बीजेपी सरकार का पूरा ध्यान प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने और किसानों को बर्बाद करने पर है: अभय सिंह चौटाला

किसानों को कैसे प्रताड़ित करे, उसे कैसे लाइन में खड़ा रखे और कैसे किसान अपने खेत में न जा सके, कैसे किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा सके उसके लिए हर संभव प्रयास करती है बीजेपी सरकार

पराली जलाने वाले किसानों की सरकार द्वारा दो सीजन तक फसल खरीद न करने और उन पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश हैं किसान विरोधी और तानाशाही आदेश

सरकार किसानों को पराली की गहरी जुताई के लिए 3000 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दे तो पर्यावरण को पराली प्रदूषण से पूर्णतया मुक्त किया जा सकता है

चंडीगढ़, 22 अक्टूबर। इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भाजपा सरकार द्वारा किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध न करवाने के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी वैसे तो किसान हितैषी होने का नाटक करती है लेकिन वास्तव में हमेशा से किसान विरोधी रही है। किसानों को कैसे प्रताड़ित करे, उसे कैसे लाइन में खड़ा रखे और कैसे किसान अपने खेत में न जा सके, कैसे किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा सके उसके लिए हर संभव प्रयास करती है। आज हालत यह है कि खाद ब्लैक में खरीदना हो तो कोई कमी नहीं है लेकिन किसानों को मिल नहीं रहा। बीजेपी सरकार ने खाद के बैग का वजन भी कम कर दिया, कीमत भी बढ़ा दी और किल्लत भी कर दी। उन्होंने कहा कि एक तो किसानों को खाद कम मिल रही है उपर से किसानों को खाद के साथ नैनो यूरिया, सल्फर, जिंक समेत अन्य सामान भी जबरदस्ती बेचा जा रहा है। खाद की कमी का एक कारण सरकार की मिलीभगत से खेती के लिए सब्सिडी वाले यूरिया का बड़े स्तर पर प्लाईवुड उद्योग में इस्तेमाल होना है। दरअसल प्लाईवुड उद्योग में टैक्रिकल खाद का प्रयोग करना होता है लेकिन उसकी कीमत प्रति बैग 3 हजार रूपए है और सब्सिडी वाला बैग उन्हें 300 रूपए में मिलता है। यूरिया के लगभग 8 लाख बैग हर साल प्लाईवुड उद्योग में इस्तेमाल होता है। बीजेपी सरकार का पूरा ध्यान प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने और किसानों को बर्बाद करने पर है। मुख्यमंत्री को इस मामले संज्ञान लेते हुए किसानों को जल्द से जल्द खाद उपलब्ध करवाना चाहिए।
पराली जलाने वाले किसानों की सरकार द्वारा दो सीजन तक फसल खरीद न करने और किसानों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेशों को किसान विरोधी और तानाशाही आदेश बताते हुए अभय सिंह चौटाला ने कहा कि धान पराली को अगली फसल की बुआई से पहले गहरी जुताई द्वारा भूमि में मिलाना ही एकमात्र व्यावहारिक समाधान है। लेकिन इस पर किसान को 3000 रूपए प्रति एकड़ खर्च आता है। सरकार किसानों को पराली की गहरी जुताई के लिए 3000 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दे तो पर्यावरण को पराली प्रदूषण से पूर्णतया मुक्त किया जा सकता है। आप पार्टी की दिल्ली की मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के लिए हरियाणा के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराने पर कहा कि दिल्ली में आप पार्टी पूरी तरह से फेल है और अपनी नाकामयाबी का पूरा दोष हरियाणा के किसानों के उपर मढक़र अपना पल्ला झाड़ रही है। दरअसल दिल्ली में प्रदूषण का कारण इन महीनों में हवा की गति कम होने व ठंड बढ़ने से धुंआ न तो उपरी सतह पर जा पाता है और न ही कहीं दूर जा पाता है बस एक जगह रूक जाता है और इसी कारण से वायु प्रदूषण बढ़ता है।