चण्डीगढ़, 18.02.25- : ओम महादेव कांवड़ सेवादल द्वारा करवाई जा रही पांचवीं शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथा व्यास द्वय चित्र-विचित्र महाराज ने कहा कि भक्त और भगवान के बीच में अगर कोई है तो केवल मात्र एक सद्गुरु ही है जो भगत और भगवान का मिलन करवाते हैं। भगवान कहते हैं कि मै भकतन का दास, भक्त मेरे मुकुटमणी।
उन्होंने कहा कि हम भगवान के आश्रित है और सच भी यही है। हम सब के पास और कोई दूसरा आसरा सहारा है भी तो नहीं। प्रेमी भक्तों के पास तो एकमात्र विकल्प उसके नाम और सहारे का है और उस आसरे-सहारे का नाम है बांके बिहारी।मैं रिजु तो गोपाल, सो खिचु तो गोपाल। सो प्रेम भी उन्हीं से करना है और प्रेम के अधिकार का उपयोग करते हुए लड़ना भी उन्हीं से है। कथा वाचकों ने बताया कि शिव महापुराण की कथा मानव जाति को सुख समृद्धि आनंद देने वाली है। क्योंकि भगवान शिव कल्याण और सुख के मूल स्तोत्र हैं। उन्होंने कहा कि महापुराण सुनने मात्र से ही वंश में वृद्धि होती है। महापुराण कल्प वृक्ष के समान है, जो इसे जिस कामना के साथ सुनता, वह कामना पूरी होती है। शिव जब अपने भगत पर प्रसन्न होते हैं तो वह उसे सब कुछ प्रदान कर देते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी बड़े प्रयास की जरूरत नहीं है। वह तो केवल सच्ची श्रद्धा और भक्ति के अधीन है।
इस मौके पर संस्था के पदाधिकारी अध्यक्ष नरेश, उपाध्यक्ष सोनू गर्ग, महासचिव गौरव श्रीवास्तव, कैशियर भूषण हनी गुलाटी, सलाहकार रिंकू जैन व मोनू गर्ग व कार्यकारी सदस्य अशोक, मनोहर, मोहित, पुनीत गोयल, नवीन, अभिषेक श्रीवास्तव, अभिषेक पंवर व मनीष बंसल आदि भी मौजूद रहे।