बिलासपुर, 12 दिसंबर 2025-घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की तड़ोन पंचायत में शुक्रवार को जिला स्तरीय वाटरशेड महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री धर्माणी ने की। महोत्सव का उद्देश्य जल संरक्षण, जल प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को समुदाय स्तर पर बढ़ावा देना रहा। इस अवसर पर बच्चों द्वारा मॉडल, पेंटिंग, स्किट तथा विभिन्न प्रदर्शनियों के माध्यम से जल संरक्षण के अनेक आयामों को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया, जिनका मंत्री ने अवलोकन करते हुए बच्चों से संवाद भी किया।
मंत्री धर्माणी ने अपने संबोधन में कहा कि वाटरशेड महोत्सव का मुख्य उद्देश्य वर्षा के जल को प्राकृतिक स्रोतों में रोककर धरातल में समाहित करना, भूजल स्तर में वृद्धि करना तथा मिट्टी के कटाव को रोकना है। इस दिशा में डैम निर्माण, चेक वॉल, बावड़ियों के पुनर्निर्माण और पौधारोपण जैसी गतिविधियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बच्चों ने अपने प्रस्तुतिकरणों के माध्यम से यह संदेश दिया कि “जल है तो कल है” महज एक नारा नहीं, बल्कि धरती और जीवन के अस्तित्व से जुड़ा अनिवार्य सत्य है।
उन्होंने बताया कि बिलासपुर जिले में वैज्ञानिक मानकों के आधार पर केवल घुमारवीं ब्लॉक को वाटरशेड प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया गया है। इस परियोजना पर लगभग 5 करोड़ 88 लाख रूपए की स्वीकृति के अंतर्गत इससे अधिक 3 करोड़ रूपए विभिन्न संरचनाओं के निर्माण, जल संचयन कार्यों और पर्यावरण संरक्षण संबंधी गतिविधियों पर व्यय किए जा चुके हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्ष में घुमारवीं ब्लॉक में वाटरशेड कार्यों के सकारात्मक परिणाम स्पष्ट रूप से नज़र आएंगे।
मंत्री ने कहा कि जल जीवन का आधार है और इसके बिना धरती पर किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना संभव नहीं। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का आकलन भी जल की उपलब्धता से किया जाता है। प्रकृति, जीव-जंतु और जलवायु के परस्पर संबंधों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल पर्यावरणीय दायित्व नहीं, बल्कि मानव जीवन की निरंतरता का मूल आधार है। उन्होंने चेताया कि जलवायु परिवर्तन, अनियमित वर्षा और बादल फटने जैसी घटनाएँ जल संकट को गंभीर बना रही हैं, इसलिए समुदाय आधारित प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि वर्षा जल को बिना संचयन के बहने देना हानि पहुंचाता है, जबकि उसका संरक्षण कृषि, पेयजल, पशुपालन और दैनिक जीवन में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। भाखड़ा बांध का उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि किस प्रकार जल संचयन और नियोजन ने सूखे प्रदेशों, विशेषकर राजस्थान में जीवन और खेती को संभव बनाया। उन्होंने जल प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि रसायनों और मानवजनित गतिविधियों से जलस्रोत प्रभावित हो रहे हैं, जिन्हें बचाना सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, आईडीपी प्रोजेक्ट, लाइफ़ मिशन तथा कृषि–बागवानी विभागों की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से तालाब निर्माण, जल संरक्षण संरचनाएँ, सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियाँ तथा रिचार्ज उपायों के लिए सहयोग उपलब्ध है। बढ़ते भूजल दोहन और कम होते रिचार्ज स्तर के कारण हैंडपंपों का जलस्तर लगातार गिर रहा है। इसलिए वर्षा जल संचयन और रिचार्ज उपायों को अपनाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि वाटरशेड अभियान से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतुओं तथा सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ मिलेगा।
मंत्री धर्माणी ने तड़ोन स्कूल के छात्र छात्राओं द्वारा वाटर कंजर्वेशन के ऊपर बनाए गए एक मॉडल और विभिन्न छात्र-छात्राओं द्वारा बनाए गए पेंटिंग्स की सराहना करते हुए
कहा कि बच्चों की सृजनात्मक भागीदारी यह दर्शाती है कि भविष्य की पीढ़ी जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएगी। उन्होंने सभी ग्रामवासियों, विद्यार्थियों और शिक्षकों से जल संरक्षण की इस मुहिम से जुड़े रहने और समाज व प्रकृति के प्रति सार्थक योगदान देने की अपील की। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया। भाषण प्रतियोगिता में तड़ोन स्कूल की रिया, जल संरक्षण के पर मॉडल बनाने वाले अरविंद आदेश और अन्वी पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रांजल और अनीता को सम्मानित किया।
मंत्री धर्माणी ने गांव डीबला और रोपड़ी नाले में लगभग 6 लाख रूपए की लागत से बने चेक डैम का उद्घाटन किया। इसके अतिरिक्त रोपड़ी गांव के नाले में 6 लाख रूपए की लागत से प्रस्तावित क्रट वायर और चेक डैम का भूमि पूजन भी किया गया।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त बिलासपुर ओमकांत ठाकुर, बीडीओ घुमारवीं अभिषेक शर्मा, स्थानीय पंचायत प्रधान मनोज कुमार, निदेशक जिला कंज्यूमर एवं मार्केटिंग फेडरेशन हेमराज सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।