ढोल-नगाड़ों संग सजी झंडूता की रंगीन शोभायात्रा, बैसाखी नलवाड़ मेले — 2025 का भव्य आगाज़
नरदेव सिंह कंवर ने खूँटा गाड़ कर किया मेले का शुभारंभ
झंडूता उपमंडल में तीन दिवसीय बैसाखी नलवाड़ मेला — 2025 का शुभारंभ ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक शोभायात्रा के साथ हुआ। मेले का विधिवत शुभारंभ हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव सिंह कंवर ने ठाकुरद्वारा मंदिर में पूजा-अर्चना के उपरांत खूँटा गाड़ कर किया।
मुख्यातिथि नरदेव सिंह कंवर ने इस अवसर पर कहा कि मेले हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। ये केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि लोक परंपराओं, रीति-रिवाजों, लोककलाओं और संगीत-संस्कृति को जीवंत रखने का सशक्त साधन भी हैं। मेलों के माध्यम से समाज का हर वर्ग एकत्रित होता है, जिससे आपसी मेलजोल, भाईचारा और सामाजिक सद्भाव को बल मिलता है। साथ ही ये स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और व्यापारियों को अपनी प्रतिभा और उत्पादों के प्रदर्शन का मंच प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार निर्माण कामगारों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। बोर्ड के माध्यम से 13 विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें विवाह सहायता, छात्रवृत्ति, मृत्यु मुआवजा, चिकित्सा सहायता, पेंशन, प्रसूति लाभ और मंदबुद्धि बच्चों के लिए आर्थिक सहायता जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एकल नारी, विधवा और बेसहारा महिलाओं के लिए घर निर्माण हेतु तीन लाख रुपये तक की सहायता भी प्रदान की जा रही है।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव विवेक कुमार ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मेले हमारी सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक चेतना के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2025-26 के बजट में किसानों और युवाओं के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्राकृतिक गेहूं का MSP 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये, मक्की का MSP 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये तथा कच्ची हल्दी का MSP 90 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया गया है। इसके साथ ही किसानों को फसल खरीद केंद्र तक उपज पहुंचाने हेतु दो रुपये प्रति किलो की परिवहन सब्सिडी भी दी जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार वर्ष 2026 तक एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। वर्तमान में लगभग 1.58 लाख किसान इस पद्धति को अपना चुके हैं, जो हिमाचल को जैविक खेती की दिशा में अग्रणी राज्य बना रहा है। दुग्ध उत्पादकों को राहत देते हुए गाय के दूध का MSP 45 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध का 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया है।
शोभायात्रा का शुभारंभ ठाकुरद्वारा मंदिर से पूजा-अर्चना के बाद किया गया, जो ढोल-नगाड़ों के साथ झंडूता बाजार से होती हुई मेला स्थल तक पहुँची। इसमें स्थानीय लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। तीन दिवसीय इस मेले में विविध खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। 25 अप्रैल को विशेष दंगल का आयोजन होगा, जिसमें छोटी और बड़ी माली की पारंपरिक कुश्तियाँ करवाई जाएंगी।
23 और 24 अप्रैल को महिला मंडलों के सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्टार नाइट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बिलासपुर सहित प्रदेश भर के कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे।
इस अवसर पर बोर्ड के निदेशक जितेंद्र चंदेल, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सतीश चंदेल, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पंकज राणा, जिला परिषद सदस्य प्रमिला बसु, एसडीएम झंडूता कुनिका, सहित विभिन्न पंचायतीराज संस्थाओं के चुने हुए प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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गोविंद सागर झील में अंडमान-निकोबार की तर्ज पर आइलैंड टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा, तीसरी आइलैंड की टेंडर प्रक्रिया भी सफलतापूर्वक पूर्ण
बिलासपुर में जल, नभ और थल—तीनों मोर्चों पर पर्यटन को दी जा रही नई पहचान
बिलासपुर, बुधवार, 23 अप्रैल-हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के नए क्षितिज खुल रहे हैं। पर्वतों और घाटियों तक सीमित परंपरागत पर्यटन से आगे बढ़ते हुए अब प्रदेश जल पर्यटन के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। गोविंद सागर झील में शुरू हुआ हिमाचल का पहला आइलैंड टूरिज्म प्रोजेक्ट न केवल प्रदेश को एक नए अनुभव से जोड़ेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का नया केंद्र बनेगा।
तीन आइलैंड्स की टेंडर प्रक्रिया पूरी, तीसरा टेंडर भी सफलतापूर्वक जारी
गोविंद सागर झील में चयनित चार आइलैंड्स में से तीन की टेंडर प्रक्रिया अब तक सफलतापूर्वक पूर्ण की जा चुकी है। ज्योरी पतन और धराड़सानी के बाद बुधवार को तीसरे आइलैंड—भोलू एवं ज्योर (ज्योरीपटन), तहसील झंडूत्ता—का टेंडर भी सार्वजनिक रूप से आवंटित कर दिया गया है। यह टेंडर वीरेन्द्र कुमार (मित्तलघोड़ा चौकी, शिमला) को 3,15,000 रुपये की उच्चतम बोली पर प्रदान किया गया है।
बिलासपुर को मिलेगा ‘आइलैंड टूरिज्म’ का नया तोहफा
यह परियोजना अंडमान-निकोबार और केरल जैसे प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेशनों की तर्ज पर विकसित की जा रही है। इस योजना में झील के भीतर स्थित आइलैंड्स पर बोटिंग, एडवेंचर स्पोर्ट्स, ईको-फ्रेंडली स्टे, सांस्कृतिक गतिविधियों, होटल, रेस्टोरेंट, डेस्टिनेशन वेडिंग, फिशिंग जोन, बोनफायर स्थल और हाइकिंग ट्रेल्स जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। साथ ही, रात्रिकालीन कार्यक्रमों में हिमाचली लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति को वैश्विक मंच मिलेगा।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक का अभिनव प्रयास
जिला बिलासपुर में इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बिना सरकारी बजट से कोई धनराशि खर्च किए, पूर्णतः जन-सहभागिता मॉडल पर विकसित किया गया है। उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक के नेतृत्व में यह प्रयास न केवल प्रशासनिक आत्मनिर्भरता का उदाहरण है, बल्कि यह जिला प्रशासन के लिए स्थायी आय का स्रोत भी बन रहा है।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने कहा:
"हमारा उद्देश्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार देना, निजी निवेश को प्रोत्साहित करना और प्रशासनिक आत्मनिर्भरता को स्थापित करना भी है। यह मॉडल हिमाचल के अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बनेगा।"
स्थानीय विकास और आय की नई संभावनाएं
प्रशासन का आकलन है कि इस आइलैंड टूरिज्म परियोजना के माध्यम से भविष्य में वॉटर स्पोर्ट्स, एरो स्पोर्ट्स और अन्य गतिविधियों से स्थानीय युवाओं को गाइडिंग, बोट ऑपरेशन, फूड सर्विस और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी के अवसर मिलेंगे। यह परियोजना जिला के भीतर स्वरोजगार की दिशा में बड़ा कदम है।
जल, नभ और थल—तीनों आयामों में पर्यटन की नई परिभाषा
बिलासपुर जिला पहले ही श्री नैना देवी रोपवे, गोविंद सागर लेक बोटिंग, और हवाई अड्डा निर्माण जैसी योजनाओं से नभ और थल पर्यटन को मजबूती दे रहा था। अब इस आइलैंड टूरिज्म परियोजना से जल पर्यटन को भी निर्णायक बल मिला है। यह बहुआयामी दृष्टिकोण बिलासपुर को प्रदेश के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत है।