शिक्षा के साथ-साथ इंसान का व्यवहार भी अच्छा होना है जरूरी- बंडारू दत्तात्रेय
युवाओं को हमेशा बड़े विचार और बड़ी सोच रखनी चाहिए- राज्यपाल
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज के वार्षिक दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित
चंडीगढ़, 12 अप्रैल, 2025- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ आचार और विचार का भी सही होना जरूरी है। जैसा आचार, विचार और व्यवहार होगा वैसे ही व्यक्तित्व होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को अच्छे संकल्प के साथ राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में युवाओं की विशेष भागीदारी जरूरी है। युवाओं को हमेशा बड़े विचार और बड़ी सोच रखनी चाहिए।
राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय शनिवार को भिवानी स्थित टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज के वार्षिक दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे चाहे वैज्ञानिक बनें या उद्योगपति बनें, लेकिन देश, समाज, अपनी कर्मभूमि और जन्म भूमि के प्रति अपना दायित्व ना भूलें। जन्म भूमि स्वर्ग से भी महान होती है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे देश के विकास के लिए ग्रामीण अंचल में अपनी सेवाएं जरूर दें। शिक्षा तभी सार्थक होती है, जब हमारे मन में गरीब व जरूरतमंद लोगों के प्रति सेवाभाव रहता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र के उत्थान में स्टील और टैक्सटाइल का बड़ा योगदान होता है। टैक्सटाईल के क्षेत्र में न केवल रोजगार पाने की बल्कि बड़ा बिजनेस मैन बनने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत का टैक्सटाइल के क्षेत्र एक्पोर्ट करीब नौ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं टैक्सटाइल के क्षेत्र में तीन करोड़ से भी अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि भिवानी में टीआईटी की स्थापना प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी जीडी बिड़ला ने ऐसे समय में की थी, जब देश द्वितीय विश्व युद्ध के अंधेरे बादलों से घिरा हुआ था। उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि करीब 90 साल पहले स्थापित इस संस्थान ने हजारों इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, प्रशासकों, उद्यमियों और समाज में बदलाव लाने वाले नेताओं को तैयार किया है।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग में इस संस्थान का योगदान किसी से छिपा नहीं है। अपनी स्थापना के समय से ही, इस संस्थान ने कपड़ा क्षेत्र के विकास में एक आधारशिला की भूमिका निभाई है। वैश्विक आर्थिक मंदी और विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, संस्थान ने अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता को बनाए रखा है। टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल केमिस्ट्री और फैशन एवं परिधान इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में इस संस्थान ने न केवल अकादमिक मानकों को ऊंचा किया है, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण और उद्योग से जुड़ाव के माध्यम से अपने छात्रों को भविष्य के लिए तैयार किया है।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि वे नवाचार पर काम करते हुए रोबोटिक, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मिशन लर्निंग, डाटा एनीलिसिस सहित विषयों की पढ़ाई करें और नई तकनीक सीखने की जिज्ञासा रखें। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वे यहां से डिग्री लेकर बड़े उद्योगपति बनें ताकि दूसरों को रोजगार दे सकें।
अपने संबोधन में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा कि तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाने वाले नवाचार उत्पन्न करना भी है। छात्रों में उद्योग-उन्मुख सोच और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना देखना अत्यंत उत्साहजनक है। एमडीयू रोहतक के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि शिक्षा तब सार्थक होती है, जब वह चरित्र निर्माण, कौशल विकास और सामाजिक उत्थान के लिए प्रेरित करे। यहां के छात्र जिस ऊर्जा और नवाचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं, वह निरूसंदेह राष्ट्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीबीएलयू की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी ने कहा कि शिक्षण संस्थान मंदिर के समान होता है। शिक्षा केवल धन अर्जित करने या नया सीखने के लिए ही नहीं होती, बल्कि शिक्षा का उद्देश्य अच्छा इंसान बनना होना चाहिए। टीआईटी के पूर्व छात्र रहे प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी अनिल जैन ने कहा कि इस संस्थान ने उनकी नींव रखी थी। जो मूल्य, अनुशासन और शिक्षा उनको यहां मिले, वे उनकी औद्योगिक यात्रा की आधारशिला बने।
संस्थान के निदेशक प्रो बीके बेहरा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह संस्थान केवल तकनीकी ज्ञान का केंद्र नहीं बल्कि नवाचार, नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। संस्थान का लक्ष्य एक ऐसा शैक्षणिक वातावरण निर्मित करना है जहां छात्र केवल सिद्धांतों को न सीखें, बल्कि उन्हें प्रयोग में लाकर समाज की वास्तविक समस्याओं का समाधान खोजें। संस्थान की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत तथा देश की विभिन्नता में एकता लिए शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
बॉक्स- राज्यपाल ने स्वदेशी सामग्रियों की प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
समारोह में अनेक प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया गया, जिसका राज्यपाल ने उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में प्रमुख रूप से टेक्सटाइल कंपोजिट्स, जिओ सिंथेटिक, फंक्शनल क्लॉथिंग, वेस्ट टू वेल्थ, स्पोर्ट्स वियर, आईओटी स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम,वर्ल्ड ऑफ टेक्सटाइल फाइबर्स, रिमिक्सिंग चेरियल सेंपलिंग, रिकंस्ट्रक्टिंग एप्लिक हेरिटेज, सैफ टेक,प्रमुख रूप से शामिल रही। राज्यपाल ने प्रदर्शनी को अवलोकन कर विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया।
कार्यक्रम में नगराधीश अनिल कुमार, बिजली निगम एसई बिजेंद्र लांबा, एक्सईन संजय रंगा, प्राचार्य डीपी कौशिक, डॉ. मनोज शर्मा, प्रो. अनिल यादव, लक्ष्मण गौड़, ऐश्वर्य शर्मा, प्रमोद कुमार, कमल सरदाना, अमित कुमार और नितेश कुमार सहित संस्थान के सभी स्टाफ सदस्य और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
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कलाकार अपनी कला द्वारा दुनिया में दे अच्छा संदेश- बंडारू दत्तात्रेय
देश के विकास में वैश्य समाज की विशेष भूमिका- राज्यपाल
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने वैश्य महाविद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम अभिव्यंजना के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि किया संबोधित
चंडीगढ़, 12 अप्रैल, 2025- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कलाकार की अपनी एक अलग स्थायी पहचान होती है। कलाकार अपनी कला से पूरी दुनिया में एक अच्छा संदेश दे सकता है। कलाकार ही संस्कृति का आदान-प्रदान करता है। राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में कलाकारों का अहम योगदान होता है। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और समाज सेवा के प्रति भी अग्रणी है। देश के विकास में वैश्य समाज की विशेष भूमिका है।
राज्यपाल श्री दत्तात्रेय भिवानी स्थित वैश्य महाविद्यालय में शनिवार को आयोजित राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम अभिव्यंजना के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समाज की गतिविधियों में महिलाओं को अग्रणी रखना चाहिए। महिलाओं ने आज हर मुकाम को हासिल कर लिया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि कला, साहित्य, संस्कृति और अभिव्यक्ति का एक ऐसा उत्सव है, जो हमें हमारे महान इतिहास से जोड़ता है और भावी पीढिय़ों को हमारी समृद्ध संस्कृति के बारे में जानने की प्रेरणा देता है। किसी भी देश व प्रदेश की पहचान वहां की संस्कृति से होती है। हमारी देश की महान संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हमारे देश में विभिन्न प्रकार की वेशभूषा, खान-पान, रीति-रिवाज होने के बावजूद भी हमारी संस्कृति हमें एकता के सूत्र में पिरोए रखने का कार्य करती है। इसलिए विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़चढ़ कर भाग लेना चाहिए। इससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है।
उन्होंने कहा कि अभिव्यंजना केवल एक शब्द नहीं है, यह एक भावना है, एक संकल्प है, जो हमें अपनी भावनाओं, विचारों और प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का अवसर देता है। इस एक दिवसीय राज्यस्तरीय सांस्कृतिक समारोह में ललित कला, साहित्य, नृत्य, गायन और अभिनय की नौ विधाओं को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि वैश्य कॉलेज का इतिहास गौरवमयी और प्रेरणादायक है। इसकी स्थापना आजादी से पहले, वर्ष 1944 में हुई थी, जब देश स्वतंत्रता संग्राम के दौर से गुजर रहा था। उस समय इस संस्था की नींव रखने वालों का सपना था कि यहां से निकलने वाला हर विद्यार्थी न केवल शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ें बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान दे। इस महाविद्यालय ने कानून, शिक्षा, खेल, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, राजनीति, व्यापार और प्रशासनिक सेवाओं जैसे विविध क्षेत्रों में असंख्य सफल व्यक्तित्व दिए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि इस महाविद्यालय की प्रबंधकारिणी में ऐसी महान हस्तियां शामिल रही हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से इतिहास रचा। इनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने सबसे लंबे समय तक कॉलेज प्रबंधकारिणी के अध्यक्ष के रूप में दायित्व निभाया और इस संस्थान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक घनश्याम सर्राफ ने कहा कि वैश्य महाविद्यालय का शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान है। जिला भिवानी व आसपास इलाके के युवा इससे बहुत लाभान्वित हो रहे हैं। इस महाविद्यालय में महान हस्तियां हुई हैं, जिन्होंने देश व दुनिया में अपना नाम रोशन किया है। आज इस महाविद्यालय की अपनी अलग पहचान है। चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि सीबीएलयू के तहत आने वाले हर एक महाविद्यालय में नकल रहित परीक्षाओं का संचालन किया जाता है। वैश्य महाविद्यालय विद्यार्थियों में संस्कार भरने का काम रहा है।
समारोह को वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के अध्यक्ष शिव रत्न गुप्ता, गवर्निंग बॉडी अध्यक्ष अजय गुप्ता, उपाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, प्राचार्य संजय गोयल ने राज्यपाल का स्वागत किया और वैश्य महाविद्यालय की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल द्वारा अभिव्यंजना के विजेता कलाकार विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. हरिकेश पंघाल और प्रोमिला सिहाग ने किया।
इस मौके पर नगराधीश अनिल कुमार, शांति सेना अध्यक्ष संपूर्ण सिंह, डॉ. पवन बुवानीवाला, बृजलाल सर्राफ, प्रो. सतीश श्योराण, अनिल तंवर, रत्न सिंह यादव, डॉ. इंदू रानी और डॉ. कृष्ण शर्मा के अलावा कॉलेज स्टाफ सदस्य तथा गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।