चण्डीगढ़, 06.01.25 : पंचनद शोध संस्थान की वार्षिक व्याख्यानमाला का आयोजन आज चण्डीगढ़ में किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता पंजाब के राज्यपाल एवं चण्डीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात विचारक प्रशांत पोल उपस्थित थे। इस अवसर पर मंच पर पंचनद शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला, निदेशक डॉ. कृष्णचंद पांडेय और महासचिव सीए विक्रम अरोड़ा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षा प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (एनआईटीटीटीआर), सेक्टर-26 में किया गया।

व्याख्यानमाला की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का इतिहास संघर्षों और विजय की एक लंबी यात्रा है। उन्होंने बताया कि यह वह देश है जिसने हजारों वर्षों तक विदेशी आक्रमणों का सामना किया और अपनी अद्वितीय संस्कृति को बचाए रखा। भारत की ताकत केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है। राज्यपाल कटारिया ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बाहरी ताकतों से लड़ाई लड़ने के साथ-साथ अपने मन और आत्मा को भी कमजोर नहीं होने दिया। इसी कारण आज भी हमारी संस्कृति जीवित है और हमारे आदर्श स्थिर हैं।

क्या हम पुनः विभाजन की ओर बढ़ रहे हैं? प्रशांत पोल

आज की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए डॉ. पोल ने कहा कि भारत वैश्विक मंच पर एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर रहा है लेकिन विभाजन की मानसिकता, जो सांप्रदायिकता और असहिष्णुता को बढ़ावा देती है, फिर से सिर उठा रही है। बांग्लादेश में हाल की घटनाओं ने इस खतरे को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। उन्होंने कहा कि विभाजन केवल भौगोलिक सीमाओं का परिणाम नहीं था बल्कि यह समाज में असमानता और विभाजन की मानसिकता का दुष्परिणाम था।

समारोह में पुस्तक विमोचन

पंचनद शोध संस्थान की 31 वीं वार्षिक व्याख्यानमाला के अवसर पर संस्थान द्वारा प्रकाशित पंचनद शोध पत्रिका और दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। इनमें से पहली पुस्तक 'विचार प्रवाह' संस्थान के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला द्वारा लिखित और यश प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है। दूसरी पुस्तक 'कुरआन में मानवीय मूल्य एवं अधिकार' दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में पत्रकारिता विभाग के सहायक प्राध्यापक और दिल्ली प्रांत के सह समन्वयक डॉ. अमरेन्द्र कुमार आर्य द्वारा लिखित शोध आधारित कृति है। यह पुस्तक किताबयाले प्रकाशन समूह, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई है। इस अवसर पर संस्थान के महासचिव विक्रम अरोड़ा ने पंचनद शोध संस्थान का परिचय प्रस्तुत किया, जबकि विगत वर्ष का लेखा- जोखा संस्थान के निदेशक डॉ. कृष्ण चंद पांडे ने साझा किया। कार्यक्रम में संस्थान के 45 अध्ययन केंद्रों से आए लगभग 500 कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी की।