चण्डीगढ़,02.03.25- : माँ धारी देवी कीर्तन मंडली, सैक्टर 37 सी एवं श्री देवालय पूजक परिषद, चंडीगढ के तत्वाधान में श्रीमद्देवी भागवत महापुराण एवं श्री शतचण्डी महायज्ञ का भव्य आयोजन भगवान श्री परशुराम भवन सैक्टर 37-सी में शुरू हुआ जिसमें कथा व्यास श्रद्धेय पूज्य श्री गणेश शास्त्री जी उत्तराखंड ने बताया कि कलौ चंडी विनायकौ का मतलब है कि कलिकाल में अगर किसी देवी-देवता की पूजा फलदायी होगी, तो वे एकमात्र चंडी (दुर्गा) और विनायक (गणेश) ही होंगे। श्रीदुर्गासप्तशती में 'कलौ चंडी विनायकौ' का ज़िक्र मिलता है। इसके मुताबिक, कलियुग में चंडी दुर्गा और विनायक-गणेशजी की प्रधानता है। कलयुग में मां चंडी ही सब विघ्नों को नाश करने वाली मां भगवती का दिव्या महतम्य सुनाया मां जगदंबा पालन कारणी है तो संहार करणी भी है।
इस अवसर पर माँ धारी देवी कीर्तन मंडली एवं गढ़वाल सभा के प्रधान शंकर सिंह पवार समस्त सदस्य, श्री देवालय पूजक परिषद के अध्यक्ष एवं पदाधिकारीगण, श्री ब्राह्मण सभा के प्रधान यशपाल तिवारी समस्त कार्यकरणी सदस्यों सहित एवं माँ धारी देवी कीर्तन मंडली प्रधान आशा नौटियाल, गुड्डी सजवाण, रमा नेगी, बीना रतूड़ी सहित समस्त कीर्तन मण्डली की सदस्य उपस्थित रही।