चंडीगढ़, 27 अप्रैल। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि भाजपा सरकार प्रदेश के लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने में विफल है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में वाटर इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। जहां गांवों में पेयजल का भारी संकट है, वहीं शहरी क्षेत्रों में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गांवों के जलाशय, जोहड़ सूखे हुए है और शहरी क्षेत्रों के जलघरों में पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि हालात ये है कि प्रदेश के लोगों को पानी के टैंकर खरीद कर पानी पीना पड़ रहा है। इतना ही नहीं प्रदेश में बिजली व्यवस्था का भी बुरा हाल है। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में तो पहले ही बिजली के हालात काफी खराब थे और अब तो शहरी क्षेत्रों में भी बिजली संकट बना हुआ है। उन्होंने कहा कि बिजली के लंबे-लंबे अघोषित कट लगाए जा रहे है, ऐसे में जनता परेशान हो रही है। रविवार को दुष्यंत चौटाला हिसार और जींद जिले के दौरे के दौरान पत्रकारों से रूबरू थे।
पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने किसानों के भुगतान और मंडियों से फसल के उठान में हो रही देरी पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि ट्रांसपोर्ट के टेंडर नहीं होने के कारण आज मंडियों में गेहूं के बड़े-बड़े ढेर पड़े है। उन्होंने कहा कि 15 दिनों से किसानों की फसलों का भुगतान पेंडिंग है। वहीं दुष्यंत चौटाला ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि आज 140 करोड़ देशवासी इंतजार कर रहे है कि भारत सरकार इस पर क्या कदम उठाएगी।
पूर्व उपमुख्मंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह भी कहा कि सरकार में रहते हुए उन्होंने हिसार के विकास के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि हिसार शहर में करोड़ों रुपये विकास पर खर्च किए गए थे। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हिसार जिले में जो पुलों का जाल बिछाया गया है, उसमें जेजेपी की बड़ी भूमिका रही है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पहले तो उन्होंने लोगों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए पुलों की योजनाओं को तैयार करवाया और जब सरकार में भागीदारी हुई तो पीडब्लयूडी मंत्री के नाते इन प्रोजेक्टों को सिरे चढ़ाने का काम किया। इन सुविधाओं का आज जनता को लाभ मिल रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि हिसार शहर को और ज्यादा विकसित करवाने के लिए उन्होंने ऐलीवेटिड रोड के प्रोजेक्ट पर काम शुरू करवाया था और 750 करोड़ की राशि भी मंजूर करवाई थी लेकिन जेजेपी के सरकार से अलग होने के बाद इन परियोजनाओं पर कोई काम नहीं हुआ और इस प्रोजेक्ट को रद्दी की टोकरी में डालने की तैयारी चल रही है।