चंडीगढ़, 1 अप्रैल, 2025- हरियाणा राजभवन में मंगलवार को ओडिशा दिवस का आयोजन किया गया। 1 अप्रैल, 1936 को ओडिशा का अलग राज्य के रूप में गठन हुआ। हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की। उन्होंने हरियाणा और पूरे देश के विकास में ओडिशा के लोगों के अमूल्य योगदान की सराहना की।राज्यपाल ने ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर प्रकाश डाला, और भारत की विरासत पर इसके गहन प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ओडिशा न केवल प्राचीन मंदिरों और समृद्ध परंपराओं की भूमि है, बल्कि एक ऐसा राज्य भी है जिसने भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ओडिशा के मेहनती और कुशल कार्यबल ने विभिन्न क्षेत्रों में हरियाणा के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हरियाणा में रहने वाले ओडिया समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्यों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति भी इस समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री अतुल द्विवेदी, राज्यपाल के एडीसी श्री अमित यशवर्धन और राजभवन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

राज्यपाल ने विविधता में एकता के महत्व को दोहराते हुए कहा कि ओडिशा की सांस्कृतिक समृद्धि भारत के बहुलवादी लोकाचार को मजबूत करती है। उन्होंने हरियाणा के प्रगतिशील वातावरण के साथ सहजता से जुड़ते हुए अपनी परंपराओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में ओडिया समुदाय के प्रयासों की भी सराहना की।

इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में पद्मश्री डॉ. डी. बेहरा, निदेशक, पल्मोनरी मेडिसिन, फोर्टिस हेल्थकेयर, मोहाली, डॉ. आर.के. राठो, प्रोफेसर और वायरोलॉजी विभागाध्यक्ष, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, डॉ. सूर्य नारायण पांडा, प्रो. वीसी, चितकारा विश्वविद्यालय, पंजाब, डॉ. सुशांत साहू, अतिरिक्त प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी विभाग, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, डॉ. रघुनाथ साहू, अधीक्षक फिजियोथेरेपिस्ट, पीजीआईएमईआर, और भाभाग्रही पात्रा, संयुक्त सचिव, उत्कल सांस्कृतिक संघ, चंडीगढ़ शामिल रहे।