में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया।